Republic Day 2020: राष्ट्रीय फलक पर अपनी उपलब्धियों से शहर का नाम रोशन कर रहे हैं ये भविष्य के नेता Meerut News
नई पीढ़ी भी गणतंत्र के मायने समझती है। इस साल गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या में हम ऐसे ही भविष्य के नेताओं की झलक दिखा रहे हैं।
मेरठ, [अमित तिवारी]। आजादी के मतवालों ने देश को आजादी दिलाई तो देशवासियों के चहेते नेताओं ने गणतंत्रता की भावना को कूट-कूट कर भरने का काम किया। विविध रंगों से सुसज्जित अनेकता में एकता की यह तस्वीर हर क्षेत्र के हुनरमंद को दिखती है। हमारे समाज से हर तरह के व्यक्तित्व निकलते हैं। कुछ समाज सेवा में आगे तो कुछ राजनीति में आगे। कुछ खेल में आगे तो कुछ पढ़ाई में नए मुकाम हासिल करते हैं। हर बार नई पीढ़ी के प्रेरणास्रोत ऐसे ही लोग होते हैं, जिनका अनुसरण सभी करना चाहते हैं। ऐसे ही लोग हमारे नेता भी होते हैं। शहर में अलग-अलग क्षेत्र में अपने हुनर का डंका बजाने वाले भविष्य के ऐसे कई नेता हमारे-आपके बीच तैयार हो रहे हैं। आज वह राष्ट्रीय फलक की उपलब्धियों से शहर का नाम रोशन कर रहे तो कल अंतरराष्ट्रीय फलक पर देश का नाम भी रोशन करेंगे। नई पीढ़ी भी गणतंत्र के मायने समझती है। इस साल गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या में हम ऐसे ही भविष्य के नेताओं की झलक दिखा रहे हैं।
पौधों ने बनाया पहली बाल शक्ति
पौधरोपण को अपने जीवन का अहम हिस्सा बनाने वाली मेरठ की ईहा दीक्षित ने पिछले साल पहली बार प्रदान किए गए प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल शक्ति पुरस्कार में अपना अहम स्थान बनाया। देशभर के बच्चों को अपनी बढ़त उम्र के साथ पौधा लगाने और उनकी देखरेख के लिए प्रेरित करने वाली ईहा से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बेहद प्रभावित हुए। पौधरोपण का ईहा का 89वां सप्ताह चल रहा है। इन उपलब्धियों के साथ ही ईहा पर्यावरण के ग्लोबल समिट में भी शामिल हुई और सरकारी-गैर सरकारी 76 अवार्ड भी मिल चुके हैं। अपने पिता के मार्गदर्शन में वह पौधरोपण के 100वें सप्ताह की ओर बढ़ रही हैं और इसे आगे बढ़ाना चाहती हैं।
रोल बॉल के वल्र्ड कप में इशिका का डंका
तमिलनाडु के चेन्नई में आयोजित पांचवें इंटरनेशनल रोल बॉल वल्र्ड कप टूर्नामेंट में मेरठ की इशिका ने दमदार प्रदर्शन कर मेरठ का नाम रोशन किया है। मेरठ पब्लिक गल्र्स स्कूल शास्त्रीनगर में कक्षा 11वीं की छात्रा इशिका ने इस प्रतियोगिता में बेहतरीन प्रदर्शन के साथ स्वर्ण पदक जीता। इशिका को रोल बॉल खेलना बेहद पसंद है। उनकी मेहनत और लगन ने उन्हें भी स्कूल के उन होनहारों की फेहरिस्त में ला खड़ा किया, जिन्होंने अपने हुनर से स्कूल व शहर का नाम रोशन किया है।
दिव्यांगता को हराकर बढ़ी आरुषि शर्मा
इस साल राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल शक्ति पुरस्कार से सम्मानित होने वाली आरुषि शर्मा ने अपनी दिव्यांगता को पछाड़ कर यह मुकाम हासिल किया है। मूक-बधिर होने के बावजूद जिले से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक की बैडमिंटन प्रतियोगिताओं में पदक जीतने वाली आरुषि यह सम्मान पाकर बेहद प्रसन्न है। अपनी मौसी रश्मि को प्रेरणास्त्रोत मानने वाली आरुषि दीवान पब्लिक स्कूल में कक्षा नौ में पढ़ाई कर रही हैं। वर्ष 2016 में जिले से राष्ट्रीय स्तर तक की बैडमिंटन प्रतियोगिताओं में पदक जीतने के बाद आरुषि ने वर्ष 2018 में अंतरराष्ट्रीय पदक जीता। वे वर्तमान में गोपीचंद बैडमिंटन एकेडमी, ग्रेटर नोएडा में ट्रेनिंग करती हैं।
दादी के सपनों को साकार कर गए विनायक
