जिन्हें छूकर भी निकल चुका कोरोना.. वो सुरक्षित
कोरोना के ओमिक्रोन वैरिएंट को लेकर डरने की जरूरत नहीं है।
मेरठ,जेएनएन। कोरोना के ओमिक्रोन वैरिएंट को लेकर डरने की जरूरत नहीं है। सिर्फ मास्क लगाने और शारीरिक दूरी बनाने से संक्रमण से बचा जा सकता है। विशेषज्ञों का दावा है कि पिछली लहर में भारत की बड़ी आबादी में एंटीबाडी मिली है, जो ओमिक्रोन के कहर को धीमा कर देगी। टीकाकरण से भी बचाव मिलेगा। उधर, डब्ल्यूएचओ ने भी इस वैरिएंट को डेल्टा से कम खतरनाक बताया है।
मरीजों में नहीं घट रही आक्सीजन
मेडिकल कालेज के प्रोफेसर डा. अरविंद का कहना है कि कोरोना वायरस के डेल्टा वैरिएंट में करीब नौ म्यूटेशन यानी बदलाव मिले थे। मार्च 2021 में संक्रमित यह वैरिएंट बेहद खतरनाक साबित हुआ, लेकिन बाद में 80 प्रतिशत लोगों में हर्ड इम्युनिटी बन गई। अब दक्षिण अफ्रीका में 24 नवंबर को मिले ओमिक्रोन ने चिकित्सकों की धड़कन बढ़ा दी है। इस नए वैरिएंट में वायरस की स्पाइक प्रोटीन पर 32 से ज्यादा म्यूटेशन मिले हैं इसलिए तीन से छह गुना संक्रामक माना जा रहा है। लेकिन इस वैरिएंट से संक्रमितों में निमोनिया, मल्टीआर्गन फेल्योर व आक्सीजन की कमी नहीं आ रही है।
हर म्यूटेशन खतरनाक नहीं
मेडिकल कालेज के माइक्रोबायोलोजिस्ट डा. अमित गर्ग ने बताया कि स्पाइक प्रोटीन में बड़ा बदलाव हुआ है, लेकिन हर परिवर्तन खतरनाक होगा, ये जरूरी नहीं। कई बार बदलाव से वायरस कमजोर भी पड़ सकता है।
जिला अस्पताल के इमरजेंसी मेडिकल अफसर डा. यशवीर सिंह ने बताया कि अफ्रीका और भारत के लोगों की आनुवंशिक बनावट और भौगोलिक वातावरण से प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा होती है। सीएमओ डा. अखिलेश मोहन का कहना है कि सीरो सर्वे में 80 प्रतिशत से ज्यादा लोग संक्रमित मिले थे, जिसकी प्रतिरक्षा ओमिक्रोन के खिलाफ भी काम करेगी।
लेकिन मास्क जरूरी है
विशेषज्ञों का कहना है कि भले ही किसी को कोरोना संक्रमण पूर्व में हुआ हो अथवा नहीं, प्रत्येक व्यक्ति के लिए मास्क पहनना जरूरी है। मास्क की आदत अन्य कई संक्रमण और समस्याओं से भी रक्षा करती है।