उत्सुकता बढ़ाती है संविधान की मूल प्रति
आज यानी 26 नवंबर को संविधान दिवस है। जिस संविधान के सहारे सबसे बड़ा लोकतंत्र फल फूल रहा है उसकी अपनी कहानी है।
मेरठ, जेएनएन। आज यानी 26 नवंबर को संविधान दिवस है। जिस संविधान के सहारे सबसे बड़ा लोकतंत्र फल फूल रहा है, उसकी अपनी कहानी है। करीब 71 साल पहले 1949 में आज ही के दिन संविधान सभा ने संविधान को स्वीकारा था, जिसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया। संविधान आज किताबों के रूप में हर जगह उपलब्ध है, लेकिन सबसे पहले जिस संविधान को तैयार किया गया था, उसकी प्रति को देखना आज भी उत्सुकता पैदा करता है। मेरठ कालेज के विधि विभाग में संविधान की मूल प्रति की छायाप्रति संरक्षित है।
जिस संविधान को हाथ से लिखा गया था, उसकी मूल प्रति भारतीय संसद भवन में संरक्षित है। उसकी छाया प्रति मेरठ कालेज में देखी जा सकती है। यह मूल प्रति के पूरे स्वरूप को बताती है। मेरठ कालेज में अंग्रेजी में हाथ से लिखित संविधान की छायाप्रति है। होल्डर और निब से प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने बहुत सुंदर तरीके से लिखा है। मेरठ कालेज में रखी गई प्रति को देखना अपने आप में दिलचस्प है। हर पन्ने पर भारतीय संस्कृति, परंपरा और इतिहास को चित्रों के माध्यम से देखा जा सकता है। संविधान के पन्नों पर रामायण, महाभारत, महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस आदि के चित्र उकेरे गए हैं। संविधान सभा में रहने वाले लोगों के वास्तविक हस्ताक्षर को भी इसमें देख सकते हैं।
कोई भी देख सकता है संविधान
मेरठ कालेज के विधि विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर एमपी वर्मा का कहना है कि इस संविधान की प्रति को कोई भी छात्र कालेज में आकर देख सकता है। विधि के साथ सामान्य छात्र भी संविधान की विविधता को महसूस कर सकते हैं।
अपने संविधान को जानिए
- संविधान को बनाने में दो साल 11 महीने और 18 दिन लगे।
- संविधान को लिखने में छह महीने लगे।
- मूल संविधान में दस पेज पर 284 सदस्यों के हस्ताक्षर हैं।
- मूल प्रति में 46 लोगों ने हिदी में हस्ताक्षर किए हैं।
- सबसे पहले पूर्व राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद का हस्ताक्षर है। उसके बराबर में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का हस्ताक्षर है।