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अंग्रेजी हुकूमत से चली आ रही यह व्यवस्था आज तक भी लिखा-पढ़ी के साथ अमल में, जाने क्‍या है चोर पहरा

पुलिस अफसरों की रखवाली में लगता है चोर पहरा। ब्रिटिश हूकूमत में शुरू हुई व्यवस्था आज तक कायम। अवांछनीय तत्वों पर नजर रखने को लगती है विशेष ड्यूटी।

By Taruna TayalEdited By: Published: Fri, 31 Jul 2020 06:00 AM (IST)Updated: Fri, 31 Jul 2020 08:55 AM (IST)
अंग्रेजी हुकूमत से चली आ रही यह व्यवस्था आज तक भी लिखा-पढ़ी के साथ अमल में, जाने क्‍या है चोर पहरा
अंग्रेजी हुकूमत से चली आ रही यह व्यवस्था आज तक भी लिखा-पढ़ी के साथ अमल में, जाने क्‍या है चोर पहरा

सहारनपुर, [मनोज मिश्रा]। पुलिस महकमे के बड़े अफसरों के घर के बाहर चोर पहरा...। यह बात सुनने में कुछ अटपटी सी लगती है लेकिन अंग्रेजी हुकूमत से चली आ रही यह व्यवस्था आज तक भी लिखा-पढ़ी के साथ अमल में है। पुलिस अफसरों के बंगले पर सशस्त्र पुलिस मुस्तैदी के बावजूद रोजाना रात छह घंटे की विशेष ड्यूटी चोर पहरा की लगाई जाती है। पहरेदार पूरी रात बंगले के बाहर अवांछनीय तत्वों पर नजर रखता है।

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चोर पहरे की व्यवस्था 

पुलिस विभाग में आजादी के पहले से चोर पहरे की व्यवस्था चली आ रही है। खासकर एसएसपी, डीआइजी बंगले पर सशस्त्र पुलिस बल मुस्तैद रहता है। चोर पहरा देने वाला बंगले की चाहरदीवारी व आसपास खड़े पेड़ों पर नजर रखता है, ताकि कोई किसी रास्ते से बंगले में दाखिल न हो। रात 10 से सुबह चार बजे तक लगने वाली इस ड्यूटी में तेज तर्रार सिपाही की ड्यूटी लगाई जाती है। उसके पास डंडा व सीटी होती है। सीटी मदद मांगने की खातिर रहती है।

जंगली पशुओं से सुरक्षा की थी व्यवस्था

अंग्रेजी हुकूमत काल में जंगली-जानवरों का खतरा ज्यादा रहता था। कई बार पशु-पक्षी आवास में घुस जाते थे। इन्हीं से सुरक्षा के मद्देनजर उस समय चोर पहरे की व्यवस्था की गई थी। देश आजाद हो गया लेकिन यह व्यवस्था आज तक चली आ रही है।

इन्‍हाेेंने बताया 

अफसरों के बंगले में चोर पहरे की व्यवस्था दशकों से चली आ रही है। रोजाना रात को विशेष ड्यूटी लगाई जाती है। सिपाही ड्यूटी कर रहा है या नहीं, इसे जांचने के लिए कई बार रात को चेङ्क्षकग भी की जाती है।

- अजय कुमार श्रीवास्तव, आरआई, रिजर्व पुलिस लाइन


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