बालिका को 'वधू' बनाने पर तुल रहे परिवार वाले
एनसीआर में शामिल होने के बावजूद मेरठ में नहीं रुक रही बाल विवाह की परंपरा।
By Taruna TayalEdited By: Published: Fri, 14 Dec 2018 02:01 PM (IST)Updated: Fri, 14 Dec 2018 02:01 PM (IST)
मेरठ (जेएनएन)। आर्थिक और शैक्षिक संपदा के मामले में पश्चिम का संपन्न जनपद होने के बाद भी मेरठ के दामन पर लगा बालिका वधू बनाने का कलंक शर्म से आंखें ऊपर नहीं उठने दे रहा। बेटियां हर क्षेत्र में कामयाबी के झंडे बुलंद कर रही हैं लेकिन मां-बाप इस उड़ान को पंख देने के बजाय कम उम्र में शादी करके उनके ख्वाबों की परवाज रोकने पर आमादा हैं। सरकार के साथ-साथ तमाम गैर सरकारी संगठन भी बेटियों की उन्मुक्त उड़ान की खातिर एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं, पर उन मां-बाप का क्या करें, जो बेटियों के हाथ पीले करने को ही सबसे बड़ा फर्ज समझ बैठे हैं।
ये है मेरठ की तस्वीर
केंद्र सरकार ने 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' का नारा बुलंद कर बालिका सशक्तीकरण के लिए भी तमाम योजनाएं शुरू की। इसमें बालिका विवाह की कुरीति समाप्त करना सबसे प्रमुख है। बालिका विवाह पर लगाम के लिए सजा और जुर्माने का भी प्रावधान किया। एनसीआर में शामिल मेरठ जिले में वर्ष 2018 में ही बालिका विवाह के एक दर्जन से अधिक प्रकरण सामने आ चुके हैं। कई मामलों की शिकायत तो शादी होने के बाद जिला प्रोबेशन विभाग में पहुंची, जबकि आधा दर्जन मामलों में विभाग ने तेजी दिखाते हुए बालिकाओं को वधू बनने से बचा लिया।
हर प्रयास यहां हो रहा विफल
बालिका विवाह रोकने के लिए जागरूकता अभियान, शिक्षा, स्वरोजगार, कानूनी कार्रवाई आदि की व्यवस्था की गई है लेकिन यह कुप्रथा रुक नहीं पा रही। खुद विभाग भी मानता है कि गुपचुप ढ़ंग से बालिका विवाह कर दिए जाते हैं। कई मामलों की जांच भी चल रही हैं।
कौन करे कार्रवाई
बाल विवाह रोकने के लिए सजा और जुर्माने का प्रावधान है। ऐसे मामलों में घराती और बराती के साथ पंडित के खिलाफ भी एफआइआर दर्ज होगी। दो से सात वर्ष की सजा और दो लाख तक जुर्माना भी लगेगा। बालिका की मां को कार्रवाई से अलग रखा गया है।
ये तो सिर्फ नजीर हैं
प्रकरण-1
किला परीक्षितगढ़ क्षेत्र के गांव पसवाड़ा में परिजनों ने नौवीं कक्षा की छात्रा की जबरन शादी तय कर दी। 19 नवंबर को शादी तय की गई। गोपनीय शिकायत पर विभागीय अधिकारी छात्रा के घर पहुंचे। परिजनों को समझाया गया और कार्रवाई की चेतावनी देकर शादी रुकवाई गई।
प्रकरण-2
मेडिकल थानाक्षेत्र के मोहल्ला प्रवेश विहार में भी परिजनों ने एक साथ दो नाबालिग बहनों की शादी तय कर दी। बारात 12 दिसंबर को आनी थी। इससे पहले ही जिला प्रोबेशन विभाग की टीम छात्रा के घर पहुंची और दोनों बहनों को वधू बनने से बचा लिया गया। दोनों बहनें टीम की निगरानी में हैं।
इन्होंने कहा--
बालिका विवाह रोकने के लिए गठित टीम शिकायत मिलते ही कार्रवाई करती है। आधा दर्जन बालिकाओं की शादी रुकवाई गई है। कई बार सूचना देरी से मिलती है तो कई बार लोग गुपचुप भी बेटी की शादी कर देते हैं।
-श्रवण कुमार गुप्ता, उपमुख्य परिवीक्षा अधिकारी
ये है मेरठ की तस्वीर
केंद्र सरकार ने 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' का नारा बुलंद कर बालिका सशक्तीकरण के लिए भी तमाम योजनाएं शुरू की। इसमें बालिका विवाह की कुरीति समाप्त करना सबसे प्रमुख है। बालिका विवाह पर लगाम के लिए सजा और जुर्माने का भी प्रावधान किया। एनसीआर में शामिल मेरठ जिले में वर्ष 2018 में ही बालिका विवाह के एक दर्जन से अधिक प्रकरण सामने आ चुके हैं। कई मामलों की शिकायत तो शादी होने के बाद जिला प्रोबेशन विभाग में पहुंची, जबकि आधा दर्जन मामलों में विभाग ने तेजी दिखाते हुए बालिकाओं को वधू बनने से बचा लिया।
हर प्रयास यहां हो रहा विफल
बालिका विवाह रोकने के लिए जागरूकता अभियान, शिक्षा, स्वरोजगार, कानूनी कार्रवाई आदि की व्यवस्था की गई है लेकिन यह कुप्रथा रुक नहीं पा रही। खुद विभाग भी मानता है कि गुपचुप ढ़ंग से बालिका विवाह कर दिए जाते हैं। कई मामलों की जांच भी चल रही हैं।
कौन करे कार्रवाई
बाल विवाह रोकने के लिए सजा और जुर्माने का प्रावधान है। ऐसे मामलों में घराती और बराती के साथ पंडित के खिलाफ भी एफआइआर दर्ज होगी। दो से सात वर्ष की सजा और दो लाख तक जुर्माना भी लगेगा। बालिका की मां को कार्रवाई से अलग रखा गया है।
ये तो सिर्फ नजीर हैं
प्रकरण-1
किला परीक्षितगढ़ क्षेत्र के गांव पसवाड़ा में परिजनों ने नौवीं कक्षा की छात्रा की जबरन शादी तय कर दी। 19 नवंबर को शादी तय की गई। गोपनीय शिकायत पर विभागीय अधिकारी छात्रा के घर पहुंचे। परिजनों को समझाया गया और कार्रवाई की चेतावनी देकर शादी रुकवाई गई।
प्रकरण-2
मेडिकल थानाक्षेत्र के मोहल्ला प्रवेश विहार में भी परिजनों ने एक साथ दो नाबालिग बहनों की शादी तय कर दी। बारात 12 दिसंबर को आनी थी। इससे पहले ही जिला प्रोबेशन विभाग की टीम छात्रा के घर पहुंची और दोनों बहनों को वधू बनने से बचा लिया गया। दोनों बहनें टीम की निगरानी में हैं।
इन्होंने कहा--
बालिका विवाह रोकने के लिए गठित टीम शिकायत मिलते ही कार्रवाई करती है। आधा दर्जन बालिकाओं की शादी रुकवाई गई है। कई बार सूचना देरी से मिलती है तो कई बार लोग गुपचुप भी बेटी की शादी कर देते हैं।
-श्रवण कुमार गुप्ता, उपमुख्य परिवीक्षा अधिकारी
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