44 डिग्री पारे में भी पनप रहा 30 डिग्री में नष्ट होने वाला स्वाइन फ्लू: Meerut News
चिकित्सा विज्ञान के अनुसार स्वाइन फ्लू वायरस 28-30 डिग्री तापमान पर नष्ट हो जाता है। लेकिन मेरठ में कई दिन से गर्मी का पारा 44 डिग्री के आसपास है।
By Ashu SinghEdited By: Published: Fri, 14 Jun 2019 01:48 PM (IST)Updated: Fri, 14 Jun 2019 01:48 PM (IST)
मेरठ,जेएनएन। चिकित्सा विज्ञान के अनुसार स्वाइन फ्लू वायरस 28-30 डिग्री तापमान पर नष्ट हो जाता है। मेरठ में कई दिन से गर्मी का पारा 44 डिग्री के आसपास है। इसके बावजूद दो मरीजों में एच1एन1 वायरस मिलने से चिकित्सक और स्वास्थ्य विभाग सन्न है। मेडिकल कालेज की माइक्रोबायोलोजी लैब ने गुरुवार को एक परिवार के दो लोगों में वायरस की पुष्टि की।
इस तरह पता चला मामले का
मेडिकल कालेज के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डा. तुंगवीर आर्य ने बताया कि एक जून को दिल्ली निवासी सर्वेद्र सिंह (डिप्टी डायरेक्टर जनरल टेलीफोन) जागृति विहार में अपनी बहन से मिलने आए थे। बाद में सर्वेद्र सिंह की तबीयत खराब हुई और आठ जून को उनकी मौत हो गई। जागृति विहार में रहने वाले उनके रिश्तेदारों को भी खांसी-जुकाम व बुखार हुआ। 24 साल के युवक व 52 साल की महिला ने मेडिकल ओपीडी में पहुंचकर डा. तुंगवीर आर्य को दिखाया। उन्होंने फ्लू की आशंका जताते हुए जांच सैंपल माइक्रोबायोलोजी लैब में भेजा। डा. अमित गर्ग ने बताया कि दोनों मरीजों में एच1एन1 वायरस पाजिटिव मिला है। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने मरीजों के घर का सर्वे कर उन्हें टेमीफ्लू टेबलेट उपलब्ध कराई।
वायरस के स्ट्रेन में बदलाव
2018-19 में मेरठ में स्वाइन फ्लू के 595 मरीज मिले थे। इस दौरान मेडिकल कालेज में कुल 1831 मरीजों की जांच की गई। आठ अप्रैल 2019 तक स्वाइन फ्लू के मरीज मिलते रहे। जबकि मेडिकल में 24 अप्रैल तक सैंपलों की जांच की गई। महज दो माह बाद एक बार फिर स्वाइन फ्लू का संक्रमण उभरने से डाक्टरों के हाथ पांव फूल गए। चिकित्सकों की मानें तो वायरस के स्ट्रेन में बदलाव आने से ये गर्मी में भी संक्रमित हो रहा है। सीएमओ डा. राजकुमार ने बताया कि यह परिवार दिल्ली से आया है। संभव है कि वहां से वायरस संक्रमित हुआ हो।
इनका कहना है
2009 में एच1एन1 वायरस दुनियाभर में गर्मियों में संक्रमित हुआ था। मेरठ में 2017 में अगस्त एवं सितंबर के बीच मरीज मिले। 2019 में भी अप्रैल के पहले सप्ताह तक स्वाइन फ्लू बना रहा। संभव है कि वायरस में स्ट्रेन में बदलाव आने से तापमान में भी संक्रमित होने की क्षमता विकसित हो गई हो।
- डा. अमित गर्ग, विभागाध्यक्ष, माइक्रोबायोलोजी विभाग, मेडिकल
ये सामान्य इनफ्लुएंजा वायरस की तरह होता है। बेहतर प्रतिरोधक क्षमता वाले मरीजों में यह वायरस संक्रमित नहीं हो पाता है। छींकने, खांसने, और थूकने वालों से दूरी रखें। हाथ को नाक के पास न ले जाएं। हाथ कई बार धोएं। गला में तेज चुभन व दर्द हो तो मेडिकल में मुफ्त जांच होती है।
- डा. टीवीएस आर्य, विभागाध्यक्ष, मेडिसिन विभाग
इस तरह पता चला मामले का
मेडिकल कालेज के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डा. तुंगवीर आर्य ने बताया कि एक जून को दिल्ली निवासी सर्वेद्र सिंह (डिप्टी डायरेक्टर जनरल टेलीफोन) जागृति विहार में अपनी बहन से मिलने आए थे। बाद में सर्वेद्र सिंह की तबीयत खराब हुई और आठ जून को उनकी मौत हो गई। जागृति विहार में रहने वाले उनके रिश्तेदारों को भी खांसी-जुकाम व बुखार हुआ। 24 साल के युवक व 52 साल की महिला ने मेडिकल ओपीडी में पहुंचकर डा. तुंगवीर आर्य को दिखाया। उन्होंने फ्लू की आशंका जताते हुए जांच सैंपल माइक्रोबायोलोजी लैब में भेजा। डा. अमित गर्ग ने बताया कि दोनों मरीजों में एच1एन1 वायरस पाजिटिव मिला है। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने मरीजों के घर का सर्वे कर उन्हें टेमीफ्लू टेबलेट उपलब्ध कराई।
वायरस के स्ट्रेन में बदलाव
2018-19 में मेरठ में स्वाइन फ्लू के 595 मरीज मिले थे। इस दौरान मेडिकल कालेज में कुल 1831 मरीजों की जांच की गई। आठ अप्रैल 2019 तक स्वाइन फ्लू के मरीज मिलते रहे। जबकि मेडिकल में 24 अप्रैल तक सैंपलों की जांच की गई। महज दो माह बाद एक बार फिर स्वाइन फ्लू का संक्रमण उभरने से डाक्टरों के हाथ पांव फूल गए। चिकित्सकों की मानें तो वायरस के स्ट्रेन में बदलाव आने से ये गर्मी में भी संक्रमित हो रहा है। सीएमओ डा. राजकुमार ने बताया कि यह परिवार दिल्ली से आया है। संभव है कि वहां से वायरस संक्रमित हुआ हो।
इनका कहना है
2009 में एच1एन1 वायरस दुनियाभर में गर्मियों में संक्रमित हुआ था। मेरठ में 2017 में अगस्त एवं सितंबर के बीच मरीज मिले। 2019 में भी अप्रैल के पहले सप्ताह तक स्वाइन फ्लू बना रहा। संभव है कि वायरस में स्ट्रेन में बदलाव आने से तापमान में भी संक्रमित होने की क्षमता विकसित हो गई हो।
- डा. अमित गर्ग, विभागाध्यक्ष, माइक्रोबायोलोजी विभाग, मेडिकल
ये सामान्य इनफ्लुएंजा वायरस की तरह होता है। बेहतर प्रतिरोधक क्षमता वाले मरीजों में यह वायरस संक्रमित नहीं हो पाता है। छींकने, खांसने, और थूकने वालों से दूरी रखें। हाथ को नाक के पास न ले जाएं। हाथ कई बार धोएं। गला में तेज चुभन व दर्द हो तो मेडिकल में मुफ्त जांच होती है।
- डा. टीवीएस आर्य, विभागाध्यक्ष, मेडिसिन विभाग
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