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ये छह कदम भर सकते हैं मेरठ नगर निगम का खजाना Meerut News

आय बढ़ाने के लिए नगर निगम के लेखा विभाग ने रोडमैप तैयार किया। वर्ष 2021-22 तक संपत्ति कर में 120 करोड़ की डिमांड जनरेट होगी।

By Taruna TayalEdited By: Published: Mon, 20 Jan 2020 01:32 PM (IST)Updated: Mon, 20 Jan 2020 01:32 PM (IST)
ये छह कदम भर सकते हैं मेरठ नगर निगम का खजाना Meerut News
ये छह कदम भर सकते हैं मेरठ नगर निगम का खजाना Meerut News

मेरठ, [दिलीप पटेल]। मेरठ नगर निगम वित्तीय संकट से जूझ रहा है। बजट के अभाव के चलते शहर में विकास कार्य नहीं हो पा रहे हैं। आए दिन निगम अधिकारियों और ठेकेदारों में भुगतान को लेकर खींचतान होती है। डांवाडोल अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए नगर निगम प्रशासन ने अपने आय के स्रोत बढ़ाकर खजाने को भरने का रोडमैप तैयार किया है। वर्तमान वित्तीय स्थिति, क्षमता को देखते हुए लेखा विभाग ने आय बढ़ाने के लिए जो संभावनाएं तलाशी हैं। इनमें सबसे अहम कचरे का वैज्ञानिक प्रबंधन है। वहीं, जीआइएस सर्वे के बाद वर्ष 2021-22 तक संपत्ति क र की डिमांड दोगुनी होने की बात कही गई है।

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ये हैं महत्वपूर्ण छह कदम

  • नगर निगम ने जीआइएस प्रणाली से घरेलू व व्यवसायिक संपत्तियों के पुर्नमूल्यांकन का कार्य शुरू कराया है। लगभग 80 से 90 हजार के बीच नई संपत्तियां रजिस्टर्ड हो जाएंगी। ये काम वर्ष 2021-22 तक पूरा होना है। निगम का दावा है कि इस काम के बाद राजस्व में वर्तमान की तुलना में न्यूनतम दोगुना लगभग 120 करोड़ संपत्ति कर की डिमांड जनरेट हो सकेगी।
  • वर्तमान में नगर निगम के स्वामित्व में कुल 973 दुकानें किराये पर दी हुई हैं, जिनसे प्रतिवर्ष कुल 45 लाख किराया प्राप्त हो रहा है। इन दुकानों के किराये को सर्किल रेट के अनुसार किए जाने का प्रस्ताव पास हो चुका है। यदि सर्किल रेट का 50 फीसद भी किराया बढ़ाया जाता है तो यह किराया प्राप्ति बढ़कर 1.5 करोड़ हो सकती है।
  • नगर निगम की अनेक मार्केट हैं, जिनकी छतों को व्यवसायिक उपयोग के लिए प्रस्ताव पास हो चुका है। आने वाले दिनों में इससे भी निगम की आय में वृद्धि की जा सकेगी।
  • नगर निगम की बड़ी संख्या में खाली जमीने हैं, जो शहर के महत्वपूर्ण स्थानों पर हैं। उन पर बारात घर, कॉम्पलेक्स आदि बनवाने पर भी विचार किया जा सकता है। इससे निगम की स्थायी आय में वृद्धि हो सकती है।
  • डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन पर यूजर चार्ज लगाने के प्रस्ताव पर सहमति मिल चुकी है। प्रति घर 50 रुपये प्रतिमाह, वार्षिक 600 रुपये की वसूली होगी, जबकि व्यवसायिक क्षेत्र में 1000 रुपये तक प्रतिमाह वसूली होगी। इससे नगर निगम को प्रतिवर्ष न्यूनतम 12.50 करोड़ की प्राप्ति होगी।
  • वित्तीय वर्ष 2019-20 में नगर निगम ने तीन कूड़ा निस्तारण प्लांट की स्थापना के लिए लगभग 25 करोड़ का प्रस्ताव पास कराया है। एक प्लांट स्थापित किया जा रहा है। दो प्लांट प्रक्रिया में हैं। इन प्लांटों से प्रतिदिन 180 टन कम्पोस्टेबल मृदा का उत्पादन होगा, जो किसानों को देने पर सरकार प्रति टन 1500 रुपये की प्रतिपूर्ति नगर निगम को प्रदान करेगी। एक वर्ष में न्यूनतम आठ करोड़ की आय होगी। वहीं, प्रतिदिन 200 टन आरडीएफ (50 पैसे प्रति किलो) के हिसाब से वार्षिक आय लगभग चार करोड़ प्राप्त होगी। अर्थात कचरे के वैज्ञानिक प्रबंधन से प्रतिवर्ष न्यूनतम 12 करोड़ की आय होगी।

