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भरपूर उद्यम है शहर में..कनेक्टिविटी और उनकी दिक्कतों पर ध्यान दे सरकार

उद्योग व्यापार और रियल एस्टेट किसी भी क्षेत्र के विकास की रीढ़ होते हैं। इनके बिना विकास की राह पर आगे बढ़ना मुमकिन नहीं हो पाता। ज्वेलरी का महत्व किसे नहीं पता। शहर में लगभग हर उद्यम है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 26 Mar 2019 09:00 AM (IST)Updated: Tue, 26 Mar 2019 09:00 AM (IST)
भरपूर उद्यम है शहर में..कनेक्टिविटी और उनकी दिक्कतों पर ध्यान दे सरकार
भरपूर उद्यम है शहर में..कनेक्टिविटी और उनकी दिक्कतों पर ध्यान दे सरकार

मेरठ । उद्योग, व्यापार और रियल एस्टेट किसी भी क्षेत्र के विकास की रीढ़ होते हैं। इनके बिना विकास की राह पर आगे बढ़ना मुमकिन नहीं हो पाता। ज्वेलरी का महत्व किसे नहीं पता। शहर में लगभग हर उद्यम है। कई उद्यम देश-विदेश में पहचान रखते हैं, लेकिन स्थानीय व सरकारी स्तर की अनदेखी से दिक्कतों का सामना कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव की बेला में सोमवार को 'जागरण विचार मंच' इन्हीं क्षेत्रों पर केंद्रित रहा। उद्योग, व्यापार, ज्वेलरी और रियल एस्टेट जगत के प्रतिनिधियों ने अपनी समस्याएं और सुझाव रखे। उन्होंने कहा कि हमें अपने सासद से काफी अपेक्षाएं हैं। हम चाहते हैं कि सासद हमारे मुद्दों को उचित मंच पर न सिर्फ उठाएं, बल्कि उनका समाधान भी कराएं। जो मुद्दे केंद्र सरकार से संबंधित हों, उनका समाधान कराएं और जो राज्य सरकार से संबंधित हों, उनके लिए भी संबंधित सरकार से पैरवी करें। उद्यमी बोले, स्थापित हो स्पो‌र्ट्स टेस्टिंग लैब और बने एसईजेड

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मेरठ ने पिछले साल जालंधर स्पो‌र्ट्स इंडस्ट्री को एक्सपोर्ट के मामले में पछाड़ दिया। यह बड़ी उपलब्धि है मगर यहां अंतरराष्ट्रीय स्तर की टेस्टिंग लैब नहीं है। कई बार विदेशों से टेस्टिंग करानी पड़ती है, जो व्यापार के लिए ठीक नहीं है। गुणवत्ता बढ़ाने पर जोर देना होगा। हमें आयात भी रोकना चाहिए। चीन से आयात पर नियंत्रण भी जरूरी है। जितनी सुविधाएं एक्सपोर्टर्स को मिलती हैं, उतनी ही डोमेस्टिक इंडस्ट्री को देनी होंगी। कई असुविधाओं के बावजूद पिछले कुछ वर्षो में स्पो‌र्ट्स इंडस्ट्री ने ग्रोथ की है। अगर मेरठ में कंटेनर डिपो बन जाए तो इंडस्ट्री में काफी ग्रोथ हो सकती है। इंडस्ट्री के लिए जमीन रियायती दर पर देनी चाहिए। संभावना को देखते हुए प्लानिंग बने।

-राकेश कोहली, निदेशक, स्टैग इंटरनेशनल एमआरटी 8

छोटे व्यापारी एक्सपोर्ट को हौवा मानकर चलते हैं, जबकि ऐसा किया जा सकता है। एक पंजीकरण करने से किसी भी देश से आयात-निर्यात किया जा सकता है। एमएसएमई से एम को अलग करके एसएमई करना चाहिए। एम यानी माइक्रो उद्यम को स्माल और मीडियम उद्यम के साथ रखने से उन्हें लाभ नहीं मिल पाता। विशेष आर्थिक गलियारा (एसईजेड) बनाया जाना चाहिए। प्रदेश में करीब 47 इंडस्ट्री हैं, जिनकी जमीन लीज खत्म करके उन्हें फ्री होल्ड करना चाहिए।

