कैंट अस्पताल के दवा घोटाले में तीन आरोपित गिरफ्तार
कैंटोनमेंट अस्पताल में हुए दवा खरीद घोटाले में शनिवार को सीबीआइ ने तीन आरोपितों डा. आराधना पाठक तत्कालीन आरएमओ कंपाउंडर सुशील कुमार और रोहित कौशल को गिरफ्तार कर सीबीआइ कोर्ट में पेश किया। इसके बाद तीनों को जेल भेज दिया गया।
मेरठ । कैंटोनमेंट अस्पताल में हुए दवा खरीद घोटाले में शनिवार को सीबीआइ ने तीन आरोपितों डा. आराधना पाठक तत्कालीन आरएमओ, कंपाउंडर सुशील कुमार और रोहित कौशल को गिरफ्तार कर सीबीआइ कोर्ट में पेश किया। इसके बाद तीनों को जेल भेज दिया गया।
सीबीआइ के लोक अभियोजक कुलदीप पुष्कर ने अदालत को बताया कि 2011 से 2015 के बीच 23.46 लाख रुपये के दवा घोटाला हुआ था। सीबीआइ ने तत्कालीन सीईओ एसएस चहल, तत्कालीन आरएमओ डा. आराधना पाठक, कंपाउंडर सुशील कुमार, वेटनरी इंस्पेक्टर और कार्यालय अधीक्षण एमए जफर, गौरव अरोड़ा, विनीत शर्मा, रोहित कौशल, मेसर्स अरोड़ा फार्मास्युटिक्लस, मेसर्स वेलकेम फार्मास्युटिकल्स व गुप्ता मेडिकल एजेंसी को आरोपित किया। सीबीआइ ने दस आरोपितों के खिलाफ सीबीआइ कोर्ट में चार्जशीट पेश की थी। अदालत ने चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए 14 मार्च को सभी सात आरोपितों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था। शनिवार की शाम तीन आरोपितों को सीबीआइ ने गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश कर दिया। कोर्ट के पीठासीन अधिकारी राजेंद्र प्रसाद ने तीनों को जेल भेज दिया। कार्यालय से सीबीआइ ने पकड़ा
शनिवार को सीबीआइ की टीम कैंट बोर्ड कार्यालय पहुंची। कार्यालय अधीक्षक एमए जफर के आफिस में बैठकर उन्होंने डा. आराधना पाठक, सुशील कुमार और रोहित को बुलाया। तब तक किसी को यह पता नहीं चला कि सीबीआइ गिरफ्तार करने के लिए आई है। बाद में आशंका भांपते हुए एमए जफर पीछे के रास्ते से निकल गए। बताया जा रहा है कि वह बहाना बनाकर सीबीआइ के सामने से निकल गए। इसकी जानकारी होने पर सीबीआइ ने नाराजगी जताई। उधर, दवा के सप्लायर राजीव अरोड़ा, विनीत शर्मा, सरला शर्मा भी सीबीआइ की पकड़ से बाहर हैं। शनिवार को सीबीआइ की टीम के आने और कर्मचारियों को उठाए जाने के बाद बोर्ड में हड़कंप मचा रहा। चारो तरफ सन्नाटा पसरा रहा।
कैंट बोर्ड की कमेटी कर रही है जांच
कुछ समय पहले सीबीआइ ने दवा घोटाले के मामले में सभी आरोपितों पर चार्जशीट दाखिल करने के लिए अनुमति मांगी थी। जिसे अनुमति नहीं दी गई। बोर्ड ने खुद को स्वायत्त संस्था बताया था। बाद में सदस्य विपिन सोढ़ी, अनिल जैन और मेजर काशी विश्वनाथ की जांच कमेटी बनाई गई। यह समिति कैंट अधिनियम के तहत जांच कर रही हैं कि दवा खरीद में किसी तरह की गड़बड़ी हुई थी या नहीं। अप्रैल तक समिति अपनी रिपोर्ट देगी। समिति के एक सदस्य का कहना है कि सभी दवा ब्रांडेड खरीदी गई थीं, साल्ट एक होने पर भी दवाओं की कंपनियों के हिसाब से रेट तय होते हैं। सीबीआइ ने जिस आधार पर गबन का आधार बनाया है, वह सही नही है।