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स्वतंत्रता आंदोलन में पत्रकारिता का योगदान पढ़ेंगे छात्र

देश को आजाद कराने के लिए हुए आंदोलन में एक-दूसरे तक सूचनाओं का आदान-प्रदा

By JagranEdited By: Published: Sun, 06 Jun 2021 06:15 AM (IST)Updated: Sun, 06 Jun 2021 06:15 AM (IST)
स्वतंत्रता आंदोलन में पत्रकारिता का योगदान पढ़ेंगे छात्र
स्वतंत्रता आंदोलन में पत्रकारिता का योगदान पढ़ेंगे छात्र

मेरठ,जेएनएन। देश को आजाद कराने के लिए हुए आंदोलन में एक-दूसरे तक सूचनाओं का आदान-प्रदान महत्वपूर्ण हुआ करता था। उस दौर में पत्रकारिता जोखिम भरी, लेकिन महत्वपूर्ण थी। आजादी का वह बिगुल क्रांति धरा मेरठ से ही बजा था। देश को आजाद कराने में पत्रकारिता की उसी भूमिका व अहम योगदान को वर्तमान पीढ़ी को पढ़ाया जाएगा। चौ. चरण सिंह विवि के पत्रकारिता विभाग में अब छात्र स्वतंत्रता आंदोलन में मेरठ क्षेत्र की पत्रकारिता के योगदान को भी पढ़ेंगे। शनिवार को हुई बोर्ड आफ स्टडीज में इसे पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया गया है। इसके साथ ही एनआरसी, सीएए और जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाए जाने का घटनाक्रम भी पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। अब बीए जेएमसी व एमए जेएमसी

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विवि के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग की ओर से यूजीसी के निर्देश पर बीजेएमसी का नाम बीए जेएमसी और एमजेएमसी का एमए जेएमसी कर दिया गया है। इसके अलावा कुछ नए विषय शामिल किए गए हैं, जो विद्यार्थियों को रोजगार दिलाने में सहायक सिद्ध होंगे। इनमें मुख्य रूप से कारपोरेट कम्युनिकेशन, मीडिया मैनेजमेंट, ग्राफिक्स एंड डिजाइनिग, न्यू मीडिया के लिए सामग्री निर्माण एवं मीडिया में प्रयोग होने वाले नवीन साफ्टवेयर इस पाठ्यक्रम का हिस्सा होंगे। पाठ्यक्रम को पूर्णतया रोजगारपरक बनाने के साथ ही भारतीय संचार व्यवस्था एवं पत्रकारिता के सैद्धांतिक पक्ष को भी सही रूप में समझने योग्य बनाया गया है। आज पत्रकारिता की विश्वसनीयता के संबंध में समाज में जो चर्चा रहती है, उसके निवारण को ध्यान में रखते हुए मूल्य आधारित शिक्षा एवं मूल्य आधारित पत्रकारिता का समावेश किया गया है। गीता, रामायण की वर्तमान प्रासंगिकता भी पढ़ाएंगे

विद्यार्थी जीवन में धर्म, कर्तव्य और निष्ठा का समावेश कर सकें, इसके लिए वैल्यू एजुकेशन एवं मीडिया और संस्कृति के विषय में गीता, रामायण और महाभारत की वर्तमान समय में प्रासंगिकता को भी इस पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया गया है। पर्यावरण और ग्रामीण संचार, संचार शोध जैसे विषयों को भी पढ़ाया जाएगा। प्रायोगिकता को महत्व देते हुए हर सेमेस्टर में सभी विषयों के साथ प्रयोगात्मक कार्य जोड़ने के साथ-साथ एक विषय को पूर्णतया प्रायोगिक रखा गया है। पाठ्यक्रम में कुल 30 प्रश्न पत्र हैं। जिसमें से 21 प्रश्नपत्र लिखित एवं नौ प्रायोगिक विषय हैं। बैठक में भारतीय जनसंचार संस्थान, नई दिल्ली से प्रो. गोविद सिंह, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय भोपाल से प्रो. श्रीकांत सिंह एवं प्रो. बीएस निगम, लखनऊ विवि के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. रमेश चंद्र त्रिपाठी, बाबा साहब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विवि लखनऊ से प्रो. सर्वेश कुमार सिंह, प्रो. नवीन चंद लोहनी, डा. पूनम भारद्वाज, डा. अमिता अग्रवाल, डा. योगेंद्रनाथ शर्मा शामिल रहे।


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