मेरठ में देख-पढ़ सकेंगे स्वतंत्रता संग्राम का शौर्य
1857 की क्रांति यानी प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का बिगुल मेरठ से बजा था। इस इति
प्रदीप द्विवेदी, मेरठ । 1857 की क्रांति यानी प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का बिगुल मेरठ से बजा था। इस इतिहास को पूरा देश जानता है और किताबों में पढ़ता भी है। इसलिए मेरठ को अब एक सम्मान मिलने जा रहा है। देश में जहां कहीं भी स्वतंत्रता संग्राम संघर्ष हुआ था, उसके दस्तावेज अब मेरठ में देखे-पढ़े जा सकेंगे। इस तरह के दस्तावेज लखनऊ स्थित राजकीय संग्रहालय में रखे हैं, जिन्हें मेरठ स्थित राजकीय संग्रहालय को सौंपा जा रहा है। एक महीने बाद ये दस्तावेज मेरठ आ आएंगे। इसके लिए 1.37 करोड़ रुपये की लागत से संग्रहालय का विस्तार किया जा रहा है। स्वतंत्रता संग्राम को रोचक तरीके से लोग समझ सकें, इसके लिए कई और कार्य इस संग्रहालय में होंगे। लखनऊ से आ रहे दस्तावेज 1400 पृष्ठों का है। इसमें मेरठ, पश्चिमी उप्र, अवध व देश के विभिन्न राज्यों में हुए स्वतंत्रता संग्राम का सचित्र विवरण हैं। इन पृष्ठों को मूलरूप से सिर्फ देखा जा सकेगा। शोधार्थी व अन्य लोग इसे पढ़ सकें, इसके लिए प्रत्येक पृष्ठ का डिजिटल रंगीन प्रिट मौजूद रहेगा। कियोस्क पर भी इसके डिजिटल संस्करण को देख-पढ़ सकेंगे। डायोरमा में थ्रीडी तस्वीरों से दिखाई जाएगी क्रांति की कहानी
संग्रहालय में डायोरमा तैयार किया जा रहा है। इसमें थ्रीडी तस्वीरों के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम की कहानी दिखाई जाएगी। डायोरमा में रंगीन तस्वीरों व प्रकाश का प्रयोग करके थ्रीडी में बदला जाता है। ऐसे इतिहास से होंगे रूबरू
-बड़ौत के किसानों का संग्राम और बाबा शाहमल की शहादत।
-शामली और मुजफ्फरनगर में जला दिए थे बंगले। जाट गांव का योगदान।
-बुलंदशहर के गुर्जरों व राजपूतों का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान।
-बुलंदशहर की पुलिस का विद्रोह। कोतवाल पद छोड़कर क्रांतिकारियों में शामिल होना।
-हिडन की लड़ाई और जिला गाजियाबाद।
-अवध क्षेत्र, बुंदेलखंड, समेत मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, बंगाल आदि में हुए विद्रोह की पूरी कहानी पढ़ने को मिलेगी।
इन्होंने कहा- संग्रहालय में अब पांच गैलरी होंगी। प्रथम मेरठ, दूसरी पश्चिम उप्र, तीसरी अवध, चौथी बुंदेलखंड व पांचवीं गैलरी में विभिन्न राज्यों में हुए स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित अभिलेख रखे जाएंगे। संग्रहालय का विस्तार संबंधी कार्य एक महीने में संपन्न होने की उम्मीद है। इसके बाद लखनऊ से 1400 पृष्ठों का दस्तावेज यहां लाया जाएगा।
-पतरू, संग्रहालयाध्क्ष, राजकीय संग्रहालय, शहीद स्मारक