आबकारी और मिल अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध, होगी जांच
दौराला शुगर मिल के कैंटरों से 70 हजार लीटर ईएनए (एक्स्ट्रा नेचुरल एल्कोहल) चोरी के मामले में आबकारी से लेकर मिल अधिकारियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में आ गई है। शुरुआती जांच में पता चला है कि ट्रांसपोर्टर ने डिजिटल लाक से छेड़छाड़ की है।
मेरठ, जेएनएन। दौराला शुगर मिल के कैंटरों से 70 हजार लीटर ईएनए (एक्स्ट्रा नेचुरल एल्कोहल) चोरी के मामले में आबकारी से लेकर मिल अधिकारियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में आ गई है। शुरुआती जांच में पता चला है कि ट्रांसपोर्टर ने डिजिटल लाक से छेड़छाड़ की है। ऐसे में सवाल यह है कि आखिर मिल में तैनात आबकारी विभाग के साथ ही अन्य अफसरों ने मामले को पकड़ा क्यों नहीं। यदि कोई जनहानि हो जाती तो उसका जिम्मेदार कौन होता। हालांकि पुलिस ने डीएम को पत्र लिखकर जांच के लिए एक कमेटी बनाने की मांग की है।
विधानसभा चुनाव से पहले सर्विलांस की टीम ने बड़ा राजफाश किया। दौराला शुगर मिल के कैंटरों से ईएनए चोरी कर मिलावटी शराब बनाने वाले चार आरोपित दबोच लिए। पुलिस की शुरुआती जांच में पता चला कि कपिल बोहरा निवासी पंजाबी बाग दिल्ली की कंपनी के कैंटर दौराला शुगर मिल में लगे हुए हैं। रास्ते में कहीं भी ईएनए चोरी न हो, इसलिए उनमें डिजिटल लाक लगा हुआ है। मिल में चलने से पहले कैंटर लाक कर दिया जाता है, जो गंतव्य पर पहुंचने के बाद ही खुल सकता है। लेकिन ट्रांसपोर्टर ने उसमें छेड़छाड़ की है। अफसरों का कहना है कि उसने चोरी के इरादे से ही ऐसे लाक बनवाए, जिनको रास्ते में भी खोला जा सकता था। इसके चलते ही आरोपितों ने रास्ते में 70 हजार लीटर ईएनए चोरी कर लिया। ट्रांसपोर्टर के 35 से 40 कैंटर विभिन्न मिलों में चल रहे हैं। अब पुलिस सभी की जांच की बात कह रही है। उधर, जब कैंटर मिल से निकलता है तो आबकारी विभाग के साथ ही मिल के अधिकारी भी उसे चेक करते हैं। लेकिन, यहां किसी की भी जांच में मामला पकड़ में नहीं आया। ऐसे में पुलिस अब उनकी भूमिका की भी जांच कर रही है। पुलिस का कहना है कि ऐसा संभव नहीं कि किसी की पकड़ में मामला ना आया हो। एसपी सिटी विनीत भटनागर ने बताया कि मामला गंभीर है, इसलिए जांच के दौरान मिल और अन्य लोगों की भी जांच की जा रही है।
बन सकती थी एक करोड़ 70 लाख की शराब
चुनाव की सरगर्मी के बीच माफिया ने हाथ-पैर मारने शुरू कर दिए हैं। एक ओर जहां कच्ची शराब की भट्टियां धधक रही हैं, वहीं मिल के कैंटर से ईएनए चोरी करने का मामला सामने आया। आबकारी विभाग के अफसरों ने बताया कि 70 हजार लीटर ईएनए से करीब एक करोड़ 70 लाख रुपये की शराब बनाई जा सकती थी। इसकी चोरी से राजस्व का भी नुकसान हुआ है। अब इस बात की भी जांच की जा रही है कि कितने सालों से यह काम चल रहा था।
डिजिटल लाक में किया गया खेल
जिला आबकारी अधिकारी आलोक कुमार ने बताया कि ट्रांसपोर्टर ने डिजिटल लाक को इस तरह से बनवाया, ताकि उसके लगे होने के बाद भी ईएनए को निकाला जा सके। जिन कैंटरों से ईएनए निकाला गया था, उनके लाक में गड़बड़ी थी। डिजिटल लाक में एक बार में पूरा कैंटर लाक हो जाता है, जबकि इन कैंटर में ऐसा नहीं था। दो बार में कैंटर बंद हो रहा था। यह आसवक और ट्रांसपोर्टर के बीच का मामला है। विभागीय अफसरों के निर्देश पर जांच बिठाई गई है। इस मामले में जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।