इस प्रतियोगिता में होती है घोड़े के ‘धैर्य’ की परीक्षा, सीमित रखनी होती है रफ्तार
घुड़सवारी प्रतियोगिताओं में एक स्पर्धा बड़ी दिलचस्प है। इसमें घोड़े की रफ्तार नहीं उसका धैर्य विजय दिलाता है। यह दौड़ 20 से लेकर 80 किलोमीटर तक की होती है।
By Ashu SinghEdited By: Published: Sun, 20 Jan 2019 11:24 AM (IST)Updated: Sun, 20 Jan 2019 11:24 AM (IST)
मेरठ, [अमित तिवारी]। घुड़सवारी की प्रतियोगिताओं में कई तरह के इवेंट होते हैं। इनमें घोड़े और घुड़सवार के आपसी तालमेल को परखा जाता है। इसमें से एक है एंडुरेंस चैंपियनशिप। एंडुरेंस का मतलब धैर्य होता है। इस प्रतियोगिता में घुड़सवार को घोड़े के साथ लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। इस सफर में घुड़सवार और घोड़े को बेहद धैर्य के साथ आगे बढ़ना पड़ता है जिससे घोड़े की धड़कन काबू में रहे। इसमें 16 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से ही घोड़े को ले जाने की इजाजत होती है। इक्वेस्ट्रियन फेडरेशन ऑफ इंडिया की ओर से नेशनल ऑल इंडिया ओपन एंड रीजनल इक्वेस्ट्रियन चैंपियनशिप, एंडुरेंस आयोजित की जा रही है। आठ से 10 फरवरी तक लोनावला में आयोजित इस प्रतियोगिता में आरवीसी सेंटर एंड कालेज के घुड़सवार भी हिस्सा लेंगे।
मेडिकल जांच के बाद ही
एंडुरेंस में भाग लेने से पहले घोड़े को वेटनरी टेस्ट पास करना पड़ता है। एंडुरेंस की प्रतियोगिता में सफर में अनिवार्य पड़ाव होते हैं जहां घोड़े को ठंडा करना पड़ता है। रुकने के 20 मिनट के बाद घोड़े की हृदय गति 64 बीट्स प्रति मिनट या उससे कम होनी चाहिए। ऐसा होने पर ही घोड़े को आगे की प्रतियोगिता के लिए फिट पाया जाता है। 20 मिनट में पल्स डाउन न होने पर घोड़े की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उसे डिस्क्वालीफाई कर दिया जाता है।
20 किमी होती है न्यूनतम दूरी
एंडुरेंस प्रतियोगिता में 20 किमी या उससे अधिक की दौड़ होती है। इसके बाद 40, 60 और 80 किमी तक की प्रतियोगिता होती है। प्रतियोगिता शुरू होने के बाद घुड़सवार अपनी सुविधा के अनुसार रफ्तार में घोड़े को ले जा सकते हैं लेकिन निर्धारित समय में पहले पहुंचने वाले ही विजेता होते हैं। इस दौरान कोई घुड़सवार मनमानी स्पीड में नहीं जा सकता है। अनिवार्य चेक प्वाइंट पर रुक कर घोड़े को पानी पिलाना भी अनिवार्य है।
सेना के लिए बनी एंडुरेंस राइडिंग
1900 की शुरुआत में एंडुरेंस राइडिंग की शुरुआत सेना के घुड़सवारों के लिए किया गया था। उन्हें पांच दिनों तक करीब 300 मील यानी 483 किलोमीटर तक चलने के लिए प्रशिक्षित किया गया। कैवेलरी टेस्ट को 1950 की शुरुआत में स्पोर्ट्स से जोड़ा गया। दूरी कम होती गई और प्रतिभागिता बढ़ती गई। 1978 में फेडरेशन इक्वेस्टर इंटरनेशनल (एफईआइ) ने एंडुरेंस को इंटरनेशनल स्पोर्ट की मान्यता दी। साल 2006 में एफईआइ ने यूरोप, एशिया, अमेरिकन कंटीनेंट आदि में एंडुरेंस प्रतियोगिताएं आयोजित की जिसमें 49 देशों से हिस्सा लिया।
मेडिकल जांच के बाद ही
एंडुरेंस में भाग लेने से पहले घोड़े को वेटनरी टेस्ट पास करना पड़ता है। एंडुरेंस की प्रतियोगिता में सफर में अनिवार्य पड़ाव होते हैं जहां घोड़े को ठंडा करना पड़ता है। रुकने के 20 मिनट के बाद घोड़े की हृदय गति 64 बीट्स प्रति मिनट या उससे कम होनी चाहिए। ऐसा होने पर ही घोड़े को आगे की प्रतियोगिता के लिए फिट पाया जाता है। 20 मिनट में पल्स डाउन न होने पर घोड़े की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उसे डिस्क्वालीफाई कर दिया जाता है।
20 किमी होती है न्यूनतम दूरी
एंडुरेंस प्रतियोगिता में 20 किमी या उससे अधिक की दौड़ होती है। इसके बाद 40, 60 और 80 किमी तक की प्रतियोगिता होती है। प्रतियोगिता शुरू होने के बाद घुड़सवार अपनी सुविधा के अनुसार रफ्तार में घोड़े को ले जा सकते हैं लेकिन निर्धारित समय में पहले पहुंचने वाले ही विजेता होते हैं। इस दौरान कोई घुड़सवार मनमानी स्पीड में नहीं जा सकता है। अनिवार्य चेक प्वाइंट पर रुक कर घोड़े को पानी पिलाना भी अनिवार्य है।
सेना के लिए बनी एंडुरेंस राइडिंग
1900 की शुरुआत में एंडुरेंस राइडिंग की शुरुआत सेना के घुड़सवारों के लिए किया गया था। उन्हें पांच दिनों तक करीब 300 मील यानी 483 किलोमीटर तक चलने के लिए प्रशिक्षित किया गया। कैवेलरी टेस्ट को 1950 की शुरुआत में स्पोर्ट्स से जोड़ा गया। दूरी कम होती गई और प्रतिभागिता बढ़ती गई। 1978 में फेडरेशन इक्वेस्टर इंटरनेशनल (एफईआइ) ने एंडुरेंस को इंटरनेशनल स्पोर्ट की मान्यता दी। साल 2006 में एफईआइ ने यूरोप, एशिया, अमेरिकन कंटीनेंट आदि में एंडुरेंस प्रतियोगिताएं आयोजित की जिसमें 49 देशों से हिस्सा लिया।
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