एक नजर में

441 करोड़ रुपये वर्ष 2019-20 में है व्यय का अनुमान। इसमें 40 करोड़ पूर्व के शामिल

142 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल है नगर निगम का

2.80 लाख घरेलू व व्यवसायिक संपत्तियां दर्ज हैं निगम के अभिलेखों में

3.50 लाख घरेलू व व्यावसायिक संपत्तियां वर्तमान में होने का है अनुमान

293 करोड़ रुपये वित्तीय वर्ष 2018-19 में निगम को शासकीय व स्वयं के स्रोत से हुए थे प्राप्त

314 करोड़ रुपये 2018-19 में निगम ने किए थे व्यय। इसमें 21 करोड़ पूर्व का था अवशेष

400 करोड़ रुपये वित्तीय वर्ष 2019-20 में निगम को शासकीय व स्वयं के स्रोत से प्राप्त होने का अनुमान

इन्‍होंने बताया

निगम की आय बढ़ाने के लिए नई संभावनाओं को जल्द से जल्द मूर्त रूप देने की जरूरत है। साथ ही संपत्ति कर की वसूली प्रक्रिया में भी सुधार किया जा रहा है। वार्षिक डिमांड की शतप्रतिशत वसूली सुनिश्चित करनी होगी।

- संतोष कुमार शर्मा, मुख्य वित्त एवं लेखाधिकारी, नगर निगम।

निगम प्रशासन 30 फीसद ही वसूल पा रहा राजस्व

योजनाओं से मिलने वाली धनराशि को छोड़ दिया जाए तो नगर निगम अपने स्रोतों से अपने संसाधनों पर व्यय के सापेक्ष केवल 30 फीसद ही आय अर्जित कर पा रहा है। वेतन, पेंशन, आउटसोर्स, डीजल और अनुरक्षण पर होने वाले व्यय 194 करोड़ के सापेक्ष नगर निगम ने अपने स्रोतों से वर्ष 2018-19 में महज 57 करोड़ रुपये अर्जित किए थे। वित्तीय वर्ष 2019-20 में भी लगभग यही स्थिति है।

नगर निगम की वित्तीय क्षमता

  1. लगभग 2.80 लाख घरेलू व व्यवसायिक संपत्तियां निगम के अभिलेखों में दर्ज हैं। जिनके सापेक्ष प्रतिवर्ष संपत्ति कर वसूली को 60 करोड़ रुपये का बिल जारी होता है। इसके सापेक्ष गत वर्ष 38 करोड़ संपत्ति कर की वसूली की गई थी। प्रतिवर्ष चालू डिमांड का मात्र 30 प्रतिशत ही वसूली हो पा रही है। करीब 240 करोड़ संपत्ति कर बकाया है।
  2. करेत्तर आय के रूप में नगर निगम के परिसंपत्तियों, विज्ञापन, शुल्क और शमन शुल्क व अन्य मदों से लगभग आठ करोड़ रुपये की प्राप्ति हो रही है।
  3. स्टाम्प शुल्क के रूप में शासन को वास्तविक आंकड़ों के आधार पर लगभग 50 करोड़ की डिमांड भेजी गई, जिसके सापेक्ष मात्र छह करोड़ रुपये ही प्राप्त हुए हैं।
  4. वित्तीय वर्ष 2018-19 में नगर निगम का राजस्व बकाया लगभग 290 करोड़ है, जबकि सभी प्रकार की देनदारी लगभग 55 करोड़ की थी। 

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