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पृथ्‍वी दिवस: वेटलैंड कम होने से पर्यावरण पर भी भारी संकट

पृथ्वी का तापमान बढ़ने की वजह से कई पौधों के उत्पादन पर असर पड़ा है साथ ही कई जीवों की प्रजातियों पर भी खतरा है। हस्तिनापुर में कुछ साल पहले जितना वेटलैंड था वह भी कम हो रहा है।

By Taruna TayalEdited By: Published: Mon, 22 Apr 2019 11:19 AM (IST)Updated: Mon, 22 Apr 2019 11:19 AM (IST)
पृथ्‍वी दिवस: वेटलैंड कम होने से पर्यावरण पर भी भारी संकट
पृथ्‍वी दिवस: वेटलैंड कम होने से पर्यावरण पर भी भारी संकट
मेरठ, जेएनएन। पृथ्वी की सेहत के लिए हर जीव-जंतु और वनस्पति की अहमियत है। इस श्रृंखला में एक भी चक्र टूटा तो पूरा सिस्टम प्रभावित होने लगता है। धरती के बढ़ते तापमान से कई प्रजातियों पर खतरा मंडरा रहा है, तो दूसरी ओर इंसान के लालच से भी कई तरह की चुनौती खड़ी होने लगी है। हस्तिनापुर में जिस तरह से वेटलैंड कम हो रहा है। उससे पूरा इको सिस्टम गड़बड़ाने लगा है।
कई जीवों की प्रजातियों पर खतरा
हर साल 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इस दिवस को हर साल एक थीम के साथ आगे बढ़ाया जाता है। इस बार का विषय प्रजातियों को बचाने का है। चौधरी चरण सिंह विवि के पर्यावरण विभाग के अध्यक्ष प्रो. एके चौबे कहते हैं कि पृथ्वी का तापमान बढ़ने की वजह से कई पौधों के उत्पादन पर असर पड़ा है, साथ ही कई जीवों की प्रजातियों पर भी खतरा है। हस्तिनापुर में कुछ साल पहले जितना वेटलैंड था, वह लगातार कम हो रहा है। लोग वेटलैंड को भरकर आवास बना रहे हैं। या फिर खेती करने लगे हैं। इससे पूरा इको सिस्टम प्रभावित होने लगा है। इस वेटलैंड पर कुछ साल पहले काफी संख्या में प्रवासी पक्षी आते थे, जो आसपास के कीड़े मकोड़ों को अपना भोजन बनाते थे। हर साल नवंबर से मार्च तक यहां पक्षियों का डेरा रहता था, लेकिन अब ये प्रवासी बहुत कम होने लगे हैं। वह कम समय के लिए वेटलैंड पर आ रहे हैं, क्योंकि उनके लिए अब यहां पर्याप्त भोजन नही मिल पा रहा है। अपने अध्ययन में प्रो. चौबे बताते हैं कि पक्षियों के न आने से इस क्षेत्र का इको सिस्टम प्रभावित होने लगा है।
अचानक बढ़ी गर्मी खतरे की घंटी
मौसम में अचानक हो रहे परिवर्तन जलवायु चक्र को बदल रहे हैं। तापमान में हो रहे परिवर्तनों से बीमारियां पनप रही हैं और फसल चक्र भी गड़बड़ा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार इसके परिणाम अच्छे नहीं है। अमूमन सर्दी का सीजन फरवरी समाप्त होते ही विराम ले लेता है। मार्च में गर्मी के तेवर दिखने लगते हैं, लेकिन इस बार मार्च का तापमान पिछले दस साल की तुलना में सबसे कम आंका गया है, जबकि बारिश भी काफी कम हुई। मार्च में अच्छी ठंड रही है। हालांकि दूसरा पहलू यह है कि इस बार दिसंबर और जनवरी में कड़ाके की ठंड नहीं देखने को मिली है। ठंड का असमान्य विस्तार से स्वाइन फ्लू लंबे समय तक लोगों के स्वास्थ्य पर असर डालता रहा। वरिष्ठ फिजीशियन डा. अनिल कुमार ने बताया कि स्वाइन फ्लू का वायरस ठंड में ही पनपता है। यह प्रोटीन फार्म में होता है जो ठंड में और असरकारी हो जाता है। गर्मी में यह निष्क्रिय हो जाता है। इसलिए जब भी शरीर इससे प्रभावित होता है तभी शरीर का सिस्टम इससे निष्प्रभावी करने के लिए तापमान बढ़ाता है। गर्मी होते ही अब यह निष्क्रय हो गया है।
