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एनजीटी के फरमान से सुधरेगी हवा की सेहत, कई उद्योगों पर नकेल

पर्यावरण की सेहत संवारने वाली योजनाएं अगर जमीन पर उतरीं तो आबोहवा जल्द सुधरेगी। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की निगरानी में कई बड़ी योजनाएं बनी हैं। एनसीआर में वायु एवं जल प्रदूषण को लेकर एनजीटी के सख्त रुख का भी असर दिखने लगा है। तमाम औद्योगिक इकाइयों को नोटिस जारी किए गए हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 04 Jan 2019 10:00 AM (IST)Updated: Fri, 04 Jan 2019 10:00 AM (IST)
एनजीटी के फरमान से सुधरेगी हवा की सेहत, कई उद्योगों पर नकेल
एनजीटी के फरमान से सुधरेगी हवा की सेहत, कई उद्योगों पर नकेल

मेरठ । पर्यावरण की सेहत संवारने वाली योजनाएं अगर जमीन पर उतरीं तो आबोहवा जल्द सुधरेगी। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की निगरानी में कई बड़ी योजनाएं बनी हैं। एनसीआर में वायु एवं जल प्रदूषण को लेकर एनजीटी के सख्त रुख का भी असर दिखने लगा है। तमाम औद्योगिक इकाइयों को नोटिस जारी किए गए हैं।

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पीएमओ से उद्योगों पर नजर

एनसीआर में काली एवं ¨हडन नदी बेहद प्रदूषित हैं। केंद्र सरकार ने नमामि गंगे योजना के तहत गंगा की सहायक नदियों को भी साफ करने की योजना बनाई है। इसके अंतर्गत नदियों में गिरने वाले नालों में ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जा रहे हैं। जनजागरूकता के जरिए ग्रामीणों को गंगा ग्राम मित्र बनाया जा रहा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्देश पर क्षेत्रीय बोर्ड ने मेरठ की सौ से ज्यादा कंपनियों की ईटीपी की नियमित पड़ताल शुरू कर दी है। चीनी एवं पेपर मिलों के ईटीपी की मानीट¨रग सीधे पीएमओ से की जा रही है, ताकि विषाक्त कचरा नालों में न पहुंचे। ईटीपी पर सेंसर लगाकर वेस्टेज की आनलाइन जांच की जा सकेगी। छोटी औद्योगिक इकाइयों में भी सेंसर लगाए जा रहे हैं। केंद्र सरकार ने मेरठ से गुजरने वाले छह नालों की रिपोर्ट तलब की है, जहां सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के लिए बड़ा बजट आवंटित हो सकता है।

जिगजैग तकनीक पर ईट भठ्ठे

ईट भट्टों को जिग जैग तकनीक पर चलाने के फरमान से वायु प्रदूषण में सुधार की उम्मीद बढ़ी है। औद्योगिक चिमनियों में कैनोपी लगाने के साथ ही पुराने जनरेटरों के संचालन पर भी शिकंजा कसा जाएगा। साथ ही पेटकोक एवं फर्नेस आयल की खपत में कमी से भी हवा की सेहत में बदलाव होगा। पुराने वाहनों के संचालन पर भी नियंत्रण किया जा रहा है।

वायु की गुणवत्ता मापेंगे छह नए स्टेशन

दिल्ली के साथ ही मेरठ की हवा में भी पीएम-2.5, पीएम-10 की मात्रा खतरनाक मिली है। हवा में सल्फर, कार्बन, नाइट्रोजन एवं विषाक्त कणों का घनत्व ज्यादा मिला है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने मेरठ में आधा दर्जन स्थानों को चिन्हित किया है, जहां वायु की गुणवत्ता मापने वाले आधुनिक यंत्र लगेंगे। इसके साथ ही बाजार में हवा शोधक उपकरणों की भी नई रेंज पहुंच गई है। चिकित्सकों के क्लीनिकों के साथ ही तमाम स्कूलों में भी इसे लगाया गया है। दुकानों पर नए मास्क भी बिक रहे हैं, जिससे पीएम-10 से बचाव हो जाता है।

मेरठ की हवा में पीएम-2.5 की मात्रा पांच सौ माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक तक दर्ज हो रही है, जो मानक 60 माइक्रोग्राम से आठ गुना है। भूजल में विषाक्त पदार्थ पहुंच चुके हैं। पानी में फ्लोरायड, नाइट्रेट एवं आर्सेनिक तक पहुंचा है, ऐसे में सरकार ने कई योजनाओं के जरिए आबोहवा की सेहत सुधारने के प्रयास तेज किए हैं। बड़ी संख्या में पौधरोपण भी जरूरी है।

डा. एसके यादव, पर्यावरण वैज्ञानिक


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