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ई इनवाइसिंग को लेकर पसोपेश में व्यापारी

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By JagranEdited By: Published: Mon, 27 Jun 2022 02:03 AM (IST)Updated: Mon, 27 Jun 2022 02:03 AM (IST)
ई इनवाइसिंग को लेकर पसोपेश में व्यापारी
ई इनवाइसिंग को लेकर पसोपेश में व्यापारी

ई इनवाइसिंग को लेकर पसोपेश में व्यापारी

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मेरठ,जेएनएन। जीएसटी के प्रविधानों में ई-इनवाइसिंग को बिजनेस टू बिजनेस लेनदेन करने वाले सभी व्यापारियों पर लागू करने की तैयारी है। अभी तक 20 करोड़ से ऊपर के टर्नओवर के व्यापारियों के लिए ई-इनवासिंग अनिवार्य है। जीएसटी विशेषज्ञों के अनुसार इससे न सिर्फ रिटर्न भरने में आसानी होगी, बल्कि नियम और कायदे से काम करने वाले व्यापारियों की इनपुट टैक्स क्रेडिट के रूप में पूंजी नहीं फंसेगी। छोटे व्यापारियों को जरूर स्टाफ के मद में अतिरिक्त खर्च करना होगा। यह आइटीसी लेने की प्रक्रिया जीएसटीआर वन में सेल की रिटर्न भरी जाती है। इसे फाइल करने की तिथि हर माह की 11 तारीख होती है जिसमें पूर्व के माह की रिटर्न भरनी होती है। जैसे मई के रिटर्न भरने की अंतिम तिथि 11 जून थी। अगर विक्रेता नियत समय पर रिटर्न भर देता है तो वह डिटेल क्रेता के टू बी में दिखाई देने लगती है। और क्रेता को इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ मिल जाता है। अगर विक्रेता 11 तारीख तक रिटर्न नहीं दाखिल करता है तो उसे आइटीसी क्लेम नहीं मिल पाता है। कई बार यह कई माह तक लटक जाता है। ऐसे में खरीदार को नुकसान होता है। जो टैक्स वह भर चुका है उसे पुन: देना होता है। अगर क्रेता आइटीसी का लाभ ले लेता है तो विभाग उसे नोटिस भेज देता है। यह होगा फायदा चार्टर्ड एकाउंटेंट केपी सिंह ने बताया कि ई-इनवाइस जारी होते ही सारा डेटा जीएसटीआर वन में आटो पोपुलेट (स्वत: दिखने लगता है) हो जाता है। ऐसे में विक्रेता को इसे बार-बार चढ़ाना नहीं पड़ता है। डेटा सीधे खरीदार के एकाउंट में स्वत: चला जाएगा। सीए काजल मंगा ने बताया कि कई बार जीएसटीआर वन में गलती से किसी पार्टी की इनवाइस दूसरे के नाम पर चढ़ जाती है। ई-इनवास में ये सभी दिक्कतें खत्म हो जाएंगी। 28 और 29 जून को होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक में पांच करोड़ से अधिक टर्नओवर के व्यापारियों में ई-इनवाइस अनिवार्य करने की तैयारी है। छोटे व्यापारियों को होगी असुविधा, बढ़ जाएगा खर्च मेरठ केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के महामंत्री रजनीश कौशल ने बताया कि ई-इनवाइस जारी करने का कार्य एक एकाउटेंट ही कर सकता है। काउंटर पर लेन देन में व्यस्त व्यापारी के पास इतना समय नहीं होता है कि वह खुद करे। बड़े व्यापारियों के लिए तो ठीक है। उनके आफिस में एकाउटेंट होता है, लेकिन छोटे व्यापारियों को इससे दिक्कत होगी। एकउटेंट रखने से खर्च बढ़ेगा।


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