हाशिमपुरा कांड : 156 सुबूत लेकर सुप्रीम कोर्ट जाएंगे दोषी ठहराए गए सिपाही
दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सभी दोषी सिपाही सुप्रीम कोर्ट की शरण में जाएंगे। अधिकतर दोषी सिपाही रिटायर्ड हो चुके हैं।
मेरठ (सर्वेंद्र पुंडीर)। दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सभी दोषी सिपाही सुप्रीम कोर्ट की शरण में जाएंगे। दैनिक जागरण से बातचीत में पांच सिपाहियों ने बताया कि वे 22 नवंबर से पहले सरेंडर करेंगे और इसके बाद 6000 पेज की फाइल में बेगुनाही के 156 सुबूत लेकर सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। आरोपितों के दोनों अधिवक्ताओं ने फाइल को लगभग तैयार कर लिया है। अधिकतर दोषी सिपाही रिटायर्ड हो चुके हैं।
सिपाहियों ने खुद को बेकसूर बताया
दिल्ली हाईकोर्ट से सजा पाने वाले सिपाही सुरेश चंद शर्मा मूलरूप से अलीगढ़ के सोमना गांव के रहने वाले हैं, जबकि मोहकम सिंह इटावा के जवाहरपुरा, हमबीर सिंह अलीगढ़ के नरुपुरा, रामबीर सिंह बुलंदशहर के डिबाई, निरंजन लाल इटावा निवासी हैं। इन सिपाहियों ने खुद को बेकसूर बताया। उनका कहना है कि वे दी हुई तारीख 22 नवंबर से पहले कोर्ट में सरेंडर करने के बाद जेल चले जाएंगे। हमबीर सिपाही की तैनाती वर्तमान में आगरा ट्रैफिक पुलिस विभाग में है। बाकी चारों सिपाही रिटायर्ड हो चुके हैं। इन सिपाहियों के सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता ने बताया कि उन्होंने उस फाइल को तैयार कर लिया है, जिसकी बिनाह पर सभी 16 जवान बरी हुए थे। वे 156 सुबूत हैं।
यह है मामला
22 मई 1987 को जुमे की नमाज के बाद मेरठ के हाशिमपुरा व आसपास के मोहल्लों में तलाशी व गिरफ्तारी अभियान चलाया था। इस दौरान पुरुषों व बच्चों को हाशिमपुरा मोहल्ले के बाहर मुख्य सड़क पर एकत्रित कर वहां मौजूद पीएसी के जवानों के हवाले कर दिया गया था। पूरे इलाके से 644 मुस्लिमों को गिरफ्तार किया गया था। इनमें हाशिमपुरा के 42 से 45 युवक भी शामिल थे। इन्हें पीएसी के ट्रक में बैठाया गया। ट्रक में मौजूद पीएसी की 41वीं बटालियन के 19 जवानों ने 40 युवकों की हत्या कर मुरादनगर की गंगनहर व गाजियाबाद की हिंडन नहर में फेंक दिया था। पांच युवकों ने किसी तरह अपनी जान बचाई थी। इन्हीं की गवाही पर अब हाईकोर्ट दिल्ली ने 16 जवानों को उम्रकैद की सजा सुनाई है।