मेरठ मेडिकल कालेज में लगेंगे दो नए आक्सीजन प्लांट, 85 लाख रुपये की लागत व इतनी होगी क्षमता Meerut News
कोरोना महामारी के बीच आक्सीजन का संकट ङोलने के बाद प्रदेश सरकार अलर्ट है। शासन ने मेडिकल कालेज से दूसरे जेनरेशन प्लांट का भी प्रस्ताव मांगा है। एक प्लांट टाटा समूह लगाएगा वहीं दूसरे प्लांट की निर्माता कंपनी जल्द तय कर ली जाएगी।
मेरठ, जेएनएन। कोरोना महामारी के बीच आक्सीजन का संकट ङोलने के बाद प्रदेश सरकार अलर्ट है। शासन ने मेडिकल कालेज से दूसरे जेनरेशन प्लांट का भी प्रस्ताव मांगा है। एक प्लांट टाटा समूह लगाएगा, वहीं दूसरे प्लांट की निर्माता कंपनी जल्द तय कर ली जाएगी। दोनों प्लांट की क्षमता दो-दो सौ सिलेंडरों की होगी। बता दें कि मेडिकल कैंपस में पांच टन की क्षमता का फिलिंग प्लांट पहले से ही है।
मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि कोरोना महामारी के दौरान कैंपस में रोजाना 15 टन आक्सीजन तक की खपत हुई। साथ ही रोजाना 500 सिलेंडर भी मंगाए गए। इसके बावजूद कई बार आक्सीजन संकट खड़ा हुआ और मरीजों के लिए गैस का प्रेशर कम करना पड़ा था। कई मरीजों की हालत भी बिगड़ गई थी। फिलिंग प्लांट के लिए लिक्विड आक्सीजन मंगाने के लिए मेडिकल प्रशासन को मोदीनगर से रुड़की तक दौड़ लगानी पड़ी। इसी बीच, मंडलायुक्त सुरेंद्र सिंह ने मेडिकल कालेज में आक्सीजन जेनरेशन प्लांट के लिए शासन से 85 लाख रुपये स्वीकृत कराए। प्रशासनिक प्रयासों का नतीजा रहा कि टाटा प्लांट लगाने पर तैयार हो गया है। इसकी क्षमता दो सौ सिलेंडरों की यानी सौ बेड को आक्सीजन देने के लिए पर्याप्त होगी। प्राचार्य डा. ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि सोमवार को महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा कार्यालय ने मेडिकल कालेज में दूसरा प्लांट लगाने के लिए प्रस्ताव मांगा है। यह प्लांट रोजाना दो सौ सिलेंडरों को भरेगा। दोनों प्लांट आटोमेटिक तकनीक पर आधारित होंगे, जो हवा से नाइट्रोजन अलग कर आक्सीजन बनाएंगे। यह आक्सीजन 95 फीसद से ज्यादा शुद्ध होगी। मेडिकल कालेज प्रशासन कैंपस में बेकार पड़े दस टन की क्षमता के आक्सीजन फिलिंग प्लांट को भी संचालित करने का प्रयास तेज कर दिया है। आपात स्थिति में मेडिकल कालेज से दूसरे अस्पतालों को आक्सीजन की आपूर्ति की जा सकेगी।
उद्योग कर रहे आक्सीजन की मांग
कोरोना की दूसरी लहर के शुरू होते ही पूरे देश में आक्सीजन का संकट खड़ा हो गया था। इसके चलते उद्योगों की आक्सीजन को बंद करके अस्पतालों को उपलब्ध कराई जा रही थी। आक्सीजन न मिलने के कारण मेरठ में भी सैकड़ों उद्योग 15 अप्रैल से बंद हैं। उद्यमियों का कहना है कि कटिंग, फेबरिकेशन और केमिकल से संबंधित उद्योंगों के साथ-साथ तमाम उद्योगों को आक्सीजन की किल्लत के कारण बंद हुए डेढ़ महीने से ज्यादा समय बीत गया है। इससे उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा है। अब कोरोना की रफ्तार कम हो गई है। आक्सीजन की मांग भी बहुत कम है। इन हालात में भी उद्योगों को आक्सीजन नहीं मिल रही है। शासन ने हालांकि उद्योगों को आक्सीजन उपलब्ध कराने का आदेश दिया है लेकिन उद्यमियों के अनुसार आक्सीजन जरूरत से काफी कम मिल पा रही है। वह भी मुसीबत ङोलकर। बता दें कि मेरठ में उद्योग को रोजाना सात मीटिक टन आक्सीजन की जरूरत पड़ती है।
हम मांग कर रहे हैं लेकिन कोई नहीं सुन रहा है
आइआइए के मेरठ चैप्टर के चेयरमैन अनुराग अग्रवाल का कहना है कि उद्योग डेढ़ महीने से बंद हैं। अभी तक तो संकट था लिहाजा किसी ने कुछ नहीं बोला लेकिन अब हालात काफी अच्छे हैं। मेरठ में सैंकड़ों उद्योग हैं, जिन्हें 80 फीसद आक्सीजन की जरूरत होती है। हमने जिलाधिकारी को पत्र भेजकर उद्योगों के लिए आक्सीजन मांगी लेकिन जरूरत से काफी कम आक्सीजन मिल पा रही है। आइआइए के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंकज गुप्ता ने बताया कि उद्योगों की मांग को सरकार तक पहुंचाया गया तो सरकार ने आदेश भी दे दिया लेकिन व्यवस्था नहीं बन पा रही है। इन हालात में उद्योगों पर बुरा असर पड़ रहा है।
मिलेगी भरपूर आक्सीजन
कमिश्नर सुरेंद्र सिंह ने बताया कि अस्पताल और मरीजों के आक्सीजन की मांग अब सीमित हो गई है। शासन ने भी अस्पतालों के लिए 72 घंटे का रिजर्व रखते हुए बाकि पूरी आक्सीजन उद्योगों की उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। उद्योगों के लिए आक्सीजन की व्यवस्था करने का प्रयास किया जा रहा है। जल्द उद्योगों को उनकी जरूरत के मुताबिक आक्सीजन उपलब्ध कराई जाएगी।