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LokSabha Election 2019 : चुनावी कुरुक्षेत्र में दांव पर भाजपा के दिग्गजों की प्रतिष्ठा

लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी के तमाम दिग्गजों की प्र‍तिष्ठा भी इस बार दांव पर लगी हुई है। राज्यसभा सदस्यों पर भी लोकसभा सीट का जिम्मा सौंपा गया है।

By Ashu SinghEdited By: Published: Tue, 19 Mar 2019 11:05 AM (IST)Updated: Tue, 19 Mar 2019 11:05 AM (IST)
LokSabha Election 2019 : चुनावी कुरुक्षेत्र में दांव पर भाजपा के दिग्गजों की प्रतिष्ठा
LokSabha Election 2019 : चुनावी कुरुक्षेत्र में दांव पर भाजपा के दिग्गजों की प्रतिष्ठा
मेरठ, [संतोष शुक्ल]। चुनावी जंग में भाजपा के तमाम दिग्गजों की साख दांव पर है। खासकर,जनप्रतिनिधियों के क्षेत्रों में पार्टी के प्रदर्शन की बारीकी से परख होगी। मंत्रियों और संगठन के दिग्गजों का रिपोर्ट कार्ड बनेगा। मंत्रियों को दो-दो सीटों का चुनावी दायित्व दिया गया है, वहीं राज्यसभा सदस्यों पर अहम लोकसभा सीटों का जिम्मा है।
कांता के बहाने साधेंगे अनुसूचित जाति
पश्चिमी उप्र में अनुसूचित जाति मायावती का परंपरागत वोटर रहा है। 2014 के लोकसभा चुनावों में वाल्मीकि व खटीक वोटों में सेंधमारी के जरिए भाजपा ने माया का किला ढहा दिया, लेकिन दो वर्ष पहले अनुसूचित जाति की राजनीति में तेजी से चर्चित हुए चंद्रशेखर ने तमाम बड़े दलों की धड़कन बढ़ा दी। भाजपा ने इसकी काट में अनुसूचित जातियों को साधने के लिए राज्यसभा सदस्य कांता कर्दम को सहारनपुर का प्रभारी बनाया। उन पर कैराना लोकसभा का भी जिम्मा है। कांता कर्दम सालभर से सहारनपुर में लगातार बैठकें कर रही हैं। गत वर्ष उपचुनावों में भी वो लगातार कैराना में बनी रहीं। भीम आर्मी और बसपा की जमीनी पकड़ देखते हुए कांता की भी प्रतिष्ठा फंसी है।
किसानों को साधेंगे विजयपाल
राज्यसभा सदस्य विजयपाल सिंह तोमर गाजियाबाद शहर के प्रभारी बनाए गए हैं। इस सीट पर क्षत्रिय मतों की तादात ज्यादा है। विजयपाल भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे हैं, जिन पर दोनों वर्ग को जोड़ने का दायित्व है। इस सीट को भाजपा के लिए अपेक्षाकृत आसान कहा जा रहा है, ऐसे में वह कोई चूक नहीं करना चाह रहे हैं। पार्टी उन्हें किसान चेहरे के रूप में भी प्रचार में आजमाएगी। मेरठ-हापुड़ पर कैंट विधायक सत्यप्रकाश अग्रवाल, दक्षिण विधायक डॉ. सोमेंद्र तोमर और किठौर विधायक सत्यवीर त्यागी की प्रतिष्ठा दांव पर है। उनके प्रदर्शन पर संगठन की नजरें हैं। उधर, हस्तिनापुर विधायक दिनेश खटीक बिजनौर और मुजफ्फरनगर, जबकि सिवालखास विधायक जीतेंद्र सिंह सतवाई बागपत सीट पर ताकत लगाएंगे।
संगठन भी पसीना-पसीना
संगठन की गहरी समझ रखने वाले प्रदेश मंत्री देवेंद्र सिंह बागपत के प्रभारी बनाए गए हैं। इससे पहले उन्होंने कैराना उपचुनावों में प्रभारी की भूमिका निभाई, लेकिन गठबंधन के साथ बागपत का चुनावी परिदृश्य बदला हुआ है। पूर्व विधायक अमित अग्रवाल गौतमबुद्धनगर के प्रभारी के तौर पर तमाम चुनावी बैठकें कर चुके हैं। कार्यकर्ताओं की मानें तो इस सीट पर सांसद डॉ. महेश शर्मा का विरोध भी पार्टी के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। इधर, हापुड़ के प्रभारी संजीव सिक्का ग्रामीण क्षेत्रों में सक्रिय हैं। पूर्व मंत्री वीरेंद्र सिंह मेरठ के प्रभारी बनाए गए हैं। पार्टी की रणनीतिक तैयारी पर उनकी कोई बड़ी छाप नजर नहीं आई है। प्रदेश प्रवक्ता डॉ.चंद्रमोहन रामपुर के प्रभारी बनाए गए हैं, जहां का समीकरण पार्टी के लिए हमेशा चुनौतीपूर्ण रहा है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ.लक्ष्मीकांत वाजपेयी को चुनावी दृष्टि से मुरादाबाद, संभल और रामपुर का प्रभारी बनाया गया है। यहां पार्टी की डगर कठिन है।
मंत्रीजी थक न जाएं..
पश्चिमी उप्र की सभी सीटों के लिए योगी सरकार के एक-एक मंत्री पर दो सीटों का जिम्मा दिया गया है, लेकिन संगठन से जमीन तक इनकी विशेष पकड़ नजर नहीं आ रही। कैराना लोकसभा उपचुनावों में सहारनपुर की सीटों पर पार्टी पिछड़ गई थी, लेकिन यहां के मंत्री धर्मसिंह सैनी को मेरठ व बागपत का दायित्व दिया गया है। यहां इनकी खास पकड़ नहीं है। राज्यमंत्री अतुल गर्ग गौतमबुद्धनगर, चेतन चौहान नगीना व पंचायती राज्यमंत्री भूपेंद्र सिंह कैराना, राज्यमंत्री बलराज सिंह औलख मुजफ्फरनगर, गन्ना विकास मंत्री सुरेश राणा को सहारनपुर व बिजनौर, जबकि चेतन चौहान नगीना संभालेंगे। 

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