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Coronavirus: औषधीय हवन से वायरस हो रहे खत्‍म, जाने कैसे है हवन सेनेटाइजर से बेहतर Meerut news

छीपी टैंक पर डा. अनिल कुमार हर मंगलवार क्लीनिक पर और रोजाना अपने निवास पर हवन करते हैं। इनका कहाना है कि हवन से सभी तरह के वायरस खत्‍म हो जाते हैं।

By Prem BhattEdited By: Published: Sat, 14 Mar 2020 04:15 PM (IST)Updated: Sat, 14 Mar 2020 04:15 PM (IST)
Coronavirus: औषधीय हवन से वायरस हो रहे खत्‍म, जाने कैसे है हवन सेनेटाइजर से बेहतर Meerut news
Coronavirus: औषधीय हवन से वायरस हो रहे खत्‍म, जाने कैसे है हवन सेनेटाइजर से बेहतर Meerut news

मेरठ, जेएनएन। यूं तो ये दोनों डाक्टर एमबीबीएस व एमडी मेडिसिन हैं, किंतु बीमारियों को भगाने का फामूला उन्होंने वेदों में खोजा है। क्लीनिक से लेकर घर तक हवन के जरिए बैक्टीरिया और वायरस को नष्ट कर रहे हैं। दावा है कि 50 ग्राम घी में कुल 300 ग्राम की समिधा डालने से 600 घनफुट हवा शुद्ध और विषाणुमुक्त हो जाती है।

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पांच कोष हो जाते हैं शुद्ध

छीपी टैंक पर डा. अनिल कुमार हर मंगलवार क्लीनिक पर और रोजाना अपने निवास पर हवन करते हैं। वो एमडी मेडिसिन के साथ ही होमियोपैथी में भी एमडी हैं। डा. अनिल बताते हैं कि वायरस को खत्म करने के लिए गाय के उपले पर 50 ग्राम गाय के घी के साथ 60-60 ग्राम गिलोय, तुलसी, गुग्गुल, चंदन एवं काली मिर्च का पावडर डालकर हवन करने से 600 घनफुट क्षेत्र की हवा बैक्टीरिया एवं विषाणुमुक्त हो जाती है। वो बताते हैं कि हवन सामग्री एवं अग्नि के विस्फोट से पैदा होने वाली ऊर्जा कीटाणुओं को नष्ट कर देती है। अथर्ववेद का जिक्र करते हुए बताते हैं कि हवन से अन्नकोष यानी शरीर, प्राणकोष यानी सांस की नलिकाओं का शोधन हो जाता है। मनोमयकोष एवं विज्ञानकोष भी दुरुस्त हो जाते हैं। डा. अनिल बताते हैं कि कोरोना या स्वाइन फ्लू के वायरस को खत्म करने के लिए किए जाने वाले हवन में आम की जगह पीपल की लकड़ी का प्रयोग होना चाहिए। बताया कि पीपल 52, गाय का उपला 56, देवदार की लकड़ी जलाने पर 70 प्रतिशत व चंदन की लकड़ी जलाने पर 90 प्रतिशत आक्सीजन निकलती है। डा. अनिल का कहना है कि हवन से नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती है।

क्‍लीनिक में हवन, सेनेटाइजर से बेहतर

मेरठ, जेएनएन। सांस एवं छाती रोग विशेषज्ञ डा. वीरोत्तम तोमर अपने क्लीनिक में रोजाना हवन कर रहे हैं। वो आम की लकड़ी, कपूर व देसी घी से अग्नि प्रज्जवलित करते हैं। टीबी के मरीजों के इलाज के लिए भी एक खास किस्म की सामग्री का हवन बताते हैं। इसमें गुग्गुल के साथ घी मिश्रित सामग्री की आहुति देते हैं। डा. तोमर का कहना है कि मंडूक या ब्राह्मी, इंद्रायण की जड़, शालपर्णी, मकोय, गुलाब के फूल, रासना, अगर, क्षीर, काकोली, जटामासी, पांडरी, गोखरू, चिरौंजी, बड़ी हर्र मय गुठली, आंवला, जीवंती, पुनर्नवा, नगेंद्र वामड़ी, चीड़ का बुरादा, जौ, तिल, बड़ी इलायची, सुगंध वाला सम भाग, शतावरी, अड़सा, जायफल, बादाम, चंदन सफेद, मुनक्का, किशमिश, लौंग, गिलोय, गुग्गल चार भाग, केसर, मधु चौथाई भाग, शकर देसी दस भाग, काफूर देसी, फल व जौ का हलवा डालने से वायरस व बैक्टीरिया मर जाते हैं।  


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