सोने के चढ़ते भाव ने खरीददार को विक्रेता बनाया, बैंकों में गोल्ड लोन से ग्राहकों को लुभाने की कोशिश Meerut News
सोने के चढ़ते भाव से सोने के खरीददार को विक्रेता बनाने के लिए मजबूर कर दिया है। कोविड काल में जहां शेयर मार्केट म्यूचुअल फंड में गिरावट देखने को मिली वहीं सोना सरपट भाग रहा है।
मेरठ, जेएनएन। सोने के चढ़ते भाव से सोने के खरीददार को विक्रेता बनाने के लिए मजबूर कर दिया है। कोविड काल में जहां शेयर मार्केट, म्यूचुअल फंड में गिरावट देखने को मिली, वहीं सोना लगातार सरपट भाग रहा है। दस ग्राम सोने की कीमत 57 हजार रुपये से अधिक हो गई है। ऐसे में बहुत से लोग अपने सोने को बेचने और उस पर लोन लेने के विषय में भी सोचने लगे हैं, इसे देखते हुए बैंकों ने भी सोने पर लोन देने के लिए ग्राहकों को लुभाना शुरू कर दिया है।
सोना बेचने के लिए आफर
शहर में इस समय कई ज्वेलर्स जहां ग्राहकों को सोना बेचने के लिए आफर दे रहे हैं तो दूसरी ओर बैंक भी सोने पर सुहागा जैसे स्कीम लाकर लोगों को गोल्ड लोन देने लगे हैं। शहर में कई प्राइवेट फाइनेंस कंपनियां भी गोल्ड लोन दे रहीं हैं। वहीं सरकारी बैंक भी गोल्ड लोन पर ग्राहकों को कई तरह के आफर भी शुरू कर दिया है। स्टेट बैंक ने सोने में सुहागा नाम देते हुए गोल्ड लोन देना शुरू किया है। बैंक के अधिकारियों के अनुसार इसमें ग्राहकों को केवल साढ़े सात फीसद वार्षिक ब्याज पर गोल्ड लोन उपलब्ध है। जो अभी तक का सबसे कम ब्याज है। बैंक गोल्ड लोन पर कागजी कार्रवाई भी कम कर रहे हैं, ब्रांच में वैल्युवर गोल्ड की शुद़ध्ता जांच कर वजन और गुणवत्ता का सर्टिफिकेट जारी करता है। उसके बाद ग्राहक के खाते में लोन का पैसा ट्रांसफर हो जाता है।
बेचने से अधिक लोन
स्टेट बैंक कैंट के चीफ मैनेजर हरीश बाधवा का कहना है कि ग्राहकों के निजता और सम्मान का ख्याल रखते हुए ब्रांच में गोल्ड केबिन भी बनाया गया है। कोविड के समय में बैंकों ने गोल्ड लोन में ग्राहकों को सुविधा दी है। इसमें कम ब्याज पर सम्मान के साथ लोन दिया जा रहा है। जहाँ ज्वेलर्स सोने की शुद्धता के नाम पर कटौती करते हैं। वहीं बैंक में अब आरबीआई ने सोने की कुल मूल्य का 90 फीसद तक लोन देने को कहा है। इससे ग्राहक बगैर बेचे अपने सोने पर अधिक लोन ले सकेंगे। स्टेट बैंक में सात फीसद के ब्याज पर गोल्ड लोन उपलब्ध है।
गोल्ड बांड के खरीददार कम
अभी सरकार ने सॉवरेन गोल्ड बांड जारी किया था। इसमें बैंकों के माध्यम से ग्राहकों को गोल्ड बांड में डिजिटल भुगतान से निवेश का विकल्प मिला था। इस बांड को लेकर मेरठ के बैंकों में कोई रुझान नहीं दिखा। बैंकों की माने तो कोविड काल में गोल्ड बांड खरीदने वाले नहीं मिले। गोल्ड के चढ़ते भाव की वजह से भी बांड खरीदने वाले कम रहे।