Move to Jagran APP

आठ साल से नाले ढकने का ख्वाब अधूरा

शहर के खुले नालों को ढकने के लिए वर्ष 2012 से अभी तक कई प्रस्ताव बन चुके हैं। लेकिन इनमें से एक पर भी नगर निगम प्रशासन ने अमल नहीं किया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 23 Oct 2019 06:00 AM (IST)Updated: Wed, 23 Oct 2019 06:20 AM (IST)
आठ साल से नाले ढकने का ख्वाब अधूरा
आठ साल से नाले ढकने का ख्वाब अधूरा

मेरठ,जेएनएन। शहर के खुले नालों को ढकने के लिए वर्ष 2012 से अभी तक कई प्रस्ताव बन चुके हैं। लेकिन इनमें से एक पर भी नगर निगम प्रशासन ने अमल नहीं किया। हर साल नालों में गिरकर जनहानि हो रही है। इसे रोकने के लिए बने प्रस्ताव धूल फांक रहे हैं। लापरवाही की बानगी तो देखिए..इसके प्रति न जनप्रतिनिधि गंभीर हैं और न ही अफसर। नतीजा इस बार नगर निगम के आउटसोर्स सफाई कर्मी की जान चली गई।

loksabha election banner

चार जून 2012 को तत्कालीन नगर विकास मंत्री आजम खां मेरठ दौरे पर आए थे। उस वक्त 407 करोड़ से 30 पुराने खुले नालों को ढकने, उनके ऊपर मल्टी लेवल पार्किंग, घूमने के लिए बगीचा और चारों ओर पेड़ लगाने की घोषणा की थी। उस वक्त प्रयोग के तौर पर आबू नाला एक के 200 मीटर हिस्से को ढका गया था। जो एमएलसी सरोजनी अग्रवाल के आवास के सामने है। यह प्रयोग सफल माना गया था, लेकिन इसके बाद प्रस्ताव पर कोई काम नहीं हुआ। वहीं वर्ष 2014 में नेहरू नगर के नाले में गिरकर 12 वर्षीय मंदबुद्धि किशोर गौरव की मौत हो गई थी। यह मामला हाई कोर्ट पहुंचा था। फटकार के बाद नगर निगम अधिकारियों ने नालों की दीवारें ऊंची करने, नालों को ढकने के लिए उनके ऊपर लोहे का जाल लगाने का प्रस्ताव बना डाला था। तत्कालीन अधिकारियों ने करीब 431 करोड़ का प्रस्ताव तैयार किया था, जो शासन के पास स्वीकृति और धनराशि आवंटन के लिए भेजा गया था। लेकिन यह प्रस्ताव भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। वर्ष 2018 में एक बार फिर लोहे का जाल नालों में लगाने की कवायद में नगर निगम के अधिकारी जुटे थे। प्लान भी बना लिया था। पर बजट के अभाव में बात आगे नहीं बढ़ी। मालूम हो कि शहर में 315 छोटे-बड़े नाले हैं। जिनमें ओडियन, आबू नाला एक व दो समेत कुल 39 बड़े नाले हैं।

---

भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रभारी मंत्री से क रेंगे बात

भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी की ओर से नगर विकास विभाग को एक प्रस्ताव दिया था। जिसमें छतरी वाले पीर से घंटाघर तक और घंटाघर से किशनपुरी तक नाले का ढकने की मांग की थी। दो चरणों में कार्य के लिए नौ-नौ करोड़ रुपये की स्वीकृति हो चुकी है। नगर निगम को नालों को ढकने का काम करना है। नाला ढकने के बाद पीडब्ल्यूडी सड़क बनाएगी। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि शासन से बजट नहीं मिलने से कोई काम नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि 24 अक्टूबर को प्रभारी मंत्री श्रीकांत शर्मा आ रहे हैं। इस संबंध में उनसे बात करेंगे।

---

नाले ढकने से ये होंगे फायदे

-खुले नाले ढकने के बाद पार्किंग के रूप में प्रयोग में लाए जा सक ते हैं।

-खुले नाले में लोग कूड़ा, गोबर फेंकते हैं, ढके होने पर इससे निजात मिल सकती है।

-बड़े खुले नालों को ढककर सड़क बनाकर इन्हें रास्ते के तौर पर उपयोग में लाया जा सकता है।

-नालों का उपयोग सड़क और पार्किंग के रूप में करने शहर जाम से मुक्ति पा सकता है।

-ढके नालों का उपयोग पार्किंग के रूप में कर नगर निगम की आय में वृद्धि की जा सकती है।

-खुले नाले ढकने के बाद हर साल होने वाली जनहानि रोकी जा सकेगी।

---

बस इतना ही चाहिए

मेरठ : नगर निगम के सिविल इंजीनियरों का दावा है कि शहर के 39 खुले बड़े नाले, जिनकी लंबाई लगभग 69,600 मीटर है। इनको ढकने के लिए केवल 286.75 करोड़ की जरूरत है। सिविल इंजीनियर अनुज कुमार सिंह के अनुसार आठ फीट चौड़े और 10 फीट गहरे नाले की रिटेनिंग वॉल बनाने के लिए औसतन प्रति मीटर 18000 रुपये का न्यूनतम अनुमानित खर्च आता है। दो रिटेनिंग वॉल पर खर्च दोगुना हो जाएगा। वहीं, नाले पर स्लैब डालने के लिए प्रति मीटर 5200 रुपये न्यूनतम अनुमानित खर्च आता है। वहीं, पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर के अनुसार नाले के ऊपर सात मीटर चौड़ी सड़क बनाने पर प्रति मीटर 13500 रुपये अनुमानित आती है। 39 बड़े नालों पर सड़क बनाने में करीब 94 करोड़ रुपये की लागत आएगी। यह काम दो या तीन चरणों में भी हो सकता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.