Move to Jagran APP

इन आविष्कारकों ने मेरठ को दिलाई देश-दुनिया में पहचान

रचनात्मकता हर किसी में होती है। जो इस गुण को पहचनाकर धार देते हैं वही नए आविष्कार को जन्म देते हैं। इसके लिए वैज्ञानिक बनने या विज्ञान की पढ़ाई करने की भी जरूरत नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 21 Apr 2019 06:00 AM (IST)Updated: Sun, 21 Apr 2019 06:22 AM (IST)
इन आविष्कारकों ने मेरठ को दिलाई देश-दुनिया में पहचान
इन आविष्कारकों ने मेरठ को दिलाई देश-दुनिया में पहचान

मेरठ । रचनात्मकता हर किसी में होती है। जो इस गुण को पहचनाकर धार देते हैं, वही नए आविष्कार को जन्म देते हैं। इसके लिए वैज्ञानिक बनने या विज्ञान की पढ़ाई करने की भी जरूरत नहीं है। भारतीय 'जुगाड़' पूरी दुनिया में नए-नए व उपयोगी आविष्कारों के लिए विशेष पहचान रखते हैं। मेरठ में ऐसे कई लोग हैं, जिन्होंने कृषि, विज्ञान, शिक्षा, तकनीक आदि क्षेत्रों में तरह-तरह की रचनाएं व आविष्कार किए हैं। 21 अप्रैल का दिन 'व‌र्ल्ड क्रिएटिविटी एंड इनोवेशन डे' यानी 'विश्व रचनात्मकता व आविष्कार दिवस' के तौर पर मनाया जाता है। इस मौके पर मेरठ के ऐसे ही आविष्कारकों की रचनाओं व आविष्कारों से आपको रू-ब-रू करा रहे हैं, जिन्होंने मेरठ को अलग पहचान दिलाई है।

loksabha election banner

दो साल पहले यूएन ने की घोषणा

पिछले कुछ सालों से दुनिया के तमाम देशों में अलग-अलग तरह से इस दिवस को मनाया जाता रहा है। लोगों में भविष्य के प्रति बहु-विषयक सोच विकसित करने के लिए यूनाइटेड नेशंस ने 27 अप्रैल को घोषणा की थी कि 21 अप्रैल का दिन 'व‌र्ल्ड क्रिएटिविटी एंड इनोवेशन डे' के तौर पर मनाया जाएगा। इसे 22 अप्रैल को 'इंटरनेशनल मदर अर्थ डे' के ठीक एक दिन पहले इसीलिए रखा, ताकि लोग पृथ्वी और पर्यावरण के संरक्षण की दिशा में रचनात्मक प्रयोग करते हुए नए-नए आविष्कार करें। कई देशों में 15 से 21 अप्रैल तक 'व‌र्ल्ड क्रिएटिविटी एंड इनोवेशन वीक' भी मनाया जाता है। इस दिवस की गई गतिविधियों को www.2ष्द्ब2.श्रह्मद्द वेबसाइट पर अपलोड भी किया जा सकता है। इलेक्ट्रोबिक्स से रचना की उड़ान भरते हैं बच्चे

बच्चों की कल्पना शक्ति और रचनात्मकता बढ़ाने के लिए शाश्वत रतन ने इलेक्ट्रोब्रिक्स बनाए। पांच साल से ऊपर के बच्चे इलेक्ट्रॉनिक ब्रिक्स से अपनी कल्पना के अनुरूप तरह-तरह के डिजाइन, इलेक्ट्रॉनिक व मैकेनिकल माड्यूल आदि बना सकते हैं। इसकी उपयोगिता को देखते हुए केरल सरकार ने सभी स्कूलों में इलेक्ट्रानिक्स ब्लॉक को लागू कर दिया है। शाश्वत छोटी इंडस्ट्रियल यूनिटों के लिए आधुनिक उपकरण बेहद कम खर्च में बनाकर देते हैं, जिन्हें विदेशों से 10 गुना अधिक कीमत पर मंगाना पड़ता है। घर बैठे लेते हैं हर फ्लीट की जानकारी

