योगी मंत्रिमंडल में पश्चिमी उत्तर प्रदेश से बन सकते हैं दो मंत्री
मोदी सरकार में पश्चिमी उप्र को भले ही खास भागीदारी नहीं मिलीकिंतु माना जा रहा है कि वेस्ट यूपी से एक गुर्जर और एक ब्राह्मण चेहरा टीम योगी में शामिल करने की तैयारी है।
By Ashu SinghEdited By: Published: Sat, 01 Jun 2019 09:52 AM (IST)Updated: Sat, 01 Jun 2019 09:52 AM (IST)
मेरठ,जेएनएन। मोदी सरकार में पश्चिमी उप्र को भले ही खास भागीदारी नहीं मिली,किंतु पार्टी नए सिरे से जातीय संतुलन साधने में जुट गई है। नोएडा सांसद डॉ. महेश शर्मा को टीम मोदी में स्थान न मिलने पर पार्टी ब्राह्मणों को नाराज होने का मौका नहीं देगी। माना जा रहा है कि पश्चिमी उप्र से एक गुर्जर और एक ब्राह्मण चेहरा टीम योगी में शामिल करने की तैयारी है।
अब आगे की रणनीति पर विचार
2019 के लोस चुनाव में मोदी लहर 2014 से भी ज्यादा ऊंची रही, लेकिन जातीय गणित में फंसकर पश्चिमी उप्र में पार्टी करिश्मा नहीं दिखा सकी। पार्टी का एक खेमा कह रहा है कि पउप्र में कम सीटें जीतने की वजह से सिर्फ दो मंत्री बनाए गए। उसमें भी एक जाट नेता का मंत्री बनना तकरीबन तय था। इस संभावना को डॉ.संजीव बालियान ने सटीकता से भरा,किंतु अब भाजपा आगे की रणनीति पर मंथन कर रही है।
ऐसे बदल सकता है राजनीतिक सीन
पार्टी के बड़े पदाधिकारियों की मानें तो डॉ. महेश शर्मा को मंत्रिमंडल से दूर रखने की भरपाई में पश्चिमी उप्र के ब्राह्मण चेहरों को टीम योगी में जगह मिलेगी। चर्चा है कि साहिबाबाद विधायक सुनील शर्मा, बुलंदशहर विधायक संजय शर्मा और शिकारपुर विधायक अनिल शर्मा में से किसी को मंत्री बनाया जा सकता है। प्रदेश का राजनीतिक सीन भी बदला है। प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्रनाथ पांडे को कैबिनेट मंत्री बना दिया गया है। टीम योगी की डॉ. रीता बहुगुणा जोशी भी सांसद बन चुकी हैं। इन परिस्थितियों में पश्चिमी उप्र के कद्दावर चेहरा डॉ. लक्ष्मीकांत बाजपेयी को भी अहम् ओहदा मिल सकता है। 20 जून तक पार्टी में बड़े फेरबदल का संकेत है।
गुर्जर का दावा फिर मजबूत
2019 में अपेक्षाकृत कमजोर प्रदर्शन को देखते हुए टीम मोदी में पश्चिमी उप्र का कद घटा है। किंतु 2017 विधानसभा चुनावों में पार्टी ने 71 में 56 सीटों पर जीत दर्ज की थी,लेकिन मंत्रिमंडल में खास तवज्जो नहीं मिली। एक भी मंत्री को कैबिनेट का दर्जा नहीं मिला। गुर्जरों ने सभी सीटों पर भाजपा की जीत में बड़ी भूमिका निभाई,लेकिन किसी चेहरे को मंत्री नहीं बनाया गया। राजनीतिक पंडितों की मानें तो 2019 लोकसभा चुनावों में बागपत एवं मुजफ्फरनगर में गठबंधन से घिरी भाजपा की नाव भी गुर्जर वोटों से पार हुई। माना जा रहा है कि जुलाई के पहले सप्ताह में योगी के मंत्रिमंडल का विस्तार हो सकता है। गुर्जर चेहरे के रूप में प्रदेश महामंत्री एवं एमएलसी अशोक कटारिया का नाम एक बार फिर चर्चा में है।
अब आगे की रणनीति पर विचार
2019 के लोस चुनाव में मोदी लहर 2014 से भी ज्यादा ऊंची रही, लेकिन जातीय गणित में फंसकर पश्चिमी उप्र में पार्टी करिश्मा नहीं दिखा सकी। पार्टी का एक खेमा कह रहा है कि पउप्र में कम सीटें जीतने की वजह से सिर्फ दो मंत्री बनाए गए। उसमें भी एक जाट नेता का मंत्री बनना तकरीबन तय था। इस संभावना को डॉ.संजीव बालियान ने सटीकता से भरा,किंतु अब भाजपा आगे की रणनीति पर मंथन कर रही है।
ऐसे बदल सकता है राजनीतिक सीन
पार्टी के बड़े पदाधिकारियों की मानें तो डॉ. महेश शर्मा को मंत्रिमंडल से दूर रखने की भरपाई में पश्चिमी उप्र के ब्राह्मण चेहरों को टीम योगी में जगह मिलेगी। चर्चा है कि साहिबाबाद विधायक सुनील शर्मा, बुलंदशहर विधायक संजय शर्मा और शिकारपुर विधायक अनिल शर्मा में से किसी को मंत्री बनाया जा सकता है। प्रदेश का राजनीतिक सीन भी बदला है। प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्रनाथ पांडे को कैबिनेट मंत्री बना दिया गया है। टीम योगी की डॉ. रीता बहुगुणा जोशी भी सांसद बन चुकी हैं। इन परिस्थितियों में पश्चिमी उप्र के कद्दावर चेहरा डॉ. लक्ष्मीकांत बाजपेयी को भी अहम् ओहदा मिल सकता है। 20 जून तक पार्टी में बड़े फेरबदल का संकेत है।
गुर्जर का दावा फिर मजबूत
2019 में अपेक्षाकृत कमजोर प्रदर्शन को देखते हुए टीम मोदी में पश्चिमी उप्र का कद घटा है। किंतु 2017 विधानसभा चुनावों में पार्टी ने 71 में 56 सीटों पर जीत दर्ज की थी,लेकिन मंत्रिमंडल में खास तवज्जो नहीं मिली। एक भी मंत्री को कैबिनेट का दर्जा नहीं मिला। गुर्जरों ने सभी सीटों पर भाजपा की जीत में बड़ी भूमिका निभाई,लेकिन किसी चेहरे को मंत्री नहीं बनाया गया। राजनीतिक पंडितों की मानें तो 2019 लोकसभा चुनावों में बागपत एवं मुजफ्फरनगर में गठबंधन से घिरी भाजपा की नाव भी गुर्जर वोटों से पार हुई। माना जा रहा है कि जुलाई के पहले सप्ताह में योगी के मंत्रिमंडल का विस्तार हो सकता है। गुर्जर चेहरे के रूप में प्रदेश महामंत्री एवं एमएलसी अशोक कटारिया का नाम एक बार फिर चर्चा में है।
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