निपुण जैन, सचिव, आइआइए एमआरटी 2

मेरठ में खेल सामग्री अंतरराष्ट्रीय स्तर की बनती है, लेकिन उसके लिए टेस्टिंग की सुविधा नहीं है। जूतों की इंडस्ट्री मामूली है, लेकिन उसके लिए टेंस्टिंग सुविधा यहां पर है। करीब 36 हजार श्रमिक हैं, लेकिन ईएसआइ का अस्पताल यहां पर नहीं है, जबकि ईएसआइ का सबसे अधिक फायदा श्रमिक वर्ग को मिलता है।

राजीव सिंघल, परतापुर इंडस्ट्रीयल एसोसिएशन एमआरटी 17

तमाम कंपनियों के श्रमिकों का रजिस्ट्रेशन कारपोरेट स्तर पर है, इसलिए उनका डाटा राष्ट्रीय स्तर पर तैयार होता है। डाटा स्थानीय स्तर पर भी बनना चाहिए। इससे सही तरीके से पता चल सकेगा कि किस जिले में कितने श्रमिक काम करते हैं। उद्योग बंधु व व्यापार बंधु की बैठक में औपचारिकता होती है। व्यापारियों का बीमा नहीं होता, जबकि सरकार को इसके लिए भी योजना लानी चाहिए।

मनुल एमआरटी::: 25

मैं यह चाहता हूं कि जो भी सांसद बने, वह शहर की मांग सदन में प्रभावी तरीके से रखे। ट्रांसपोर्ट नगर को शहर से बाहर करने में आ रही दिक्कतों को दूर कराए। हमने जब चक्का जाम किया था, तब केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने वादा किया था, मगर हुआ कुछ नहीं। हम चाहते हैं कि ऑल इंडिया स्तर पर टोल साल में एक बार लिया जाए। ट्रांसपोर्ट व्यापार को इंडस्ट्री का दर्जा दिया जाए।

गौरव शर्मा, अध्यक्ष, ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन

बुलियन ट्रेडर्स बोले, 20 कैरेट वाली ज्वेलरी बनाने की मिले अनुमति

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मेरठ का सर्राफा बाजार देशभर में मशहूर है। यहां का व्यापार 20 करोड़ रुपये प्रतिदिन है। सराफा बाजार और नील की गली में अधिकतर व्यापार है। ये स्थान आज तक आवासीय श्रेणी में आते हैं। व्यावसायिक श्रेणी न होने के कारण अवैध माना जाता है। सर्राफा व्यापारियों को ऋण नहीं मिल पाता। पहले मुंबई, राजकोट जैसे शहरों में भी यहा से आपूर्ति होती थी, लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है। सरकारी सहूलियत व खराब कनेक्टिविटी की वजह से व्यापार प्रभावित हुआ है। इंडस्ट्री अलग-अलग स्थानों पर हैं, उन्हें एक स्थान पर लाने के लिए एक बार बात बनी, लेकिन उसे फिर एमडीए ने ठंडे बस्ते में डाल दिया।

-विजय आनंद अग्रवाल, बुलियन ट्रेडर्स एसोसिएशन एमआरटी::: 45

ग्राहक को सुरक्षा की भावना व कनेक्टिविटी ही किसी शहर के लिए खींचती है। यहां दूर-दराज से लोग आते हैं, पर कनेक्टिविटी उन्हें परेशान करती है। जेम्स एवं ज्वेलरी में विकास के लिए विकासवादी व मजबूत सरकार की जरूरत है। ज्वेलरी को 20 कैरेट के बजाय 22 कैरेट तक ले जाने की योजना सरकार की है, लेकिन व्यापारी चाहते हैं कि मेरठ में 20 कैरेट की ज्वेलरी बनाने की अनुमति मिले।

आकाश मांगलिक, भगत ज्वेलर्स रियल स्टेट चाहे रेरा का हो सही अनुपालन, एमडीए की मनमानी पर लगे रोक