इस साल प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल शक्ति पुरस्कार ग्रहण करने वाले मेरठ के दूसरे मूक-बधिर दिव्यांग बैडमिंटन खिलाड़ी विनायक बहादुर की स्व.दादी मुन्नी देवी उन्हें बड़े खिलाड़ी के तौर पर देखना चाहती थीं। उसी खेल ने विनायक को राष्ट्रपति से बाल शक्ति पुरस्कार दिलाया। विनायक के पिता दीपक बहादुर और माता मीतू बहादुर भी मूक-बधिर हैं। विनायक शांति निकेतन विद्यापीठ में कक्षा आठवीं में पढ़ रहे हैं और वहीं पर बैडमिंटन एकेडमी में ट्रेनिंग भी करते हैं। सात साल की उम्र से खेल शुरू करने वाले विनायक राष्ट्रीय प्रतियोगिता में चार स्वर्ण, तीन रजत और एक कांस्य पदक जीता है। प्रदेश स्तरीय प्रतियोगिता में 10 स्वर्ण, नौ रजत और तीन कांस्य पदक जीत चुके हैं।
राष्ट्रीय फलक तक पहुंचे क्रिकेटर ऋषभ के कदम
क्रिकेट की दुनिया में प्रदेश से टीम इंडिया तक मेरठ के खिलाडिय़ों की सदा ही धाक रही हे। इस कड़ी में एक और कदम ऋषभ बंसल का भी बढ़ चुका है। गांधी बाग क्रिकेट एकेडमी में कोच तनकीब अख्तर से क्रिकेट का ककहरा सीख कर ऋषभ अंडर-19 इंडिया टीम तक पहुंच चुके हैं। पहले अंडर-19 चैलेंजर ट्रॉफी के लिए चुने गए और उसके बाद अफगानिस्तान वन-डे सिरीज के लिए इंडिया अंडर-19 टीम का हिस्सा बने। चैलेंजर ट्रॉफी में रेड टीम की ओर से खेलते हुए ऋषभ ने तीन मैच में तीन विकेट लिए। फाइनल मैच में 10 ओवर में 55 रन देकर दो विकेट झटकने के बाद उनका चयन अफगानिस्तान टूर के लिए हुआ।
रफ्तार बढ़ा रही हैं तन्वी मलिक
ग्रामीण क्षेत्र में रफ्तार भरकर राष्ट्रीय फलक पर चमकने का कारनामा माछरा की तन्वी मलिक ने कर दिखाया है। बीडीएस इंटरनेशनल स्कूल में कक्षा 10वीं की छात्रा तन्वी पिछले साल एक से पांच नवंबर तक आंध्र प्रदेश के कोयंबटूर में आयोजित जूनियर नेशनल एथलेटिक्स मीट में 600 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीता है। बीडीएस स्कूल में तन्वी ने कक्षा नौवीं में दाखिला लिया। पिछले पांच साल से एथलेटिक्स मे दौड़ की ट्रेनिंग ले रही तन्वी को पढ़ाई में सोशल साइंस बेहद पसंद है। वह खेल में निरंतर आगे बढ़ते बार-बार अपना ही रिकॉर्ड तोडऩा चाहती हैं।
आत्मरक्षा ही है मनस्विनी का मूल मंत्र
सोफिया गल्र्स स्कूल में कक्षा आठवीं की छात्रा मनस्विनी जॉर्ज के लिए आत्मरक्षा का जज्बा ही मूल मंत्र है। छोटी उम्र से ही उनके मन में आत्मरक्षा के गुर सीखने को लालायित थी। स्कूल में पढ़ाई के साथ ही कोच वसीम अहमद के मार्गदर्शन में कराटे का प्रशिक्षण लेने वाली मनस्विनी ने एक दिसंबर 2019 को दिल्ली के ताल कटोरा स्टेडियम में आयोजित प्रथम एशियन बोडोकॉन कराटे चैंपियनशिप में प्रतिद्वंद्वियों को पछाड़ते हुए स्वर्ण पदक जीता है। इस उपलब्धि ने मनस्विनी को दोस्तों व स्कूल में आत्मरक्षा के क्षेत्र में रोल मॉडल बना दिया है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में अली ने जड़े किक
आल सेंट स्कूल में कक्षा नौवीं के छात्र अली जैदी ने अंतरराष्ट्रीय कराटे प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता है। गुजरात के अहमदाबाद में 28 दिसंबर 2019 को हुई आइएसकेयू इंटरनेशनल कराटे चैंपियनशिप में भारत सहित श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश, यूएई, नाइजीरिया, तंजानिया आदि के प्रतिद्वंद्वियों को हरा अपने भार वर्ग में स्वर्ण पदक पर जोरदार किक जड़ी। उत्तर प्रदेश की टीम में कुल सात पदकों में अली का एक स्वर्ण पदक भी था। इस सफलता ने अली को स्क्ूल का हीरो बना दिया।
खो-खो में कार्तिक ने बढ़ाया मान
भारतीय पारंपरिक खेलों में खो-खो का खेल बेहद प्रचलित है। इस खेल में देश के बाहर हुई प्रतियोगिता में मेरठ के कार्तिक त्यागी ने दमदार प्रदर्शन किया है। सात-आठ जनवरी को नेपाल में हुई अंतरराष्ट्री खो-खो चैंपियनशिप में उत्तर प्रदेश से एक मात्र खिलाड़ी कार्तिक ही भारतीय टीम का हिस्सा रहे। सिंभावली क्षेत्र में ग्राम दत्तियाना निवासी कार्तिक के दमदार प्रदर्शन से भारतीय टीम ने नेपाल में नेपाल को ही कराकर चैंपियन बनी। लौटने पर कार्तिक का स्वागत स्कूल से लेकर उनके गांव तक हुआ जिसने उन्हें क्षेत्र का हीरो बनाया।