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Year Ender 2019: अधूरा रहा मेरठ में उद्योगों में निवेश का ख्वाब, औद्योगिक भूखंड बनाने की गाड़ी जहां की तहां अटकी

Year Ender 2019 वर्ष 2019 ने उद्योगों के लिए बड़ी उम्मीदें जगाईं लेकिन परवान नहीं चढ़ी। प्रशासनिक असमंजस की वजह से मेरठ में एक भी नई औद्योगिक इकाई नहीं बसाई जा सकी।

By Taruna TayalEdited By: Published: Tue, 31 Dec 2019 05:00 AM (IST)Updated: Tue, 31 Dec 2019 05:00 AM (IST)
Year Ender 2019: अधूरा रहा मेरठ में उद्योगों में निवेश का ख्वाब, औद्योगिक भूखंड बनाने की गाड़ी जहां की तहां अटकी
Year Ender 2019: अधूरा रहा मेरठ में उद्योगों में निवेश का ख्वाब, औद्योगिक भूखंड बनाने की गाड़ी जहां की तहां अटकी

मेरठ, [जागरण स्‍पेशल]। वर्ष 2019 ने उद्योगों के लिए बड़ी उम्मीदें जगाईं, लेकिन परवान नहीं चढ़ी। प्रशासनिक असमंजस की वजह से मेरठ में एक भी नई औद्योगिक इकाई नहीं बसाई जा सकी, वहीं मेरठ की कंपनियों के नाम पर नकली बल्लों के रैकेट ने स्पोट्र्स सिटी को झकझोर दिया। जीएसटी रिटर्न को लेकर उद्यमियों में शिकायत बनी रही, जबकि तकनीक विकास पर भी कोई काम नहीं हुआ। उधर, औद्योगिक भूखंड बनाने की गाड़ी जहां की तहां अटकी रह गई। 

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इन्वेस्टर्स समिट...ख्वाब ही रहा

जिला उद्योग विभाग की रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2018 में लखनऊ में इन्वेस्टर्स समिट में 900 करोड़ रुपए का एमओयू साइन किया गया। प्रशासनिक अधिकारियों के दौरे हुए। औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना ने मेरठ में उद्यमियों के साथ बैठक करते हुए नए औद्योगिक प्लाटों को चिन्हित करने के लिए कहा। लेकिन उद्योगों की डगर पर मेरठ एक कदम नहीं बढ़ा। मेरठ के नए प्रभारी मंत्री श्रीकांत शर्मा ने भी सभी विभागों की बैठक लेते हुए इन्वेस्टर्स समिट की पड़ताल की। विभागों ने साफ कर दिया कि नए औद्योगिक सेक्टर बनाना आसान नहीं है।

जमीन नहीं... उद्योग लगाएं कहां !

खेतीबाड़ी की जमीनों का सर्किट रेट ज्यादा है। जबकि यूपीएसआइडीसी न किसानों को समझा सका, और न ही प्रशासनिक अधिकारियों को भरोसे में ले सका। अमूल समेत कई बड़ी कंपनियों ने मेरठ में प्लांट लगाने के लिए प्रयास किया, लेकिन कागजी अड़चनों में सब कुछ फंस गया। हालांकि इस बीच विश्वकर्मा इंडस्ट्रियल एस्टेट ने 50 एकड़ जमीन में नए प्लाट बनाने का प्रयास किया। निवेश के प्रति उत्साह दिखाने के लिए जिले के पांच उद्यमियों को लखनऊ बुलाकर सम्मानित किया गया।

नकली बल्लों ने तबाह किया खेल उद्योग

मेरठ के बल्लों को दुनिया में बेजोड़ माना जाता है। आनलाइन कारोबार की वजह से बल्लों का बिजनेस 40 फीसद तक गिरा। कई बड़ी कंपनियां भी इस आनलाइन कारोबार का शिकार हो गईं। एसजी के नकली बल्लों की कई बार खेप पकड़ी गई। एसएस, एसएफ, बीडीएम समेत कई कंपनियों ने केंद्रीय सूक्ष्म एवं लघु उद्योग मंत्रालय से लेकर राज्य सरकार तक गुहार लगाई। मेरठ, जालंधर से लेकर कश्मीर तक यहां के नकली बल्ले मिले।