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'रेरा' अच्छा है, लेकिन उसके नियमों का ढंग से पालन नहीं होता। एमडीए उसके दायरे में है, लेकिन उसे कभी दंडित नहीं किया जाता। आवास बंधु की बैठकें कागजों तक ही सीमित हैं। कंप्लेशन सर्टिफिकेट पर ध्यान नहीं दिया जाता। सारे नियम उनके लिए हैं, जो लेआउट पास करा रहे हैं। अवैध पर कार्रवाई नहीं होती। गरीब और अमीर की जमीन खरीद की क्षमता को देखते हुए प्लाटिंग को ए, बी व सी श्रेणी में बांटना चाहिए।

अशोक गर्ग, अध्यक्ष, रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन एमआरटी 12

रियल एस्टेट के नियम यहां काफी कठिन हैं। हरियाणा, पंजाब और मप्र के नियम काफी बेहतर हैं। एमडीए के नियम तो बड़े ही बेतरतीब हैं। लखनऊ व नोएडा में जो आसान नियम हैं, उन्हें भी एमडीए लागू नहीं करना चाहता। डेवलपमेंट चार्ज के नाम पर भारी-भरकम शुल्क लिया जाता है, लेकिन उसे खर्च नहीं किया जाता। एमडीए के नियमों की वजह से निवेश भी रुक रहा है और उद्यमी प्रभावित हो रहे हैं।

-कमल ठाकुर, रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन के महामंत्री

प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए मेरठ समेत प्रदेश के रियल एस्टेट व्यवसायियों को एक लाख मकान बनाने थे, लेकिन नियम इतने सख्त कर रखे हैं कि अब तक एक भी मकान नहीं बनाया गया। डेवलपमेंट चार्ज समेत कई नियम डेवलपर्स को भारी पड़ रहे हैं। एक मकान जो एमडीए अपनी जमीन पर ठेके पर बनवा रहा है उसकी कीमत भी 4.50 लाख रुपये है, लेकिन जो मकान रियल एस्टेट व्यवसायी को बनाने को कहा जा रहा है उसकी कीमत भी 4.50 लाख रखी जा रही है। कुछ समय पहले 6.50 लाख रुपये मकान की कीमत करने का आश्वासन मिला था, लेकिन शासनादेश जारी नहीं हुआ।

अतुल गुप्ता, एमडी, एपेक्स डेवलपर्स प्रा. लि.

व्यापारी बोले, सरल हो जीएसटी, बाजार पर दें ध्यान

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आबूलेन के व्यापारियों का कैंट बोर्ड उत्पीड़न करता है। कैंट बोर्ड इसे आवासीय मानता है, लेकिन बोर्ड बाजार ही लगाता है। चार्जेज भी व्यावसायिक दर वाली लेता है। यहां ऐसी पार्किंग बनाई जाए, जिससे दुकानदार अपने वाहन वहां खड़े कर सकें। इससे दुकानों के सामने ग्राहकों की गाड़ी खड़ी होने में सहूलियत मिलेगी। पार्किंग की जो जगह थी, उस पर बैंक्वेट हॉल बना दिया गया है।

-राजवीर सिंह, व्यापारी आबूलेन एमआरटी::: 9

- खंदक बाजार को शिफ्ट करके टेक्सटाइल पार्क बसाने की बात काफी पहले हुई थी। जमीन खरीदने के लिए एमडीए को पैसे भी दिए गए, मगर एमडीए ने आठ साल बाद पैसे वापस लौटा दिए। सांसद को अपने स्तर से इसके लिए प्रयास करने चाहिए। जो भी औपचारिकता राज्य स्तर की हो, उसके लिए भी बात करनी चाहिए।

-नवीन अरोड़ा, व्यापारी एमआरटी 3

दवा व्यापारियों के लिए भी कई नियम सरल करने होंगे। ड्रगिस्ट और केमिस्ट की दिक्कतों पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। सांसद को बेहतर कानून व योजना के लिए आवाज उठानी चाहिए।

