आक्सीजन ड्राप करे तभी मरीज को भर्ती करने की जरूरत
कोरोना मरीजों के होम आइसोलेशन को लेकर शासन की सख्ती से स्थिति बिगड़ सकती है।
मेरठ, जेएनएन। कोरोना मरीजों के होम आइसोलेशन को लेकर शासन की सख्ती से स्थिति बिगड़ सकती है। डाक्टरों का कहना है कि हर कोमíबड मरीज को भर्ती करने की जरूरत नहीं है। सिर्फ उन्हें अस्पताल ले जाना चाहिए, जिनकी आक्सीजन 95 से कम हो या फिर तेज बुखार और लगातार खासी हो। बुजुग मरीजों को खास तौर पर होम आइसोलेशन में रखने के लिए कहा जा रहा है, जिन्हें घर पर बेहतर इलाज मिल सकता है।
गत दिनों कुछ मरीजों की होम आइसोलेशन में मौत हुई थी, जिसके बाद प्रशासन ने गाइडलाइन के बहाने ऐसे लोगों को भी अस्पताल भेज दिया, जिन्हें कोई लक्षण नहीं थे। उनकी उम्र 60 साल होने के आधार पर जबरन अस्पताल भेजा गया। एक ही रोग के इलाज का अलग-अलग प्रोटोकाल मेरठ के लोगों के लिए भ्रम पैदा कर रहा है। प्रशासन 60 वर्ष से अधिक मरीज को होम आइसोलेशन देने को तैयार नहीं जबकि पड़ोस का दिल्ली एसिम्प्टोमैटिक मरीज चाहें वह बुजुर्ग ही क्यों न हों, उन्हें घर ही रहने की सलाह दे रहे हैं। केवल 70 किमी दूर दिल्ली ही नहीं, उप्र के ही अन्य जिलों में भी बुजुर्गो के होम आइसोलेशन की मंजूरी को लेकर नियम कठोर नहीं है।
प्रशासन के हैं अपने तर्क
मेरठ में 60 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गो को होम आइसोलेशन न देने का निर्णय लेने वाले जिलाधिकारी के. बालाजी का तर्क है कि पिछले दिनों में मेरठ में दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से मौतों की संख्या ज्यादा रही। कोविड में वैसे भी बुजुर्ग और बीमार लोगों के लिए खतरा ज्यादा रहता है। अगर वे घर की जगह अस्पताल में रहेंगे तो तबियत बिगड़ने के साथ ही जरूरत के मुताबिक उनका इलाज हो जाएगा, जबकि घर में यह संभव नहीं। घर में समझने में देर लगते ही बात बिगड़ सकती है। यह अप्रियकर स्थिति न आए, इसिलिए बुजुर्गो को होम आइसोलेशन नहीं दिया जा रहा है।
जब दवा नहीं तो अस्पताल क्यों
सास व छाती रोग विशेषज्ञ डा. वीरोत्तम तोमर का कहना है कि कोरोना की कोई स्पष्ट कारगर दवा नहीं है, ऐसे में जो इलाज अस्पताल में होगा, उसे घर पर भी दिया जा सकता है। घर पर बेहतर देखभाल, साफ सुथरा भोजन और अपनापन मरीज के लिए बेहद असरकारक है।
फिजिशियन डा तनुराज सिरोही कहते हैं कि हल्की खासी, हल्का बुखार, उच्च रक्तचाप और शुगर बढ़ने पर भर्ती कराने के बजाय स्वास्थ्य विभाग को मरीज की बेहतर देखभाल पर फोकस करना चाहिए।
मेडिकल कालेज के प्रोफेसर डा. टीवीएस आर्य का कहना है कि कोरोना संक्रमण सातवें से दसवें दिन तक कमजोर पड़ जाता है। अगर मरीज की सास नहीं फूल रही है तो फिर उसे कोई खतरा नहीं है। ऐसे में अस्पताल में भर्ती करने से खास फायदा नहीं है। कई बार कोरोना में फेफड़ो में काले पैच पड़ जाते हैं, जिनकी आक्सीजन गिरने लगती है। रेमिडीसीवीर इंजेक्शन उन्ही मरीजों को दिया जा सकता है, जिसमें गंभीर लक्षण हैं। यानी निमोनिया होने पर ही दिया जाता है। अगर मरीज की आक्सीजन गिरने लगेगी उसे तुरंत रेमिडीसीवेर, स्टेरायड दिया जाता है। लेकिन कई बार ये दवाएं सामान्य मरीजों को भी दी जाती हैं, जिसकी जरूरत नहीं है।
इनका कहना है
बुजुर्ग मरीजों को होम आइसोलेशन देना चाहिए, क्योंकि उन्हें ज्यादा देखभाल की जरूरत है। अस्पताल में उन्हें परिवार की तरह केयर नहीं मिल सकती है। हा, ऑक्सीजन गिरे तो जरूर कोविड केंद्र भेजें।
डा. वीरोत्तम तोमर, छाती रोग विशेषज्ञ
शासन ने कोमíबड मरीजों और 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए कहा है, जहा ट्रेंड टीम काम कर रही है। कई लोग लक्षणों को छुपा लेते हैं, जो ठीक नहीं। इसलिए सभी को अस्पताल भेजकर शासन को रिपोर्ट भेजना पड़ता है।
डा. राजकुमार, सीएमओ
कोरोना के 168 नए मामले, तीन की मौत
बुधवार को कोरोना संक्रमण के 168 नए मामले सामने आए हैं। वहीं, तीन मरीजों की मृत्यु की पुष्टि की गई है। सीएमओ डा. राजकुमार ने बताया कि 3775 सैंपलों की जांच की गई। जिसमें 168 नए मरीज संक्रमित पाए गए हैं। 25 मरीजों की रिपोर्ट अभी आनी बाकी है। जबकि 108 लोगों को डिस्चार्ज किया गया। कोरोना से अब 12533 लोग डिस्चार्ज किए जा चुके हैं। 770 मरीज होम आइसोलेशन में अपना उपचार कर रहे हैं। अब तक 14304 लोगों में कोरोना की पुष्टि हो चुकी है।