राज्यपाल ने परखा इंडस्ट्री का कौशल

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने जुलाई में मेरठ की खेल इंडस्ट्री का दौरा किया। उन्होंने परतापुर स्थित भल्ला स्पोट्र्स का दौरा किया। ओलंपिक खेलों तक एथलेटिक्स उपकरणों की आपूर्ति करने वाली कंपनी की बारीकियों को राज्यपाल ने देखा। उन्होंने यहां के तकनीकी कौशल को खूब सराहा। माना कि सीमित संसाधनों में मेरठ की इंडस्ट्री ने असीमित सफलता अर्जित की है। खेल उपकरणों की प्रदर्शनी भी लगाई गई। सरकार ने ओडीओपी के तहत मेरठ की खेल इंडस्ट्री को चुना था, उन्होंने इसकी समीक्षा की। जिला उद्योग केंद्र के आंकड़ों को भी परखा।

ओडीओपी से दूर रहीं बड़ी इकाइयां

प्रदेश सरकार ने योजना के तहत खेल उद्योग को देश-दुनिया में नया मंच देने की योजना बनाई। खेल उद्यामियों को कई प्रकार की सहूलियत दी गई। नई इकाई लगाने वालों को बिजली व करों में छूट दी गई। 120 उद्यमियों को प्रोत्साहन देने के लिए पांच करोड़ का बजट जारी हुआ। लेकिन बड़ी खेल इकाइयों ने ओडीओपी में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। एसएस, एसजी, स्टैग, नेल्को, भल्ला स्पोट्र्स, एटीई व नेशनल स्पोट्र्स समेत बड़ी कंपनियां इस योजना से नहीं जुड़ीं। उद्यमियों ने बताया कि प्रमोशन काउंसिल के मंच से उन्हें विदेशों में अपने उत्पादों को पहुंचाने में मदद मिल जाती है।

अमेजन पर आईं खेल कंपनियां

मोहकमपुर में आनलाइन कंपनी अमेजन के अधिकारियों ने खेल उद्योगों के साथ र्मींटग कर उन्हें अपने उत्पादों को प्रदर्शित करने व बेचने का नया प्लेटफार्म दिया। इस योजना में न्यूनतम फीस जमा कर कई बड़ी इकाइयां जुड़ीं। प्रदेश सरकार ने इस योजना को ओडीओपी में शामिल किया। कई अन्य आनलाइन कंपनियां न्यूनतम फीस लेकर उत्पादों को प्रमोट करने के लिए संपर्क कर रही हैं। खेल उद्यमियों ने इस योजना के प्रति दिलचस्पी दिखाई। हालांकि बाद में इसमें भी कई अनियमितताएं मिलीं।

पंकज गुप्ता बने राष्ट्रीय अध्यक्ष

इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ने मेरठ के पंकज गुप्ता को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया। पंकज मेरठ से राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने वाले चौथे उद्यमी हैं। उधर, वेस्टर्न यूपी चेंबर आफ कामर्स में भी नई टीम का गठन किया गया। डा. रामकुमार गुप्ता नए अध्यक्ष बनाए गए। देश की वित्तीय स्थिति पर चर्चा के लिए चेंबर ने सीसीएसयू के उप कुलपति डा. एनके तनेजा को अतिथि के रूप में बुलाया। कई अन्य अर्थशास्त्रियों एवं वित्त विशेषज्ञों को बुलाकर मेरठ में उद्योग लगाने एवं निवेश का गणित समझाने का प्रयास किया गया। उधर, चेंबर आफ कामर्स रोडवेज के पदाधिकारियों ने भी नई कार्यकारिणी चुनने के साथ ही आयकर, टैक्सर्, ंसगर्ल ंवडो सिस्टम, बैकों से आसान ऋण और जीएसटी को लेकर विशेषज्ञों के साथ चर्चा की।

