मेरठ, जागरण संवाददाता। UP Chunav 2022 भाजपा के गढ़ मेरठ में बदलाव की बड़ी बयार बही है। कैंट, शहर और सिवालखास विस सीटों पर फेरबदल की पटकथा लंबे समय से लिखी जा रही थी। राजीनीतिक पंडित इस बदलाव को नए नजरिए से देख रहे हैं।
दो बार के विधायक रहे अमित
कैंट को भाजपा के लिहाज से मेरठ की सबसे सुरक्षित सीट माना जाता है। यहां पर अमित अग्रवाल लंबे समय से प्रयासरत थे, लेकिन संघ की हरी झंडी नहीं मिल पा रही थी। 2017 में भी उनका नाम अंतिम क्षणों में कटा। 2022 के लिए कैंट सीट पर दावेदारों की लंबी फौज थी। महानगर अध्यक्ष मुकेश सिंघल काफी हद तक आश्वस्त थे, वहीं संजीव सिक्का, बिजेंद्र अग्रवाल, विनीत शारदा, अजय गुप्ता, और नीरज मित्तल भी प्रयासरत रहे, लेकिन इस बार पार्टी ने दो बार के विधायक अमित अग्रवाल का वनवास खत्म कर दिया। उनका बिल्डर होना और बीच में दूसरे दलों में चले जाना राह का रोड़ा बन रहा था लेकिन इस बार प्रदेश संगठन महामंत्री सुनील बंसल और गृहमंत्री अमित शाह से नजदीकी भी काम आई।
वैश्य समाज का दबदबा
वैश्य समाज के दबदबे वाली इस सीट पर व्यापार संघ की भी राजनीति काफी हावी रही है। चार बार के विधायक सत्यप्रकाश अग्रवाल का उदय भी व्यापारी नेता के रूप में ही हुआ था। इसी समीकरण को आधार बनाकर काफी समय तक बिजेंद्र अग्रवाल बड़े भाई की राजनीतिक विरासत की आस में थे, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में व्यापारियों के बीच में उनकी ढीली होती पकड़ ने उनकी दावेदारी को निस्तेज कर दिया।
नए चेहरे को टिकट था चुनौती
शहर विधानसभा सीट से लक्ष्मीकांत बाजपेयी की जगह किसी नए चेहरे को टिकट देने की चुनौती थी। उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा की पैरोकारी पर पार्टी सुनील भराला का नाम तकरीबन तय कर चुकी थी लेकिन संघ के हस्तक्षेप पर कमलदत्त शर्मा के नाम पर मुहर लगी। कमल को लक्ष्मीकांत ने दो बार युवा मोर्चा का महानगर अध्यक्ष बनवाया था, हालांकि बाद में दोनों के बीच पहले जैसे संबंध नहीं रह गए। बीच में कमल का नाम विवादों में आने से महानगर इकाई अलग हो गई, लेकिन उन पर संघ के कई वरिष्ठों का आशीर्वाद बना रहा। उसी वजह से कमलदत्त टिकट पाने में भी सफल हुए।
बड़े बदलाव पर मुहर
तीसरा बड़ा बदलाव बागपत संसदीय क्षेत्र की सिवालखास सीट पर हुआ। यहां पर मनिन्दर पाल सिंह बाजी मारने में सफल हुए। उन्हें कैबिनेट मंत्री चौधरी भूपेंद्र सिंह और केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान का करीबी माना जाता है। मनिन्दर ने संयम से अपने अनुकूल समय का इंतजार किया और मीनाक्षी भराला, डा. जेवी चिकारा, विनोद चौधरी और अंकुर राणा जैसे चेहरों को पीछे छोडऩे में सफल हुए। यहां उन्हें सांसद डा. सत्यपाल सिंह और विधायक जितेंद्र सतवई के बीच बढ़ती दूरियों का भी फायदा मिला। क्षेत्रीय टीम ने संघ से भी सभी प्रत्याशियों पर राय ली, और बड़े बदलाव पर मुहर लगी।
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