अप्रैल के शुरु में तेजी से बढ़ी गर्मी
मार्च में मौसम के नरम रहने के बाद अप्रैल के पहले सप्ताह में तापमान तेजी से बढ़ गया है और एक दम से 38 डिग्री के बिंदु के पार चला गया। इससे एक बार फिर गर्मी में पनपने वाली बीमारियों ने पैर पसार लिए। सरकारी अस्पतालों की ओपीडी मरीजों से फुल हो गईं।
इन्‍होंने बताया
सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि विवि के मौसम केंद्र के प्रभारी डा. यूपी शाही ने बताया कि भारतीय कृषि प्रणाली पूरी तरह मौसम पर आधारित है। किसी एक मौसम का लंबे खिंचना पर्यावरण संतुलन के लिहाज से अच्छा संकेत नहीं है। इस बार दिसंबर और जनवरी में कड़ाके की ठंड न पड़ना भी एक महत्वपूर्ण बदलाव है।
कृषि विवि के प्रोफेसर आरएस सेंगर ने बताया कि तात्कालिक रूप से इस मौसम में हुए परिवर्तन से गेहूं की फसल को लाभ हुआ है, लेकिन फलों के राजा कहे जाने वाले आम पर इसने प्रतिकूल प्रभाव डाला है। मार्च में बौर के पनपने का समय होता है जिसमें तापमान में बढ़ोत्तरी अच्छी मानी जाती है। ठंड होने से आम के बौरों पर कीटों ने अटैक किया है।
रोपे जाएंगे 18 लाख पौधे
मेरठ जिले की बात करें तो बीते वषरे में सड़कों के निर्माण के लिए यहां हजारों पेड़ों की बलि दी गई। हालांकि एक बदले दस लगाने के दावे भी हो रहे हैं। पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने के लिए ही मेरठ जिले में वर्ष 2019-20 में वन विभाग को 18 लाख 27 हजार पौध रोपण का लक्ष्य दिया गया है। इतने पौधे लगाकर पृथ्वी का श्रंगार करने के लिए वन विभाग ने कमर भी कस ली है। जिले में 11 नर्सरियों में 21 लाख से अधिक पौधे तैयार किए जा रहे हैं। जुलाई माह से पौधरोपण का कार्य वन विभाग शुरू कर देगा। चार लाख 61 हजार पौधे वन विभाग लगाएगा। शेष पौधे दूसरे विभाग लगाएंगे।
आज हस्तिनापुर सेंचुरी में स्कूली बच्चों को निश्शुल्क प्रवेश
पृथ्वी दिवस पर स्कूली बच्चों को पर्यावरण का महत्व समझाने के लिए वन विभाग हस्तिनापुर सेंचुरी में स्कूली बच्चों को निश्शुल्क प्रवेश देगा। जबकि बड़ों का शुल्क लगेगा। डीएफओ ने बताया कि इस अवसर पर जितनी भी सेंचुरी में मौजूद पेड़-पौधे, पक्षियों की जितनी भी प्रजातियां हैं। उनसे अवगत कराया जाएगा।
इनका कहना है
पेड़-पौधे धरती का श्रंगार होते हैं। इनसे धरती हरी-भरी तो होती ही है, जल संचय भी होता है। वातावरण में ऑक्सीजन का संचार भी बढ़ता है। वन विभाग को इस बार 18 लाख 27 हजार पौध रोपण का लक्ष्य मिला है। आने वाले कुछ वषरे में पर्यावरण में सुधार नजर आएगा।
- अदिति शर्मा, डीएफओ मेरठ 

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