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बिजनौर : नजीबाबाद रिजर्व फॉरेस्ट जमीन घोटाले में पर्यावरण मंत्रालय ने रिपोर्ट की तलब, 12 हजार एकड़ जमीन का है मामला

नजीबाबाद रिजर्व फॉरेस्ट की करीब 12 हजार एकड़ जमीन का घोटाला पर्यावरण मंत्रालय तक पहुंच गया है। एनटीसीए ने स्‍थानीय प्रशासन से पूरे मामले की रिपोर्ट तलब की है।

By Prem BhattEdited By: Published: Wed, 26 Aug 2020 05:12 PM (IST)Updated: Wed, 26 Aug 2020 05:12 PM (IST)
बिजनौर : नजीबाबाद रिजर्व फॉरेस्ट जमीन घोटाले में पर्यावरण मंत्रालय ने रिपोर्ट की तलब, 12 हजार एकड़ जमीन का है मामला
बिजनौर : नजीबाबाद रिजर्व फॉरेस्ट जमीन घोटाले में पर्यावरण मंत्रालय ने रिपोर्ट की तलब, 12 हजार एकड़ जमीन का है मामला

- एडीएम की अध्यक्षता वाली कमेटी कर रही विस्तृत जांच

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- रिजर्व फॉरेस्ट की 12 हजार एकड़ जमीन का मामला

बिजनौर, जेएनएन। नजीबाबाद रिजर्व फॉरेस्ट की करीब 12 हजार एकड़ जमीन का घोटाला पर्यावरण मंत्रालय तक पहुंच गया है। एनटीसीए (National Tiger conservation authority) ने स्‍थानीय प्रशासन से पूरे मामले की रिपोर्ट तलब की है। ग्राम तेलीपाड़ा और राजपुर कोट के जंगल की रिजर्व फारेस्ट की भूमि को 1360 फसली के राजस्व रिकार्ड में एक व्यक्ति विशेष के नाम दर्ज कर दिया गया था। इस मामले की जांच एडीएम वित्त एवं राजस्व की अध्यक्षता में गठित टीम कर रही है। टीम जल्द अपनी जांच रिपोर्ट प्रशासन को सौंपेगी।

बिजनौर निवासी किशनचंद और भारतीय किसान यूनियन के ब्लाक अध्यक्ष चौधरी वीरसिंह डबास ने करीब आठ माह पूर्व मुख्यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ (CM Yogi Aditynath) और जिलाधिकारी रमाकांत पांडेय समेत विभिन्न अधिकारियों से शिकायत की थी। शिकायत में कहा गया कि ग्राम तेलीपाड़ा एवं राजपुर कोट के जंगल में स्थित रिजर्व फारेस्ट की करीब 12 हजार एकड़ जमीन को 29 सितंबर सन 1953 को आराजी जैल पर कुंवर चंद्रभान के नाम बतौर भूमिधर दर्ज की गई थी। इसके बाद समय-समय पर भूमि विभिन्न व्यक्तिय को बेची गई, जबकि उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम की धारा 132 के अनुसार सार्वजनिक प्रयोजन की भूमि अथवा विशेष प्रयोजन के लिए आरक्षित भूमि के सापेक्ष किसी व्यक्ति को कोई अधिकार नहीं है। शिकायत में यह भी कहा गया कि क्रय-विक्रय की वजह से उक्त भूमि पर विभिन्न व्यक्तियों के नाम संक्रमणीय भूमि के रूप में दर्ज हुए हैं।

इस शिकायत के आधार पर डीएम ने एडीएम वित्त एवं राजस्व अवधेश कुमार मिश्रा की अध्यक्षता में जांच कमेटी गठित की। टीम में शामिल तहसीलदार नगीना हामिद हुसैन ने प्रारंभिक जांच में पाया कि ग्राम तेलीपाड़ा में जंगलात की भूमि के आवंटन संबंधी अभिलेख नहीं हैं। उन्होंने प्रथम दृष्टया सभी प्रविष्टि कूटरचित प्रतीत होने की आशंका भी जताई और प्रारंभिक जांच रिपोर्ट एसडीएम को सौंप दी। अब, इस मामले में अधिवक्ता गौरव बंसल ने केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय में इसकी शिकायत की। इस आधार पर राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने प्रदेश सरकार से मामले की रिपोर्ट तलब की है।

जल्‍द आने वाली है रिपोर्ट : डीएम

वन विभाग की ओर से पूरे मामले की रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है, जबकि एडीएम की अध्यक्षता में गठित टीम की रिपोर्ट भी अब जल्द आने वाली है। उम्‍मीद है कि यह रिपोर्ट इसी सप्‍ताह आ जाए। - रमाकांत पांडेय, जिलाधिकारी

दोषियों को सजा दिलाकर रहूंगा : किशनचंद

आरक्षित वन क्षेत्र में जमीन घोटाले को सामने लाने वाले शिकायतकर्ता बिजनौर के मोहल्ला कस्सावान निवासी किशनचंद का कहना है कि इस मामले में नीचे से ऊपर तक के अधिकारियों की मिलीभगत है। मामला उजागर होने के बाद भी आठ महीने बीत गए, लेकिन जांच बेहद धीमी गति से चल रही है। सरकारी रिकार्ड दुरुस्त किया गया है, लेकिन अभी तक बेदखली की कार्रवाई नहीं हुई है। उस समय के लेखपाल से लेकर तहसीलदार तक इस घोटाले में लिप्त हैं। उनके खिलाफ धोखाधड़ी की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई होनी चाहिए। किशनचंद का कहना है कि जब तक दोषियों को दंड नहीं मिलेगा, वह चुप नहीं बैठेंगे। 


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