गंजापन दूर करना हो या हो जख्म भरना, ये कर देंगे खून चूसकर आपका इलाज
गंजापन दूर करना हो या गैंगरीन का इलाज, लीच थेरेपी कारगर साबित हो रही है। जोंक से खून चुसवाकर विशेषज्ञ कई मरीजों को ठीक कर चुके हैं।
मेरठ, [संतोष शुक्ल]। आयुर्वेद की सुश्रुतसंहिता में वर्णित जलौका यानी जोंक आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के लिए भी बड़ी उम्मीद बन गई है। खून चूसकर जोंकों ने गैंगरीन के कई मरीजों का पैर कटने से बचा दिया। खासकर, शुगर के मरीजों का घाव पूरी तरह ठीक हो गया। यह जीव शरीर में ऐसे रसायन छोड़ता है, जिससे छोटी नसों का थक्का घुलने से स्ट्रोक का भी खतरा कम हो जाता है। इस साल गाजियाबाद एवं मेरठ समेत देशभर में 300 से ज्यादा चिकित्सकों ने लीच थेरेपी का प्रशिक्षण लिया है।
15 जोंकों का झुंड चूस लेता है दूषित रक्त
मरीज पर 15 जोंकों के साथ करीब 45 मिनट इलाज किया जाता है, जो कई बार तीन माह तक चलता है। मेरठ के महावीर आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज के पंचकर्म विभाग की डा. निधि शर्मा ने गैंगरीन के एक मरीज को लीच थेरेपी से ठीक किया। बताया कि 30 से 45 मिनट तक मरीज के बीमार अंगों पर जोंक लगाई जाती है। यह जीव लार के जरिए ब्लड में हीरूडीन नामक रसायन छोड़ता है। यह रक्त को जमने नहीं देता और प्रदूषित रक्त जोंक चूस लेती है। जोंक मरीज के शरीर में कई अन्य पेस्टीसाइड छोड़ती है, जो गैंगरीन से ग्रसित अंगों में रक्त संचार शुरू कर देता है। इन रसायनों की वजह से घाव तेजी से भरता है।
एक जोंक की कीमत 70 रुपये तक
देहरादून के बाद अब हस्तिनापुर एवं मवाना में भी जोंक पालन शुरू कर दिया गया है। चिकित्सकों के मुताबिक एक जोंक की कीमत 70 रुपये तक होती है। लीच थेरेपी अल्सर, ठीक न होने वाले घावों, गंजापन, चर्म रोगों एवं कैंसर के जख्मों के इलाज में ज्यादा कारगर पाया गया है। विदेशों में यह थेरेपी प्लास्टिक सर्जरी में प्रयोग की जा रही है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
जोंक चिकित्सा विदेशों में तेजी से फैल रही है। मैंने शुगर के मरीजों में गैंगरीन, गंजापन, न भरने वाले घाव एवं चर्म रोगों का सफलता से इलाज किया है। इस वर्ष में तीन सौ से ज्यादा चिकित्सकों को प्रशिक्षण दे चुका हूं, जिसमें कई मेरठ के हैं। जोंक शरीर से प्रदूषित रक्त चूसकर सभी अंगों में रक्त संचार को भी दुरुस्त करती है। यह लीवर एवं अन्य अंगों का सूजन भी खत्म कर देती है।
-डा. अक्षय चौहान, चौहान आयुर्वेद, गाजियाबाद
जोंक मरीज के रक्त में हीरूडीन नामक रसायन छोड़ती है, जिससे रक्त संचार बेहतर होता है। इस थेरपी से गैंगरीन का ऐसा मरीज ठीक हो गया, जिसका पैर कटवाने की तैयारी थी। मरीज का जख्म सालभर से बना हुआ था। जोंक रक्तशोधन करती है।
-डा. निधि शर्मा, महावीर आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज