अफसरों के आंगन में दम तोड़ रही स्वच्छता की सोच
खुले में शौच मुक्त अभियान के तहत बड़े स्तर पर करोड़ों के बजट से शौचालयों का निर्माण कराया गया। बड़े स्तर पर जागरूकता अभियान भी चलाए गए लेकिन अधिकारी अपने ही आंगन में स्वच्छता की सोच को संरक्षित करने में नाकाम हो रहे हैं।
मेरठ, जेएनएन। खुले में शौच मुक्त अभियान के तहत बड़े स्तर पर करोड़ों के बजट से शौचालयों का निर्माण कराया गया। बड़े स्तर पर जागरूकता अभियान भी चलाए गए, लेकिन अधिकारी अपने ही आंगन में स्वच्छता की सोच को संरक्षित करने में नाकाम हो रहे हैं। कलक्ट्रेट में लाखों की लागत से बने सार्वजनिक शौचालय की हालत बदहाल है। ऐसे ही विकास भवन का शौचालय भी क्षतिग्रस्त हालत में है, जबकि अन्य कई शौचालयों पर ताला लटका हुआ है।
स्वच्छ भारत मिशन के तहत खुले में शौच मुक्ति के लिए जनपद में बड़ा अभियान चलाया गया था। इसके तहत सरकारी कार्यालयों के परिसर में आमजन के लिए सार्वजनिक शौचालयों के निर्माण कराए गए। शौचालयों के निर्माण पर बड़ा बजट खर्च हुआ। लेकिन मात्र चार से पांच सालों में ही सार्वजनिक शौचालयों की हालत बद से बदतर हो गई है। कलक्ट्रेट परिसर में धरना-प्रदर्शन करने वालों व अपनी समस्याओं को लेकर दूर से आने वालों के लिए वर्ष 2017 में सार्वजनिक शौचालय का निर्माण कराया गया था। लेकिन देखरेख के अभाव में अब शौचालय बदहाल है। शौचालय की जमीन धंस गई है और टाइल्स भी उखड़ गई हैं। अधिकांश शौचालयों पर लटका रहता है ताला
विकास भवन परिसर में कहने के लिए पांच सार्वजनिक शौचालय हैं। जिसमें पुरुष व महिलाओं के साथ दिव्यांगजन के लिए भी शौचालय है। लेकिन अधिकांश पर ताला लटका रहने से यहां आने वाले लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
कलक्ट्रेट परिसर स्थित सार्वजनिक शौचालय की खराब हालत के संबंध में अभी तक जानकारी नहीं थी। अब संबंधित विभाग को निर्देशित कर शौचालय की मरम्मत कराने के साथ साफ-सफाई व देखरेख की जिम्मेदारी भ्ीा तय की जाएगी।
-के. बालाजी, डीएम