गन्ने का रकबा और पेराई दोनों में वृद्धि, यही हाल रहा तो अगले साल जून में बंद होंगी चीनी मिलें
वर्तमान पेराई सत्र में किसानों को 1298 करोड़ रुपये चीनी मिलों पर बकाया। सहफसली न लगाने पर किसानों की आर्थिक निर्भरता गन्ने पर बढ़ी।
मेरठ, जेएनएन। वर्तमान पेराई सत्र में जिले की लगभग सभी चीनी मिलों में पहिये थम चुके हैं। पेराई सत्र 2019-20 के अंतर्गत जिले में गन्ने की पेराई मात्रा और रकबा क्षेत्रफल दोनों में वृद्धि दर्ज की गई है। अगले पेराई सत्र में यदि यही स्थिति रही तो माना जा रहा है कि अगले साल चीनी मिलें जून तक चलेंगी। किसानों का भुगतान और सरकारी के सहफसली अभियान की दृष्टि से देखा जाए तो यह संकेत ठीक नहीं हैं।
18431 हेक्टेयर रकबा बढ़ा गन्ने का रकबा
गन्ने की मिठास हर वर्ष बढ़ती जा रही है। इस वर्ष पेराई सत्र 2019-20 में 18431 हेक्टेयर रकबे की वृद्धि दर्ज हुई। वर्तमान पेराई सत्र में गन्ने का क्षेत्रफल 147810 हेक्टेयर रहा। जबकि यह आंकड़ा पिछले पेराई सत्र 2018-19 में 129379 हेक्टेयर था। इस तरह गन्ने के क्षेत्रफल में वृद्धि से गन्ना विभाग के लिए परेशानी का सवाल है।
गत सत्र की तुलना में 93 लाख कुंतल अधिक पेराई
जिला गन्ना अधिकारी डा. दुष्यंत कुमार ने बताया कि वर्तमान पेराई सत्र 2019-20 में जिले की सभी छ चीनी मिलों में 814 लाख कुंतल गन्ने की पेराई हुई। जबकि पिछले पेराई सत्र 2018-19 में 721 लाख कुंतल गन्ना पेराई किया गया था। इस तरह यदि दोनों पेराई सत्र के अंतर पर नजर डाली जाए तो वर्तमान पेराई सत्र में 93 लाख कुंतल अधिक होगा।
सहफसली पर गंभीर नहीं किसान
चीनी मिलों में गन्ना भुगतान की तरलता लाने व अन्य दलहनी, तिलहनी फसलों को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार से लेकर राज्यों सरकारों ने सहफसली अभियान चलाने के निर्देश दे रखे हैं। इसका उद्देश्य है कि किसान गन्ने की उत्पादकता में कमी लाकर अन्य सहफसली की तरफ बढे। जिससे चीनी मिलों को भुगतान करने में आसानी व बाजार के स्तर पर आसानी से फल, फूल व सब्जी उपलब्ध हो सके। इससे किसानों को भी आर्थिक तौर पर सहायता मिलेगी। चीनी मिलों पर किसानों की आर्थिक निर्भरता भी कम होगी। लेकिन पिछले दो पेराई सत्रों के आंकड़ों ने सरकारों के इस अभियान पर पानी फेर दिया है।
गन्ना किसानों का 1298 करोड़ रुपये बकाया
मेरठ जनपद की छ चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का 1298 करोड़ रुपये का भुगतान बकाया है। इसके अलावा अभी तक पेराई सत्र 2019-20 में 1235 करोड़ रुपये का भुगतान गन्ना किसानों को किया जा चुका है। मेरठ मंडल पर बकाया भुगतान पर नजर डाली जाए तो गन्ना किसानों को अभी तक केवल 41.65 प्रतिशत का भुगतान चीनी मिलों ने किया है।