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फिर समय की मांग है..चौराहे पर 24 घटे 'राइफल' तैनात रहे

शायद ही ऐसा कोई दिन हो, जिस दिन मेरठ में कोई अपराध न होता हो। हत्या, लूट, डकैती और चोरी होना यहा आम है। महिलाओं के प्रति अपराध भी मेरठ में कम नहीं। शहर की पुलिस और कानून व्यवस्था पर जनता कई बार सवाल खड़े करती रहती है। हालाकि इन सब के बीच कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो शहर को क्राइम फ्री बनाने के लिए पुलिस अफसरों को अपना योगदान किसी न किसी रूप में देते रहते हैं। उनकी यह कोशिश रंग भी लाती है। दैनिक जागरण का 'माय सिटी-माय प्राइड' अभियान ऐसी सोच रखने वालों के सुझाव व उनके कामों से रूबरू करा रहा है। ऐसी ही सोच रखने वाले मेरठ निवासी और उत्तर प्रदेश के डीजीपी रहे एके जैन यानि अरविंद कुमार जैन के कुछ सुझाव हैं कि आखिर अपना शहर कैसे अपराध मुक्त बने।

By JagranEdited By: Published: Fri, 17 Aug 2018 09:16 PM (IST)Updated: Fri, 17 Aug 2018 09:16 PM (IST)
फिर समय की मांग है..चौराहे पर 24 घटे 'राइफल' तैनात रहे
फिर समय की मांग है..चौराहे पर 24 घटे 'राइफल' तैनात रहे

फिर समय की मांग है..चौराहे पर 24 घटे 'राइफल' तैनात रहे

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-प्रदेश के पूर्व डीजीपी की राय, अपराध के लिए एसओ-चौकी प्रभारी की तय हो जिम्मेदारी

जागरण संवाददाता, मेरठ : शायद ही ऐसा कोई दिन हो, जिस दिन मेरठ में कोई अपराध न होता हो। हत्या, लूट, डकैती और चोरी होना यहा आम है। महिलाओं के प्रति अपराध भी मेरठ में कम नहीं। शहर की पुलिस और कानून व्यवस्था पर जनता कई बार सवाल खड़े करती रहती है। हालाकि इन सब के बीच कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो शहर को क्राइम फ्री बनाने के लिए पुलिस अफसरों को अपना योगदान किसी न किसी रूप में देते रहते हैं। उनकी यह कोशिश रंग भी लाती है। दैनिक जागरण का 'माय सिटी-माय प्राइड' अभियान ऐसी सोच रखने वालों के सुझाव व उनके कामों से रूबरू करा रहा है। ऐसी ही सोच रखने वाले मेरठ निवासी और उत्तर प्रदेश के डीजीपी रहे एके जैन यानि अरविंद कुमार जैन के कुछ सुझाव हैं कि आखिर अपना शहर कैसे अपराध मुक्त बने।

पूर्व डीजीपी एके जैन उत्तर प्रदेश कैडर के आइपीएस अफसर रहे हैं। कई बार उन्होंने उत्तर प्रदेश को क्राइम फ्री बनाने के लिए विदेशों में भी पहुंचकर वहा की पुलिस के बारे में जाना है। उसे लागू करने का भी प्रयास किया है। पूर्व डीजीपी बताते है कि मेरठ में सबसे बड़ी परेशानी फोर्स की कमी है। यहा पर एक अपराध होता है और फोर्स मौके पर पहुंचती है। वहीं, कुछ देर के बाद दूसरे अपराध की सूचना मिल जाती है। पहले अपराध को पुलिस भूलकर दूसरे अपराध में लग जाती है। उनका सुझाव है कि पुराने अपराधियों पर शिकंजा कसने के अलावा नए अपराधियों पर भी पुलिस की पकड़ होनी चाहिए। छेड़छाड़, स्नेचिंग जैसी वारदातें नई उम्र के अपराधी करते हैं। वहीं पुलिस को नशे के खिलाफ भी अभियान चलाते चाहिए। अधिकतर अपराधी नशे के आदी होने के कारण अपराध करते हैं। वर्तमान में साइबर अपराध अधिक बढ़ा है। मेरठ में हर दिन समाचार पत्रों में आनलाइन ठगी की खबरें पढ़ने को मिलती हैं। यहा भी हरियाणा की तर्ज पर साइबर थाना खोलने की जरूरत है। ये सुझाव बना सकते हैं बेहतर हालात

- पूर्व डीजीपी एके जैन कहते हैं कि अधिकारियों के कार्यकाल निर्धारित होने चाहिए। जब अधिकारी शहर या अपने क्षेत्र को समझ पाता है तभी उनका तबादला कर दिया जाता है। अपराध होने पर चौकी प्रभारी और एसओ को जिम्मेदार ठहराना चाहिए, तभी बदलाव होगा।

-पुलिस के कामकाज में राजनीतिक हस्तक्षेप बंद होना चाहिए। मेरठ में छोटी से छोटी घटना को लेकर राजनेताओं के फोन एसओ और उच्च अधिकारियों पर आने लगते हैं। इससे विवेचना भी प्रभावित होती है। राजनीतिक हस्तक्षेप बंद होगा, तभी पुलिस निष्पक्ष काम कर पाएगी।

-जेल से छूटे अपराधियों की जानकारी उसके थाने के एसओ से लेकर एसएसपी को देनी चाहिए ताकि इन पर निगरानी रखी जा सके। बार-बार अपराध करने वालों की पुलिस अफसरों को जमानत खारिज करानी चाहिए। ताकि वह जेल में ही रहे।

-पहले होता था कि हर चौराहे पर एक दारोगा और कास्टेबल की ड्यूटी लगती थी। जब तक दूसरे पुलिसकर्मी ड्यूटी पर नहीं आते थे, तब तक पहले वाले मौके पर ही रहते थे। यानि राइफल चौराहे पर 24 घटे रहती थी। केवल व्यक्ति बदले जाते थे। अब ऐसा नहीं है। यहीं व्यवस्था फिर से होनी चाहिए।

-गैंग रजिस्टर हर थाने में बनने चाहिए। अपराधियों के खिलाफ पुलिस की तरफ से कड़ी पैरवी होनी चाहिए ताकि अपराधी को अदालत से कड़ी सजा मिल सके। वहीं जो पुलिसकर्मी लंबे समय से जिले में जमे हों, उनके तबादले होने चाहिए। वहीं, स्थानीय पुलिसकर्मी को उसके जिले से दूर रखना चाहिए।


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