जीएसटी ने इस साल भी रुलाया

मेरठ में कैबिनेट मंत्री सतीश महाना के सामने सर्वाधिक प्रश्न जीएसटी रिटर्न में आने वाली अड़चनों को लेकर उठाए गए थे। औद्योगिक संगठनों ने सालभर आयकर, वाणिज्यकर एवं केंद्रीय उत्पादकर विभाग के अधिकारियों को बुलाकर जीएसटी की जटिलताओं को सुलझाया। खेल इकाई, कारपेट, ट्रांसफार्मर, फूड एवं केमिकल इकाइयों के कारोबारियों के करोड़ों रुपए जीएसटी में फंसे रह गए।

रियल एस्टेट ने भरा दम, मिलने लगे खरीदार

साल 2019 रियल एस्टेट के लिए कमोबेश ठीकठाक रहा। नोटबंदी और जीएसटी से उबरने के बाद बिल्डरों और विकासकर्र्ताओं ने दम भरा और निजी क्षेत्र की करीब चार स्वीकृत कॉलोनियां अस्तित्व में आईं। निजी क्षेत्र का एक नया औद्योगिक क्षेत्र भी विकसित होने लगा। उधर, सरकारी क्षेत्र इस साल भी नई कॉलोनी नहीं ला पाया। इतना जरूर हुआ कि एमडीए ने गंगानगर एक्सटेंशन में विकास कार्य शुरू करा दिए। उसका जो लेआउट है और उसमें जिस तरह से कार्य हो रहे हैं, उससे यह मेरठ की पॉश कॉलोनियों में शामिल हो जाएगी। इस साल जरूरतमंदों ने मकान खरीदे। हालांकि मेरठ में अधिक मांग सस्ते मकानों ही रही। 50 लाख से अधिक कीमत के मकानों को खरीदार न के बराबर मिले। एमडीए के भी फ्लैट गिने-चुने ही बिके। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीबों को दो लाख रुपये में ही मकान मिल रहे हैं इसलिए एमडीए की स्कीम में दावेदारों की भीड़ लगी। खैर अभी करीब 500 पात्रों को ही फ्लैट आवंटित किए जा सके हैं, बाकी फ्लैट निर्माणाधीन हैं।

एक्सप्रेस-वे ने दिया रियल एस्टेट को विश्वास

दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे का कार्य इस साल के अंत तक लोगों ने होते देखा। इसका फर्क यह पड़ा कि रियल एस्टेट कारोबारियों में उत्साह आया और मकान व प्लॉट के र्बुंकग कराने वालों के फोन घनघनाने लगे। उम्मीद एमडीए को भी दिखाई दी इसलिए शताब्दीनगर में गगोल रोड पर एयरपोर्ट एन्क्लेव का फिनिशिंग कार्य तेज कर दिया। दिल्ली आने-जाने वालों की जरूरत को देखते हुए एमडीए इसे बेहतर बना रहा है और इसकी दर भी महंगी है।

सरधना, मवाना और हस्तिनापुर की महायोजना बनाने को मिली हरी झंडी

सरधना, मवाना व हस्तिनापुर पहले से ही एमडीए के विस्तारित क्षेत्र में हैं, लेकिन इनकी महायोजना न होने के कारण इस क्षेत्र में मानचित्र स्वीकृति की प्रक्रिया में अड़चन आ रही है, इसलिए इन तीनों कस्बों के लिए अलग से महायोजना बनाने के लिए छह दिसंबर को हुई एमडीए बोर्ड बैठक में मुहर लग गई। इससे रियल एस्टेट क्षेत्र में बूम आएगा और सुनियोजित विकास होगा।

खास बातें

  • मेरठ में संगठित इकाइयां: करीब 20 हजार

  • मेरठ की इंडस्ट्री का कुल टर्नओवर: करीब 8000 करोड़

  • एक्सपोर्ट हाउस: 42

  • सबसे बड़ा टर्नओवर वाला उद्योग: खेल उद्योग करीब 1200 करोड़

  • औद्योगिक विकास दर: करीब 5.5 फीसद

  • संगठित क्षेत्रों में रोजगार: लगभग तीन लाख

  • प्रकाशन उद्योग: 1850 से शुरू, लगभग 1000 करोड़

  • कारपेट उद्योग: लगभग 500 करोड़ रुपये

  • ट्रांसफार्मर उद्योग: लगभग 600 करोड़ रुपये  

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