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मेरठ में IMEI नंबर बदलकर मोबाइल बेचने वाले तीन बदमाश गिरफ्तार, तीन लाख के फोन मिले

Meerut Crime News मेरठ में तीन ऐसे बदमाशों को पकड़ा है जो कि आईएमईआई बदलकर मोबाइल बेच देते थे। तीन लाख कीमत के 22 मोबाइल मिले बाइकर्स गैंग के सदस्य आरोपित। आईएमईआई बदलने वाले की इंजीनियर की तलाश में पुलिस।

By Prem Dutt BhattEdited By: Published: Fri, 12 Aug 2022 08:00 AM (IST)Updated: Fri, 12 Aug 2022 08:00 AM (IST)
मेरठ में IMEI नंबर बदलकर मोबाइल बेचने वाले तीन बदमाश गिरफ्तार, तीन लाख के फोन मिले
IMEI number change आईएमईआई बदलकर मोबाइल बेचने वाले बदमाश पुलिस ने पकड़े हैं।

मेरठ, जागरण संवाददाता। Meerut Crime News मेरठ में आईएमईआई बदलकर मोबाइल बेचने वाले तीन बदमाशों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उनके पास से तीन लाख रूपये की कीमत के 22 एंड्राइड मोबाइल मिले है। आरोपित बाइकर्स गैंग के सदस्य है जो दिन शाम ही लूट और चोरी की घटना का अंजाम देते थे।

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इंजीनियर की तलाश

पुलिस ने बदमाशों की निशानदेही पर आईएमईआई बदलने वाले इंजीनियर की तलाश में दबिश दी। लेकिन आरोपित पुलिस को नहीं मिला। थाना पुलिस सर्विलांस टीम की मदद से इनके अन्य साथियों की तलाश कर रही है।

पुलिस को ऐसे मिली सूचना

लिसाड़ी गेट इंस्पेक्टर उत्तम सिंह राठौर ने बताया कि बीते दिनों क्षेत्र में मोबाइल लूट वारदात हुई थी। घटना स्थल के आसपास की फुटेज खंगालने पर दो बदमाशों की पहचान हो गई। गुरूवार दोपहर पुलिस को सूचना मिली की आरोपित कंजर वाले पुल के समीप घूम रहे है। उन्होंने घेराबंदी कर शाहरिन पुत्र नफीस सैफी निवासी बदरू वाली गली जाकिर कालोनी और इमरान उर्फ शानू पुत्र मोहम्मद इकबाल निवासी गली नंबर-तीन आर होटल वाली गली के सामने श्यामनगर को गिरफ्तार कर लिया।

बदले में मिलती मोटी रकम

पुलिस पूछताछ में बदमाशों ने बताया कि वे शाम होते ही शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में बाइक पर सवार होकर मोबाइल लूट की वारदात करते थे। उसके बाद लूट के मोबाइल को इमरान पुत्र उस्मान निवासी गली नंबर-छ हरी मस्जिद को बेच देते थे। उसकी मोबाइल की दुकान है, जो लूट के मोबाइल का एक साफ्टवेयर इंजीनियर से आईएमईआई नंबर बदलवा देता था। जिसके बाद उनकी मोटी कीमत मिलती थी। पुलिस साफ्टवेयर इंजीनियर की तलाश कर रही है।

छोटे फोन के आईएमईआई से चलाते थे एंड्राइड फोन

पुलिस पूछताछ में बदमाशों ने बताया कि साफ्टवेयर इंजीनियर घरों से पुराने मोबाइल खरीदने वाले कबाड़ी से संपर्क कर उनसे मोबाइल खरीद लेता था। इसके बाद लूट के मोबाइल के आईएमईआई नंबर क्रेस कर छोटे मोबाइल का आईएमईआई नंबर साफ्टवेयर के द्वारा एंड्राइड मोबाइल में अपलोड कर देता था। इसी वजह से सर्विलांस टीम से भी आरोपितों को ट्रेस नहीं कर पाती थी। वे इन मोबाइलों को छोटे-छोटे दुकानदारों द्वार मार्केट में बेचते थे। 


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