मेरठ में पले-बढ़े नितिन त्यागी ने ऐसा इलेक्ट्रॉनिक सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर बनाया है, जो फ्लीट मैनेजमेंट में इस्तेमाल होता है। बड़ी-बड़ी कंपनियों में लगी कार, बसों व ट्रकों से संबंधित जानकारी हर सेकेंड मोबाइल पर उपलब्ध होती है। नितिन का हार्डवेयर वाहन में चालक की हर गतिविधि के साथ ही फ्यूल, ब्रेक लगने और रफ्तार की जानकारी सर्वर तक पहुंचाता है। इससे वाहनों को ट्रैक करना आसान है। उन्होंने अपना हार्डवेयर रूस में डिजाइन कराया और सर्वर गूगल से जुड़ा हुआ है। पिछले दिनों नितिन को अमेरिका में डिट्रॉइट में विशेष अवार्ड दिया गया। दीपक ने बनाई गियर बाइक

इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में रुचि रखने वाले दीपक चौधरी ने चार गियर वाली वाली बाइक बनाई है। यह इलेक्ट्रिक बाइक दो घंटे के चार्ज पर 60 किलोमीटर चलती है और 200 किलो वजन उठाने में सक्षम है। दीपक इसका पेटेंट कर स्टार्टअप शुरू करना चाहते हैं। इसके साथ ही उन्होंने सोलर प्लेट में इस्तेमाल होने वाली सिलिकन सेल्स विकसित की है, जो घरेलू लाइट से रिचार्ज होती है। इसे चार्ज होने के लिए सूर्य की रोशनी की जरूरत नहीं होती है। लाइट के दौरान चार्ज होती रहेगी और लाइट जाते ही इसमें लाइट जल जाती है। एनीमल हेयर सेवर से आसान हुआ काम

इदरीश खान ने सबसे पहले साइकिल के पहिये से चलने वाला 'एनीमल हेयर सेवर' बनाया। आमिर खान की फिल्म 'थ्री इडियट्स' में इस तरह के यंत्र से भेड़ के बाल काटते दिखा गया था। अपग्रेड कर इदरीश ने इसे बैट्री चालित किया, जो काम को आसान करने में ज्यादा सक्षम है। साइकिल वाले उपकरण के इस्तेमाल में दो लोगों की जरूरत होती थी लेकिन इसे एक व्यक्ति आराम से प्रयोग कर सकता है। किसी भी जानवर के बाल काटने के साथ-साथ इसे लाने-ले जाने में भी आसानी है। लंबे समय से आरवीसी सेंटर एंड कालेज के लिए काम करते हुए वह तरह-तरह के उपकरण ईजाद कर चुके हैं। इनका इस्तेमाल सेना में हो रहा है। इनमें से एक इन्फ्रा लाइट है, जिससे बीमार घोड़ों की सिकाई होती है। 'इलेक्ट्रिक स्लिंग' तैयार किया है, जिसके जरिए बीमार घोड़ों को उठाकर एक से दूसरे स्थान पर ले जाया जाता है। किसानों के हाथ मजबूत और काम किया आसान

सरधना के नानू गांव निवासी रॉबिन त्यागी ने बीटेक के बाद मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी छोड़ किसानों के काम आसान करने वाले उपकरण बनाने शुरू किए। बाहर से जो उपकरण खरीदने में किसानों को अधिक पैसे देने पड़ते हैं उसे 100-200 रुपये में बना दिया। इनमें फसल काटने का यंत्र साइथ भी है। इस दराती से किसान खड़े-खड़े ही गेहूं, बरसीम, धान आदि काट सकते हैं। यह सामान्य दराती से 10 गुना काम करता है। इसी तरह टंकी में फ्लोटिंग वाल्व का प्रयोग कर पशुओं को पानी पिलाने की मशीन बना दी। इससे बाल्टी में 24 घंटे ताजा पानी रहता है। इसमें उतना ही पानी निकलता है, जितना पशु पीते हैं। इसी तरह नीलगायों से फसल को बचाने के लिए यंत्र डिजाइन किया जो इंजन या बैट्री के बजाय हवा के झोकों से चलता है। इसकी टन-टन की आवाज से नीलगाय भाग जाती हैं। इसके बारे में रॉबिन अब तक आठ लाख किसानों को यू-ट्यूब पर बता चुके हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.