सर्दी भगानी है तो खानपान से प्रज्वलित करें शरीर की अग्नि Meerut News
शरीर की अग्नि प्रज्वलित रखने के लिए रसोई से लेकर आयुर्वेद के खजाने में दर्जनों जड़ी बूटियां हैं। एक चावल के बराबर की खुराक भी आपकी सांसों को ताकत दे सकती है।
मेरठ, जेएनएन। चरक संहिता की चक्रपाणि टीका में कहा गया है कि हेमंत ऋतु में इतनी सर्दी पड़ती है कि ध्यान न देने पर शरीर का अंत हो सकता है। कड़ाके की सर्दी में सेहत की कड़ी परीक्षा है, जबकि आने वाले दिनों में शिशिर ऋतु में और ठंड पड़ेगी। ऐसे में शरीर की अग्नि प्रज्वलित रखने के लिए रसोई से लेकर आयुर्वेद के खजाने में दर्जनों जड़ी बूटियां हैं। एक चावल के बराबर की खुराक भी आपकी सांसों को ताकत दे सकती है।
चरक संहिता, वांग्भट्ट और सुश्रुत संहिता में हेमंत और शिशिर ऋतु की बीमारियों एवं उनके निदान की चर्चा है, जिसमें ज्यादातर औषधि हमारी रसोई में उपलब्ध हैं। इस ऋतु में संक्रमित होने वाले स्वाइन फ्लू से मिलते लक्षणों की की चर्चा चार हजार वर्ष पहले लिखे गए चिकित्सीय ग्रंथों में की गई है। वात प्रधान ऋतु में खानपान का बड़ा महत्व है। जड़ी बूटियों में कई में तापीय गुणधर्म होते हैं। वैद्य डा. ब्रजभूषण शर्मा ने बताया कि शरद ऋतु में सुबह टहलने की प्रवृत्ति बंद करनी चाहिए। इस ऋतु के दौरान वायुमंडल दूषित होता है।
अजवाइन की चाय भी देगी गर्मी
चाय में अजवाइन और दालचीनी लें मुलहठी चूसें, शिलाजीत, मकरध्वज वटी और अश्वगंधा लें। ’वंशलोचन एक चावल के दाने के बराबर शहद के साथ लें। पंचतुलसी गुनगुने पानी में पांच बूदें लें।
- डा. ब्रजभूषण शर्मा, वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य
तिल का लड्डू देगा गर्मी
जाड़े में जठराग्नि प्रबल होती है। गरिष्ठ भोजन या तेलयुक्त जैसे तिल, गोंद, छुहारा और अदरक का लड्डू फायदेमंद है।
जीरा कादयारिष्ट, च्यवनप्राश, काली मिर्च, लौंग व दो से चार चुटकी तक जायफल खाएं।
रोज तीन लहसुन घी में भूनकर खाएं। दही व खट्टा बिल्कुल न खाएं।
- डॉ. चंद्रचूड़ मिश्र, असिस्टेंट प्रोफेसर महावीर आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज