मेरठ, जागरण संवाददाता। स्वच्छ सर्वेक्षण 2022 में मेरठ नगर निगम कागजों में तो चमक गया है, लेकिन जमीनी हकीकत बड़ी खराब है। केंद्र सरकार से वायु गुणवत्ता सुधार और सालिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए मिले 144 करोड़ रुपये में से 40 प्रतिशत धनराशि निगम खर्च ही नहीं कर पाया है।
मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा
अफसर केवल स्मार्ट शहर का सपना दिखाते रहे। स्मार्ट सिटी की आइटीएमएस प्रोजेक्ट को छोड़ दें तो बाकी एक भी प्रोजेक्ट धरातल पर नहीं है। शहर पार्किंग, जलनिकासी, सीवर निकासी, गंगाजल आपूर्ति जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा है।
सर्वेक्षण में बताई गई ये स्थिति
- डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन 75 से 90 प्रतिशत के बीच होता पाया गया।
- सड़कों की सफाई 90 प्रतिशत के ऊपर मिली।
- पब्लिक टायलेट की सफाई 75 से 90 प्रतिशत के बीच मिली।
- शहर में सुंदरीकरण कार्य की स्थिति 90 प्रतिशत से ऊपर मिली।
- बाजार क्षेत्रों की सफाई 90 प्रतिशत से ऊपर मिली।
- आवासीय क्षेत्रों की सफाई 90 प्रतिशत से ऊपर मिली।
- सीवर सफाई भी 90 प्रतिशत से ऊपर पायी गई।
- जलनिकासी की स्थिति 90 प्रतिशत बेहतर मिली।
- प्रतिदिन आवासीय क्षेत्रों की सफाई भी 90 प्रतिशत से ऊपर पायी गई।
- खुले में कूड़ा डलने की स्थिति में सुधार 75 से 90 प्रतिशत पाया गया।
- नागरिकों की शिकायत में निगम 90 प्रतिशत बेहतर मिला।
ये है हकीकत
- डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन की स्थिति दयनीय है। शहर के 90 में से 43 वार्ड में ही बीवीजी कंपनी यह काम शुरू कर सकी। जबकि उसे 73 वार्ड कवर करने थे। 43 वार्ड के एक लाख भवनों में से 32000 भवनों से ही कूड़ा कलेक्शन कंपनी कर रही है। जबकि शत-प्रतिशत घरों तक कूड़ा गाड़ी पहुंचनी थी। चालक नहीं है। 73 नई कूड़ा गाड़ियों शोपीस बन चुकी हैं।
- सड़कों की सफाई के लिए तीन रोड स्वीपिंग मशीन हैं। प्रतिदिन एक रोड स्वीपिंग मशीन को कम से कम 10 किमी सफाई करनी है। लेकिन एक किमी भी नहीं चलती है। सड़कों पर धूल के गुबार उठ रहे हैं।
- पब्लिक टायलेट की सफाई तो छोड़िए कई सारों में तो ताला पड़ा हुआ। हंस चौराहे के पास सार्वजनिक शौचालय साल भर से बंद है। नौचंदी के शौचालय केवल मेले के दौरान खुलते हैं। सार्वजिनक व सामुदायिक शौचालय में सफाई कर्मचारी तक तैनात नहीं है।
- शहर में सुंदरीकरण कार्य की स्थिति दयनीय है। सिविल लाइंस को छोड़ दें तो शहर के अन्य इलाकों में न तो स्वच्छ दीवार नजर आती हैं न पेंटिंग। माधवपुरम की ग्रीन बेल्ट सीवर का तालाब बन चुकी है। तेजगढ़ी चौराहे से एल ब्लाक तिराहे तक ग्रीन बेल्ट बनने के साथ उखड़ गई। बस कबाड़ से जुगाड़ अभियान की ही ठीक स्थिति है।
- खैर नगर दवा मार्केट, कबाड़ी बाजार, शारदा रोड बाजार समेत घनी आबादी क्षेत्र के बाजारों में सफाई तो छोड़िए कूड़े का कलेक्शन ठीक नहीं है। यहां लगाए गए स्टील के डस्टबिन गुम हो चुके हैं।
- मवाना रोड, किला परिक्षित गढ़ रोड, दिल्ली रोड व बागपत रोड से जुड़े आवासीय क्षेत्रों में कचरे के ढेर लगे हैं।
- सीवर सफाई का हाल ये है कि बच्चा पार्क चौराहे से हापुड़ अड्डे तक मुख्य सीवर लाइन कईसाल से चोक है। पूर्वा अहिरान समेत कई मोहल्ले सीवर गंदगी से भरे रहते हैं।
- कुछ दिन पहले हुई चार दिन की बरसात में दो औद्योगिक क्षेत्र समेत 15 मोहल्ले टापू बन गए थे। कई दिनों बाद जलनिकासी हो सकी।
- प्रतिदिन आवासीय क्षेत्रों की सफाई में भी फेल हैं। आबादी के अनुपात में 5600 सफाई कर्मी की जरूरत है, मौजूद 3176 हैं। कई मोहल्लों में दो से तीन दिन बाद झाड़ू लगती है। कुछ में तो महीने में एक या दो बार।
- खुले में कूड़ा डलने की स्थिति में सुधार हुआ है। लेकिन अभी भी कंकरखेड़ा, परतापुर, मवाना रोड और कसेरूखेड़ा रोड पर बड़े खुले खत्ते मौजूद हैं।
- नागरिकों की शिकायत की सुनवाई हर मंगलवार होने से सुधार हुआ है। लेकिन आवारा कुत्तों, बंदरों को पकड़ने, जलभराव की शिकायतों का स्थायी निदान नहीं हो रहा है।
इसलिए मिला फास्टेस्ट मूवर बिग सिटी अवार्ड
गांवड़ी का कूड़ा खत्म किया गया। करीब 10 बड़े खत्ते खत्म हुए। लोहिया नगर में कूड़ा प्लांट चालू करके डंप कूड़ा निस्तारित किया जा रहा है। रिफ्यूज कांपेक्टर से कूड़ा उठान शुरू हुआ है। पिंक टायलेट बनाए गए हैं। स्मार्ट पार्किंग, मल्टीलेवल पार्किंग की प्लानिंग है। तेज गति से नगरीय व्यवस्थाओं के सुधार के दावे पर फास्टेस्ट मूवर बिग सिटी का अवार्ड मिला है।
स्वच्छ सर्वेक्षण निगम को मिले इतने अंक
- 7500 कुल अंकों की परीक्षा थी। मिले सिर्फ 5283.65 अंक।
- 3000 अंक का सर्विस लेवल प्रोग्रेस था मिले सिर्फ 2236.58 अंक।
- 2250 अंक का सर्टिफिकेशन था मिले ओडीएफ में 600 और जीएफसी में 400 अंक।
- 2250 अंका का सिटीजन वाइस था मिले 2047.08 अंक।
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