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तंत्र के गण : ये करते हैं कूड़ा बीनने वालों के लिए भोजन का जुगाड़ Meerut News

आर्थिक तौर से ही नहीं बल्कि मानसिक तौर से भी गरीबी का उन्मूलन नहीं हो पा रहा है। ऐसे में शहर निवासी युवा आयुष मित्तल का आइडिया गरीबी उन्मूलन के लिए कारगर साबित होने वाला है।

By Prem BhattEdited By: Published: Mon, 20 Jan 2020 10:15 AM (IST)Updated: Mon, 20 Jan 2020 10:15 AM (IST)
तंत्र के गण : ये करते हैं कूड़ा बीनने वालों के लिए भोजन का जुगाड़ Meerut News
तंत्र के गण : ये करते हैं कूड़ा बीनने वालों के लिए भोजन का जुगाड़ Meerut News

मेरठ, [प्रदीप द्विवेदी]। कूड़ा बीनने वाला खालिद ‘वेस्ट टू कैफे’में बड़ी तेजी से चार प्लेट चावल-छोले खा गया तो उसने तसल्ली से आशीर्वाद दिया। उसने बताया कि कूड़े में मिले लोहे को बेचकर कुछ पैसे जरूर मिल गए थे, जिससे वह किसी ठेले पर ही सही थोड़ा ही भोजन कर सकता था, लेकिन कूड़ा बीनने वाला होने के कारण उसे भोजन नहीं दिया गया। इस वजह से उन जैसे कूड़ा बीनने वालों को भूखे भी रहना पड़ता था, पर अब उनका पेट भरने वाला कोई आ गया है।

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गरीबी उन्मूलन के लिए आइडिया

आर्थिक तौर से ही नहीं, बल्कि मानसिक तौर से भी गरीबी का उन्मूलन नहीं हो पा रहा है। ऐसे में शहर निवासी युवा आयुष मित्तल का आइडिया गरीबी उन्मूलन के लिए कारगर साबित होने वाला है। इन्होंने वेस्ट टू कैफे की शुरुआत की है। यहां पर कूड़े बीनने वाले लोग जब एक किलो कूड़ा देते हैं, तो दो प्लेट चावल-छोले मिलते हैं और आधा किलो देने पर एक प्लेट। यह कैफे जसवंत राय अस्पताल के पास है, जहां अब बड़ी संख्या में कूड़ा बीनने वाले लोग प्रतिदिन पहुंचते हैं।

रसोई संस्‍था के साथ समझौता

आयुष ने बताया कि उन्होंने खाना बनाने के लिए सेट-अप तैयार नहीं किया है, बल्कि सब की रसोई संस्था के साथ समझौता किया है। उनके कैफे के पास ही सब की रसोई का स्टॉल है। जब लोग कूड़ा लेकर आते हैं उसके टोकन के हिसाब से प्लेट वहां से मंगवा लिए जाते हैं और गरीबों को कैफे में बैठाकर खाना खिलाया जाता है।

अब ऐसा सुकून मिलता है कि दिल खुश होता है

आयुष का कहना है कि उन्हें अब बहुत सुकून मिलता है। जब ऐसे लोग आते हैं जिन्हें भोजन नहीं नसीब नहीं होता, तो उन्हें भोजन कराकर अच्छा लगता है। कूड़ा बीनने वालों के सामने भोजन करने की समस्या सबसे बड़ी है। वे निश्शुल्क भी नहीं खा रहे बल्कि कमाकर खा रहे हैं। यह भी उनके लिए बड़ी बात है।

अंबिकापुर में है इस तरह का कैफे

छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में इस तरह का पहला कैफे खुला था जहां कूड़ा देने के बदले भोजन दिया जाता है। आयुष का कहना है कि उसे देखकर उनके मन में यह आइडिया और इसे शुरू कर दिया। वह इस कूड़े से खाद बनाते हैं।

आखिर कूड़े का करते क्या हैं आयुष

आयुष मित्तल ने स्वच्छ मेरठ नाम से संस्था बनाई है जो कूड़े से खाद बनाते हैं। इस कैफे पर जो कूड़ा लिया जाता है, उसमें जो कूड़ा खाद बनाने लायक होता है उससे खाद बनाते हैं। इस खाद को वह बाजार में बेच देते हैं। कूड़े की सामग्री लोहा, प्लास्टिक आदि को ऐसे व्यवसायी को बेच देते हैं जो कबाड़ का व्यापार करते हैं। इनकी संस्था कॉलोनियों से कूड़ा लाने वालों से भी कूड़ा खरीदती है। 


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