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तालाब तो बनाया..बस पानी का रास्ता रोक दिया

मेरठ। सालभर पानी से लबालब रहने वाले तालाबों का नसीब सूख गया है। करोड़ों रुपये खर्च कर तालाबों की खोदा

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Jun 2018 10:57 AM (IST)Updated: Sun, 17 Jun 2018 10:57 AM (IST)
तालाब तो बनाया..बस पानी का रास्ता रोक दिया
तालाब तो बनाया..बस पानी का रास्ता रोक दिया

मेरठ। सालभर पानी से लबालब रहने वाले तालाबों का नसीब सूख गया है। करोड़ों रुपये खर्च कर तालाबों की खोदाई की गई, लेकिन बारिश के जल की एक बूंद भी तालाबों तक नहीं पहुंची। कारण, तालाबों की खोदाई की तकनीक ही दोषपूर्ण थी। इसमें वर्षा का जल पहुंचने का रास्ता नहीं बनाया गया। जल संचय के नियमों को दरकिनार करने से 75 प्रतिशत तालाब सूखे पड़े हैं, जबकि अन्य में सिर्फ गांवों से निकलने वाला गंदा पानी भरा है।

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मुख्यमंत्री जल बचाओ अभियान के तहत तालाबों को कब्जा मुक्त कराकर इनके जीर्णोद्वार की योजना तैयार की गई थी। योजना के तहत जिले में वर्ष 2016 में 129 तालाबों को चयनित किया गया और अभियान चलाकर तालाबों को कब्जा मुक्त कराकर साफ कराया गया। ऐसे ही वर्ष 2017 में 80 तालाबों की दशा सुधारने के लिए मनरेगा योजना से करीब पांच करोड़ का बजट भी खर्च हुआ। योजना के पीछे शासन की मंशा थी कि तालाबों में जल संचय कर भूजल को रिचार्ज कराया जा सकेगा। इसके अलावा प्रकृति के जल स्त्रोत की रक्षा और वन्य जीवों को भी तालाबों से पेयजल मिल सकेगा, लेकिन करोड़ों खर्च होने के बाद भी स्थिति में सुधार नहीं आया है। कब्जा मुक्त कराए तमाम तालाब फिर से कब्जे की चपेट में हैं और गलत तरीके से बनाए गए नए तालाबों में जल संचय नहीं हो सका है। जल्दबाजी में बिगड़ गई सूरत

शासन की सख्ती के कारण जिला प्रशासन ने जल्दबाजी में नियमों की अनदेखी कर तालाबों की खोदाई कर डाली, लेकिन तालाबों में बरसात, नहर, रजवाहे आदि से पानी का संचय कैसे होगा, इस पर ध्यान नहीं दिया। अधिकांश तालाबों की दिशा, ऊंचाई और मेढ़ गलत बनाई गई, जिससे बरसात का पानी तालाब में नहीं आ सका। इसके अलावा तालाबों में नहर, रजवाहों का पानी लाने के लिए भी कोई प्रयास नहीं किया गया। लापरवाही में डूब रहे जल कुंड

तालाबों को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहले ही सख्त है, लेकिन स्थानीय स्तर पर हुई लापरवाही तालाबों के अस्तित्व को मिटाने पर तुली है। डार्क जोन में पहुंचे मेरठ, रजपुरा, खरखौदा, माछरा और शहर क्षेत्र स्थित तालाबों की दशा सुधारने पर शासन का अधिक जोर था, लेकिन इन क्षेत्रों के तालाबों की स्थिति अन्य के मुकाबले अधिक खराब है। अधिकांश तालाब कब्जाए जा चुके हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार जिले भर में 1050 तालाब गायब हो चुके हैं। दस साल में भूजल की स्थिति

ब्लाक गिरावट

रजपुरा - 7.0 मीटर

माछरा - 6.10

खरखौदा - 5.60

शहर क्षेत्र - 5.40

मेरठ - 4.10 जिले में तालाबों की स्थिति

क्षेत्र आबादी बाहर

मेरठ तहसील - 376 259

मवाना - 375 268

सरधना - 353 170

नगर निगम - 50 22

नगर पंचायत - 48 28

जिले में कुल तालाब 1949 जिलाधिकारी अनिल ढींगरा बताते हैं कि तालाबों को कब्जा मुक्त कराने के साथ जीर्णोद्वार कराया जा रहा है। पूर्व में खोदे गए तालाबों में जल संचय हो, इसे भी सुनिश्चित कराया जाएगा। डार्क जोन क्षेत्र में भूजल रिचार्ज के लिए विशेष कार्यक्रम तैयार किए गए हैं। जागरूक नागरिक एसोसिएशन के गिरीश शुक्ला का कहना है कि तालाबों की तलछट में तमाम परतें होती हैं, जो भूजल रिचार्ज करती हैं। कई बार इसमें गंदगी जमा होने से रिचार्ज नहीं हो पाता है। तालाबों की खोदाई से ज्यादा जरूरी उसमें पानी के पहुंचने का सटीक रास्ता है। मनरेगा के तमाम तालाबों में इसकी अनदेखी की गई है।


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