-रजनीश, दवा व्यवसायी एमआरटी:::20

अगर ऑनलाइन मतदान हो तो मतदान फीसद अधिक बढ़ सकता है। तमाम लोग अपने गृह जनपद से संबंधित प्रत्याशी को वोट करना चाहते हैं, लेकिन उन्हें वोट नहीं दे पाते। इसके लिए भी कुछ पहल हो। उच्च शिक्षा की सुविधा मेरठ में हो, ताकि यहां का टैलेंट बाहर न जाए। पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए प्लास्टिक के छोटे पाउच पर भी प्रतिबंध होना चाहिए।

मनोज अग्रवाल, एमआरटी 18

कहने के लिए तो केंद्र सरकार की ओर से व्यापारियों के लिए तमाम सुविधाएं हैं। ऋण योजनाएं भी हैं, लेकिन ऋण के लिए दलालों का चंगुल अभी खत्म नहीं हुआ है। पात्र को लाभ नहीं मिल पाता। शहर में ई-रिक्शा जाम का कारण बने हुए हैं। इन्हें नाबालिग चलाते हैं, इस पर कोई रोक नहीं लग पा रही है।

-आशू शर्मा, व्यापारी एमआरटी:::13

समय-समय पर मांगें रखी जाती हैं, लेकिन उसे कोई भी जनप्रतिनिधि पूरी नहीं कराता। लगता है कि जनप्रतिनिधियों की बातें सरकार स्तर पर सुनी नहीं जातीं। लोगों को बड़ी उम्मीद होती है, लेकिन उसे पूरा नहीं किया जाता।

-कांति प्रसाद भावी सांसद इन मुद्दों पर ध्यान दें उद्यमियों की मांगें

-मेरठ में कंटेनर डिपो की व्यवस्था शुरू कराई जाए

-स्पो‌र्ट्स इंडस्ट्री के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर की टेस्टिंग लैब बने

-निर्यातकों के साथ ही घरेलू उद्योग के प्रोत्साहन के लिए नीतिगत परिवर्तन हो

-खेल उद्योगों में कौशल विकास के लिए एमएसएमई द्वारा नए प्रशिक्षण केंद्र खोले जाएं

-औद्योगिक विकास के लिए आधारभूत ढाचा विकसित हो

-कनेक्टिविटी के लिए एयरपोर्ट तैयार हो, सड़क मार्ग पर भी ध्यान दिया जाए

-पलायन कर चुके उद्योगों की फिर से वापसी के लिए विशेष प्रोत्साहन पैकेज लाए जाएं

-स्पेशल इकोनॉमिक जोन बनाया जाए

-एमएसएमई से माइक्रो उद्यम को अलग कर उनके प्रोत्साहन की अलग नीति बनाई जाए रियल एस्टेट की मांगें

-प्रधानमंत्री आवास योजना के नियम सरल हों, ताकि निजी बिल्डर उसे बनाने को आगे आएं

-मेरठ विकास प्राधिकरण को सरल नियम बनाने व मनमाने शुल्क वसूलने से रोकने को बाध्य किया जाए

-कालोनियों का वर्गीकरण हो, ताकि अवैध कालोनियां बनने से रुकें

-रेरा के नियमों में संशोधन हो, हाई राइज और प्लॉटिंग के लिए नियम अलग-अलग हों

व्यापारियों की मांगें

-बाजारों में शौचालय बनवाए जाएं

-हैंडलूम पर जीएसटी का बोझ कम हो

-व्यापारियों का इंश्योरेंस कराया जाए

-टेक्सटाइल पार्क की स्थापना की जाए

ट्रांसपोटर्स की मांगें

-ट्रांसपोर्ट नगर शहर से बाहर बसाया जाए

-टोल टैक्स साल में एक बार एक साथ लिया जाए

-ट्रांसपोर्ट को इंडस्ट्री का दर्जा दिया जाए

ज्वेलरी व्यवसायी की मांगें

- 20 कैरेट सोने के आभूषण की हॉलमॉर्किंग को स्वीकृति मिले

-सराफा बाजार जो गलियों में हैं, उन्हें वैध घोषित किया जाए

-कनेक्टिविटी बेहतर हो, ताकि दूर-दराज के ग्राहक आएं

-सुरक्षा घेरा सुनिश्चित किया जाए, कानून-व्यवस्था दुरुस्त की जाए


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