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Teacher Suicide In Meerut: आंशिक वेतन से गुजारा नहीं कर सके थे आशीष, सोशल मीडिया पर मांगा जा रहा इंसाफ

दिल्ली रोड स्थित दीवान पब्लिक स्कूल इंटरनेशनल में डांस टीचर ने घर में आत्महत्या कर ली। लॉकडाउन शुरू होने के पहले से ही आशीष को जनवरी महीने के बाद वेतन नहीं मिला था।

By Prem BhattEdited By: Published: Tue, 25 Aug 2020 07:40 AM (IST)Updated: Tue, 25 Aug 2020 10:45 AM (IST)
Teacher Suicide In Meerut: आंशिक वेतन से गुजारा नहीं कर सके थे आशीष, सोशल मीडिया पर मांगा जा रहा इंसाफ
Teacher Suicide In Meerut: आंशिक वेतन से गुजारा नहीं कर सके थे आशीष, सोशल मीडिया पर मांगा जा रहा इंसाफ

मेरठ, जेएनएन। मेरठ में दिल्ली रोड स्थित दीवान पब्लिक स्कूल इंटरनेशनल में डांस टीचर आशीष ठाकुर उर्फ सिप्पी ने रविवार शाम घर में आत्महत्या कर ली। पिता राकेश सहित परिवार के अन्य सदस्यों को आशीष कमरे में अचेत मिले। आनन-फानन में दयानंद अस्पताल ले जाने पर चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। स्वजनों ने किसी भी तरह की पुलिस कार्रवाई से इन्कार कर सोमवार सुबह उनका अंतिम संस्कार कर दिया।

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व्यवहार में चिड़चिड़ापन

परिवार के लोगों का कहना है कि लॉकडाउन शुरू होने के पहले से ही आशीष को जनवरी महीने के बाद वेतन नहीं मिला था। इस बीच दो बार महज पांच-पांच हजार रुपये ही स्कूल से मिले थे। वेतन न मिलने पर पिछले कुछ समय से आशीष के व्यवहार में चिड़चिड़ापन आ गया था, जिससे परिवार के अन्य सदस्यों से अधिक बात भी नहीं होती थी।

लेते रहते थे वेतन की खबर

सदर में चना गोदाम निवासी आशीष स्कूल में डांस टीचर के तौर पर करीब सात साल से कार्यरत थे। इस दौरान कई डांस प्रतियोगिताओं में हिस्सा भी लिया। बड़े भाई मनीष के अनुसार आशीष लॉकडाउन के बाद से वेतन न मिलने पर परेशान थे। बीच-बीच में अन्य शिक्षकों व कर्मचारियों से वेतन की खबर भी लेते रहते थे। पिता राकेश ने बताया कि वेतन न मिल पाने से आशीष अपनी नई मोटर साइकिल की किस्त भी जमा नहीं कर पा रहे थे। वे बहुत कम बात करने लगे थे, पर आत्महत्या जैसी घटना को अंजाम देंगे इसका अंदाजा परिवार को नहीं था। उन्होंने बताया कि वेतन को लेकर पिछले महीने कुछ शिक्षकों व कर्मचारियों ने स्कूल में विरोध प्रदर्शन भी किया था। आशीष भी उसमें शामिल थे और वेतन की मांग की थी।

स्कूल के हर शिक्षक को मिल रहा आंशिक वेतन : प्रिंसीपल

दीवान पब्लिक स्कूल इंटरनेशनल की प्रिंसीपल रुचि शर्मा के अनुसार अभिभावकों से फीस न मिलने के कारण हर शिक्षक को आंशिक वेतन ही मिल रहा है। जैसे-जैसे स्कूल को फीस मिल रही है, वैसे-वैसे पांच से 10 हजार रुपये शिक्षकों के खाते में ट्रांसफर किया जा रहा है। पूरा वेतन किसी को नहीं मिल सका है। आशीष के वेतन की जानकारी स्कूल के एकाउंट विभाग से मांगी गई है। 15 अगस्त को ध्वजारोहण कार्यक्रम में आशीष स्कूल भी आए थे। मुझसे मुलाकात भी हुई थी, पर उन्होंने वेतन या आर्थिक तंगी को लेकर कोई बात नहीं की। मुझे पता है कि सभी शिक्षक इस तंगी से गुजर रहे हैं, इसलिए हम उनकी काउंसिङ्क्षलग भी करते रहते हैं।

