मिलिए...आयुष्मान कार्ड लौटाने वाले पहले शख्स से, पेश की नजीर Meerut News
आयुष्मान भारत योजना में भ्रष्टाचार के कई मामले उजागर हुए लेकिन ईमानदारी से कार्ड लौटाने वाले पहले शख्स सुनील जोशी ने नजीर पेश की। विभाग सरेंडर की पहले ही अपील कर चुका है।
मेरठ, जेएनएन। आयुष्मान भारत योजना में भ्रष्टाचार के कई मामले उजागर हुए, लेकिन इसी बीच ईमानदारी से कार्ड लौटाने वाले पहले शख्स सुनील जोशी ने नजीर पेश की। उन्होंने 16 सितंबर को अपना कार्ड स्वास्थ्य विभाग के पास सरेंडर कर दिया। इस योजना में करीब 30 फीसद लाभार्थी अपात्र माने जा रहे हैं, जिनसे कई बार विभाग कार्ड वापस करने के लिए कह चुका है। गत दिनों एसीएमओ डा. प्रेम सिंह ने भी अपना कार्ड वापस किया था। ऐसे में अब तक सिर्फ दो लोगों ने ही कार्ड जमा कराया है।
अस्पतालों का खेल भी उजागर
मेरठ में गत दिनों बड़ी संख्या में अपात्रों की जानकारी मिली है। 2.11 लाख कार्डधारकों में से कई सरकारी कर्मचारी, शिक्षक, बिल्डर, आयकरदाता, कार व भूखंड मालिक समेत प्रोफेशनल्स भी मिले। नेशनल एंटी फ्राड टीम ने गत दिनों मेरठ में जांच कर स्पष्ट किया कि न सिर्फ पात्रों के चयन में भ्रष्टाचार हुआ, बल्कि अस्पतालों में भी खेल हुआ।
सरेंडर करने की अपील की थी
दिसंबर 2018 में शासन ने सभी जिलाधिकारियों एवं सीएमओ को पत्र भेजकर अपात्रों को सूची से बाहर निकालकर ये सुविधा गरीबों को देने की बात कही थी। जिला प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग ने कई बार अपात्रों से कार्ड सरेंडर करने की अपील की, लेकिन कोई असर नहीं हुआ। समाचार छपने के बावजूद फर्जी लाभार्थियों के चेहरे पर शिकन नहीं आई। 2011 में खुद को गरीब बताकर आयुष्मान लाभार्थी बनने वालों ने कार्ड नहीं लौटाया।
सुनील बोले,उन्हें नहीं है आवश्यकता
16 सितंबर 2019 को कार्ड सरेंडर करने वाले रक्षा विभाग के कर्मचारी सुनील जोशी को स्वास्थ्य विभाग एक उदाहरण के रूप में पेश कर रहे हैं। सरधना रोड स्थित डिफेंस एन्कलेव निवासी सुनील का कहना है कि उन्हें कार्ड की आवश्यकता नहीं। बड़ी संख्या में वंचित एवं गरीब लोगों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। ये कार्ड उनमें से किसी को आवंटित करने की मांग भी की।
हो रही है जांच पड़ताल
इसी प्रकार, माहभर पहले एसीएमओ डा. प्रेम सिंह ने अपना आयुष्मान कार्ड स्वास्थ्य विभाग में सरेंडर कर दिया। सीएमओ डा. राजकुमार ने बताया कि कई बार अपील के बावजूद कोई व्यक्ति कार्ड जमा नहीं कर रहा, जो अफसोस की बात है। राज्य सरकार ने योजना में गड़बडिय़ों को लेकर जांच पड़ताल बढ़ा दी है।