Move to Jagran APP

जो कूड़ा आज आफत है, कल करेगा राह आसान

जिस कचरे को हम बेकार समझकर फेंक रहे हैं इससे निकले आरडीएफ से बिजली बनने के साथ यह आपकी राह भी आसान करेगा। ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि बिजेंद्रा एनर्जी एंड रिसर्च कंपनी के डायरेक्टर बिजेंद्र चौधरी का दावा है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 15 Jan 2020 08:00 AM (IST)Updated: Wed, 15 Jan 2020 08:00 AM (IST)
जो कूड़ा आज आफत है, कल करेगा राह आसान
जो कूड़ा आज आफत है, कल करेगा राह आसान

मेरठ, जेएनएन। जिस कचरे को हम बेकार समझकर फेंक रहे हैं, इससे निकले आरडीएफ से बिजली बनने के साथ यह आपकी राह भी आसान करेगा। ऐसा हम नहीं कह रहे, बल्कि बिजेंद्रा एनर्जी एंड रिसर्च कंपनी के डायरेक्टर बिजेंद्र चौधरी का दावा है। वे बताते हैं कि एक मेगावाट के गैसीफिकेशन प्लाट में प्रति घटा लगभग एक से सवा टन आरडीएफ (कचरे से निकले प्लास्टिक, पॉलीथिन) की खपत होगी। गैसीफिकेशन की प्रक्रिया में अंतिम अवशेष के रूप में प्रति घंटे करीब 10 किलो तारकोल निकलेगा। अर्थात 24 घंटे में 24000 यूनिट बिजली पैदा होगी तो लगभग 250 किलो तारकोल का उत्पादन होगा। उनका कहना है कि इस तारकोल का उपयोग डामर की जगह सड़क बनाने में किया जा सकता है। भवन निर्माण में वाटर प्रूफिंग की जगह इसका इस्तेमाल हो सकता है और रिफाइनरी में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। यह कम से कम 30 रुपये प्रति किलो की कीमत देगा। मालूम हो कि भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने दिल्ली रोड स्थित कंपनी के पुराने प्लांट में आरडीएफ से गैस, बिजली और फिर तारकोल बनने की प्रक्रिया देखी थी। उनका कहना है कि इस प्रोजेक्ट से कई राहें खुलने जा रही हैं। निगम का कचरा भी साफ होगा और आमदनी के रास्ते भी खुलेंगे।

prime article banner

अंतिम अवशेष है तारकोल

कंपनी के डायरेक्टर के मुताबिक आरडीएफ के गैसीफिकेशन प्रक्रिया से गुजरने के बाद जो गैस उत्पन्न होती है वह साफ और किसी भी कणों से मुक्त होती है। जिसका उपयोग पीएनजी गैस की तरह हो सकता है। इस गैस से गैस जेनसेट चलाकर, गैस टरबाइन चलाकर बिजली का उत्पादन किया जाता है और अंतिम अवशेष में तारकोल निकलता है।

एक किलो आरडीएफ में 2500 किलोकैलोरी ऊर्जा

कंपनी के डायरेक्टर ने बताया कि विभिन्न शोधों के अनुसार मध्यम गुणवत्ता के एक किलो आरडीएफ में 50 से 60 फीसद तक प्लास्टिक एवं पॉलिथीन होता है और अपशिष्ट पांच फीसद से अधिक नहीं होता। इसमें न्यूनतम 2500 किलोकैलोरी ऊर्जा होती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.