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ये आइआइटीयन बस्तियों के बच्चों को पढ़ाते तो हैं ही, जिनमें प्रतिभा दिखती है उन्‍हें अच्‍छे स्‍कूल भी भेज देते हैं Meerut News

नींव संस्था की ओर से लालकुर्ती में कक्षा लगाई गई। इसमें आइआइटी दिल्ली के पुरातन छात्र गांव व मलिन बस्ती के बच्चों को ट्यूशन देते हैं।

By Taruna TayalEdited By: Published: Tue, 14 Jan 2020 01:36 PM (IST)Updated: Tue, 14 Jan 2020 01:36 PM (IST)
ये आइआइटीयन बस्तियों के बच्चों को पढ़ाते तो हैं ही, जिनमें प्रतिभा दिखती है उन्‍हें अच्‍छे स्‍कूल भी भेज देते हैं Meerut News
ये आइआइटीयन बस्तियों के बच्चों को पढ़ाते तो हैं ही, जिनमें प्रतिभा दिखती है उन्‍हें अच्‍छे स्‍कूल भी भेज देते हैं Meerut News

मेरठ, [प्रदीप द्विवेदी]। आइआइटी दिल्ली के पुरातन छात्रों का प्रयास अनूठा है। ये शहर की मलिन बस्तियों व ग्रामीण क्षेत्र के कमजोर परिवार के बच्चों को पढ़ाते तो हैं ही जिनमें ज्यादा पढ़ने की लगन होती है उन्हें अच्छे स्कूलों में प्रवेश दिलवाकर फीस खुद चुकाते हैं। समय-समय पर आइआइटीयन भी पढ़ाने आते हैं।

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110 बच्चे अब पढ़ते हैं कक्षाओं में

लालकुर्ती में मलिन बस्ती में नींव संस्था की कक्षा चलती है। इसके अतिरिक्त परतापुर के पास गांव छज्जेपुर व डिकौली में भी निश्शुल्क कक्षाएं चला रही है। तीनों स्थानों को मिलाकर करीब 110 छात्र हैं।

ऐसे कार्य करती है नींव

आइआइटी दिल्ली के पुरातन छात्रों ने सामाजिक सेवा के लिए नींव संस्था बनाई। वैसे इसका फुलफार्म है नेशनल एजूकेशनल एनरिचमेंट इन विलेजेज। ये सभी छात्र अलग-अलग स्थानों पर नौकरी कर रहे हैं या फिर खुद का उद्यम। इसके राष्ट्रीय कोर्डिनेटर डा. उपदेश वर्मा मेरठ के रहने वाले हैं और गाजियाबाद में एक कॉलेज में पढ़ाते हैं। स्थानीय होने की वजह से मेरठ में भी तीन कक्षाएं चलती हैं। ये संस्था लोगों की मदद लेकर ऐसे कक्षाएं चलाती है। प्रतिदिन दो घंटे की कक्षा शाम को चलाई जाती है। इसमें गांव के ही युवा पढ़ाते हैं, जिन्हें संस्था की ओर से मानदेय दिया जाता है। समय-समय पर आइआइटीयन भी आते हैं जो विभिन्न हुनर सिखाते हैं।

डिजिटल ज्ञान से लेकर हैंडक्राफ्ट तक

बच्चों को डिजिटल साक्षर बनाने के लिए लैपटॉप पर वीडियो दिखाई जाती है। मोबाइल एप पर साक्षरता वाले प्रश्नोत्तरी हल कराई जाती है। बच्चों के लिए जिस भी आइआइटीयन ने कार्य किया होता है वह यहां समय-समय पर जानकारी देने के लिए आता है। कागज व कपड़े से विभिन्न सामग्री बनाने की भी जानकारी दी जाती है। 


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