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यूपी बोर्ड ने नहीं दी कोई राहत, परिषद ने जारी किया कक्षा 9 से 12वीं तक का पूर्व निर्धारित सिलेबस Meerut News

माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश यानी यूपी बोर्ड ने सत्र 2020-21 के सिलेबस में छात्रों को कोई राहत नहीं दी है। परिषद ने कक्षा नौवीं से 12वीं तक का माहवार सिलेबस जारी किया।

By Prem BhattEdited By: Published: Thu, 14 May 2020 02:30 PM (IST)Updated: Thu, 14 May 2020 02:30 PM (IST)
यूपी बोर्ड ने नहीं दी कोई राहत, परिषद ने जारी किया कक्षा 9 से 12वीं तक का पूर्व निर्धारित सिलेबस Meerut News
यूपी बोर्ड ने नहीं दी कोई राहत, परिषद ने जारी किया कक्षा 9 से 12वीं तक का पूर्व निर्धारित सिलेबस Meerut News

मेरठ, जेएनएन। UP Board कोरोना महामारी चपेट से निकलने की जद्दोजहद कर रहे शैक्षिक सत्र में सीबीएसई से एनसीईआरटी तक इस सत्र के सिलेबस में राहत देने की वकालत कर रहे हैं। लेकिन, माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश यानी यूपी बोर्ड ने सत्र 2020-21 के सिलेबस में छात्रों को कोई राहत नहीं दी है। परिषद ने बुधवार को कक्षा नौवीं से 12वीं तक का माहवार सिलेबस जारी किया है। परिषद की ओर से जारी सिलेबस पिछले साल का ही है। पिछले साल जहां कुछ चेप्टर हटाए गए थे उन्हें भी इस साल के सिलेबस में जोड़ दिया गया हे। इंटरमीडिएट के फिजिक्स के सिलेबस से पिछले साल संचार व्यवस्था चेप्टर हटा दिया गया था। इस साल वह चेप्टर भी जोड़ दिया गया है।

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नहीं हुई विषय समिति की बैठक

यूपी बोर्ड ने परिषद की वेबसाइट पर कक्षा नौवीं से 12वीं तक के हर विषय का सिलेबस अपलोड किया है। इसमें अप्रैल महीने से सत्र के अंत तक पढ़ाई के सिलेबस दिए गए हैं। पाठ्यक्रम को लेकर इस साल कोई बैठक भी नहीं हुई है। पाठ्यक्रम समिति के सदस्य व केके इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. बीर बहादुर सिंह के अनुसार पिछले दिनों दिल्ली में हुई उच्च अधिकारियों की बैठक में इस सत्र में करीब 30 फीसद सिलेबस कम करने की बात कही गई थी, लेकिन यूपी बोर्ड की ओर से ऐसा कुछ नहीं किया गया है। अब तक को इस सत्र के लिए पाठ्यक्रम समिति की बैठक भी नहीं हुई है जो हर साल हुआ करती है।

44 फीसद छात्र भी ऑनलाइन शिक्षण से नहीं जुड़े

माध्यमिक स्कूलों में कक्षा नौ से 12वीं तक पढ़ने वाले छात्र-छात्रओं में महज 43.84 फीसद छात्र ही ऑनलाइन पढ़ाई के लिए वाट्सएप ग्रुपों से जुड़ सके हैं। वह भी पढ़ाई में रेगुलर नहीं हैं। अब मूल्यांकन शुरू होने पर उनकी पढ़ाई भी बंद हो गई है। ऐसे में 56 फीसद छात्रों इस सत्र में अब तक पढ़ाई से पूरी तरह वंचित हैं और जुलाई से पहले पढ़ाई शुरू होने की संभावना भी नहीं दिख रही है। सिलेबस पूरा करने के लिए स्कूलों को न ही समय मिलेगा और न ही छात्र तैयारी कर सकेंगे। प्रदेश में 28,487 माध्यमिक स्कूल हैं। इनमें से 24,524 स्कूलों ने ऑनलाइन पढ़ाई का टाइम-टेबल बनाने की सूचना दी है। इन स्कूलों में 3,10,803 शिक्षक हैं। इनमें से 70.28 फीसद यानी 2,18,431 शिक्षकों ने वाट्सएप ग्रुप बनाए जाने की सूचना दी है।

कंपोजिट विद्यालय

बेसिक शिक्षा परिषद के अंतर्गत एक ही परिसर में संचालित प्राइमरी और उच्च प्राइमरी स्कूलों को एक किया जा रहा है। संविलयन की इस प्रक्रिया में जिन विद्यालयों में अधिक संख्या में बच्चे पढ़ रहे हैं उनमें कम संख्या वाले स्कूलों को मिलाया जाएगा। इसी शासनादेश की तर्ज पर जिले के 220 स्कूलों को एक कर उन्हें कंपोजिट विद्यालय बना दिया गया है। फिलहाल इन विद्यालयों को उनके मूल या नए नाम से अलंकृत करने की बजाय कंपोजिट विद्यालय ही कहा जा रहा है। कंपोजिट विद्यालयों में अधिक संख्या वाले संविलित विद्यालय एसएमसी एवं मिड-डे मील निधि खाता का संचालन करेगा।

आरटीई मानक के अनुरूप शिक्षकों की तैनाती

स्कूलों में कक्षा एक से आठवीं तक आरटीई मानक के अनुरूप शिक्षकों की तैनाती की जाएगी। इसमें शिक्षक-छात्र अनुपात पर विशेष जोर रहेगा। जिन स्कूलों में बच्चे लगातार कम रहे हैं उन स्कूलों के शिक्षकों को अधिक बच्चों वाले स्कूलों में सम्बद्ध या नियुक्त किया जाएगा। संविलित होने वाले कंपोजिट स्कूलों में प्रधानाध्यापक का पद सीनियर सहायक अध्यापकों को दिया जा रहा है। जिले में 910 प्राइमरी स्कूल हैं, 432 उच्च प्राइमरी स्कूल हैं, 56 सहायता प्राप्त प्राइमरी स्कूल हैं और तीन राजकीय उच्च प्राथमिक स्कूल हैं। विद्यालयों के संविलयन के बाद जिले में 710 प्राइमरी स्कूल रह जाएंगे और 652 उच्च प्राइमरी स्कूल हो जाएंगे। बीएसए सतेंद्र कुमार के अनुसार जिले के सभी 220 स्कूलों के संविलयन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। अब वह सभी स्कूल कंपोजिट स्कूल हो चुके हैं।


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