Fight Against Corona: दुबक गया कोरोना जब छोटकी बहू ने संभाली कमान, सहारनपुर के गांव की महिलाएं बनीं मिसाल
सहारनपुर के कोला खेड़ी गांव की महिलाओं ने कोरोना से जंग में बचाव और जागरूकता की ऐसी शानदार पहल की कि हर परिवार आशवस्त हो गया कि कोरोना गांव में नहीं घुस पाएगा।
सहारनपुर, [राजकिशोर कौशिक]। Fight Against Corona उत्तर प्रदेश के सहारनपुर का कोला खेड़ी गांव। गांव की महिलाओं ने कोरोना से जंग में बचाव और जागरूकता की ऐसी शानदार पहल की कि हर परिवार आशवस्त हो गया कि अब कोरोना का गांव में घुस पाना नामुमकिन है। महिलाओं को लेकर इस जंग की कमान संभाली गांव की छोटकी बहू कविता ने। इसके बाद तो दूसरी महिलाएं भी साथ हो लीं। इस बचाव दल ने प्रवासियों को गांव में आने से रोका, बात नहीं बनी तो गांव के प्रवेश मार्गों पर बैरिकेडिंग कर दी। कुछ लोग फिर भी नहीं माने तो महिलाओं ने लाठी उठा ली। आखिर, गांव वालों ने सहयोग किया। आज गांव भी सुरक्षित है और ग्रामीण भी।
महिलाओं का दल फैला रहा जागरूकता
प्रयासों की कहानी यहीं खत्म नहीं होती। महिलाओं का यह दल गांव में मास्क और सैनिटाइजर को लेकर जागरूकता फैला रहा है। गली-नुक्कड़ से लेकर खेतों तक यह टीम पहुंचती है और सबको कोरोना से बचाव के तरीके बताती है। स्नातक कर चुकीं कविता के पति संजीत कुमार एक चीनी मिल में सुपरवाइजर हैं। कविता बताती हैं कि गांव को संक्रमण से बचाना बड़ी चुनौती थी।
मास्क की उपयोगिता समझाई
गांव वाले मास्क लगाने को तैयार नहीं थे। ऐसे में हम महिलाओं को साथ लेकर घर-घर गए और मास्क का महत्व बताया, मास्क बनाना भी सिखाया। बहरहाल, इसके बाद मास्क का उपयोग तो शुरू हो गया, लेकिन सफाई के प्रति जागरूकता अभी बाकी थी। सैनिटाइजर की भी कमी थी। ऐसे में ग्रामीणों को उपलब्ध देसी संसाधन से घर में ही सैनिटाइजर बनाने का तरीका सिखाना शुरू किया। अब महिलाएं फिटकरी और नीम की मदद से देसी सैनिटाइजर बनाती हैं।
प्रधान बोले-प्रयास अनुकरणीय
लगभग तीन हजार की आबादी वाले कोला खेड़ी गांव के प्रधान नेत्रपाल सिंह बताते हैं कि कोरोना काल में महिलाओं का यह प्रयास अनुकरणीय है। गांव को कोरोना संकट से बचाने में इस महिला बचाव दल ने जागरूकता अभियान चला रखा है, बैरिकेडिंग पर मोर्चा संभालती हैं और देसी सैनिटाइजर से लोगों को सुरक्षित रखती हैं। इनके अथक प्रयासों से गांव को संक्रमण मुक्त रखने में काफी मदद मिली है।
लाठी थामे देती हैं पहरा..
महिलाओं के लिए यह सब आसान नहीं था क्योंकि घर की जिम्मेदारी भी थी। ऐसे में सभी महिलाओं ने तय किया कि इस संकटकाल में घर का काम जल्दी निपटाकर इस लड़ाई को भी वक्त देना होगा। बीते दो महीने से महिलाओं का यह दल इस मोर्चे पर डटा है। दिन के अधिकांश समय में हाथों में लाठी-डंडे लेकर महिलाएं सड़क पर रहती हैं। किसी नए व्?यक्ति के गांव पहुंचने पर उसे पहले क्वारंटाइन केंद्र पर जाने की सलाह देती हैं। सख्ती करने से भी नहीं हिचकतीं। इस कार्य में सुनो शर्मा, रीना देवी, बबीता, सीतो देवी, राजेश, सोनिया, नीलम आदि रोज बढ़-चढ़कर भागीदारी करती हैं। नतीजा, यह गांव कोरोना संक्रमण से सुरक्षित है।