सोशल मीडिया पर मांगा जा रहा आशीष के लिए न्याय

शिक्षक द्वारा आत्महत्या करने को लेकर अब सोशल मीडिया पर भी हैशटैग जस्टिसफॉरआशीष को लोगों तक पहुंचाया जा रहा है। कुछ अभिभावकों ने घटना को स्कूल प्रबंधतंत्र की मनमानी करार देते हुए जिला प्रशासन को हस्तक्षेप करने की मांग की है। आशीष की मृत्यु पर शोक प्रकट करते हुए अभिभावकों ने घटना को दुखद बताया व स्कूलों द्वारा वेतन न दिए जाने को शासनादेश का उल्लंघन करार दिया है। वहीं, स्कूल प्रबंधन भी उसी शासनादेश में फीस जमा कराने के आदेश को न मानने पर अभिभावकों द्वारा भी शासनादेश का उल्लंघन बता रहा है। उनका तर्क है कि सरकार ने स्पष्ट कहा कि फीस का भुगतान हो। वे अभिभावकों की सहूलियत के लिए माहवार फीस की व्यवस्था कर रहे हैं।

जानबूझकर फीस नहीं देना चाहते

जरूरतमंदों की फीस माफ की जा रही है, लेकिन कुछ लोग जानबूझकर फीस नहीं देना चाहते। अभिभावक पक्ष जहां फीस माफी की मांग पर अडिग है, वहीं स्कूल प्रबंधन भी बिना फीस के बच्चों को पढ़ाते रहने पर एक बार फिर से विचार करने लगा है। कुछ अभिभावक व शिक्षक ऋषभ एकेडमी में भी लॉकडाउन के दौरान शिक्षकों को वेतन न दिए जाने के खिलाफ फिर आवाज उठाने लगे हैं। स्कूल प्रबंधन के दो गुटों के आपसी विवाद में स्कूल की धनराशि जब्त है, जिससे शिक्षकों व कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल रहा है। एकेडमी के प्रबंध समिति के सचिव रंजीत जैन के खिलाफ तो प्रबंध समिति और जैन समुदाय के कई लोगों ने मोर्चा भी खोल रखा है।

इनका कहना है 

अभिभावकों की ओर से अपेक्षा से बेहद कम फीस जमा कराई जा रही है। फीस का अधिकांश हिस्सा शिक्षकों-कर्मचारियों के वेतन में जाता है। जो फिलहाल प्रबंधन अपने फंड से ही दे रहा है। स्थिति ठीक करने के लिए फीस मिलनी जरूरी है।

- सिस्टर गेल, प्रिंसिपल, सोफिया गर्ल्‍स स्कूल

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स्कूल को अपेक्षा से बहुत कम फीस मिल रही है। इससे परेशानी काफी बढ़ी है। बावजूद इसके अब तक प्रबंधन ने शिक्षकों-कर्मचारियों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए वेतन जारी रखा है। 

- असीम कुमार दुबे, प्रिंसिपल, दीवान पब्लिक स्कूल

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अधिकतर स्कूलों की तरह हमारे स्कूल में भी अधिकतम 30 फीसद तक ही फीस मिल पा रही है। अभिभावकों में फीस माफी या कम होने का भ्रम अधिक है इसलिए सक्षम भी नहीं दे रहे हैं। स्कूल फंड से ही शिक्षकों-कर्मचारियों को वेतन मिल रहा है लेकिन उसकी भी एक सीमा है। कुछ बड़े स्कूल कुछ और दिनों तक सक्षम हो सकते हैं लेकिन स्कूल सक्षम नहीं हैं।

- सुधांशु शेखर, सिटी कोर्डिनेटर, सीबीएसई


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