stem cells therapy : स्टेम सेल थेरेपी से 14 साल की खुशी की जिंदगी हुई खुशनुमा Meerut News
स्टेम सेल थेरेपी दिव्यांगों के जीवन में नई रोशनी लेकर आया है। स्टेम सेल से स्पाइनल कार्ड इंजरी मस्कुलर डिस्ट्राफी आटिज्म सेरेब्रल पाल्सी समेत कई विकारों में काफी कारगर है।
मेरठ, [जागरण स्पेशल]। स्टेम सेल थेरेपी से डाउन सिंड्रोम, स्पाइन कार्ड में चोट एवं अन्य न्यूरोलोजिकल विकारों में कारगर साबित हो रही है। कई ऐसे मरीजों को ठीक किया गया, जो चोट लगने या ब्रेन स्ट्रोक से दिव्यांग हो गए थे। डाउन सिंड्रोम के बच्चों की मानसिक स्थिति में भी काफी सुधार मिला।
कई विकारों में काफी कारगर
मुंबई स्थित न्यूरोजेन ब्रेन एंड स्पाइन इंस्टीटयूट की उपनिदेशक डा. नंदिनी गोकुलचंद्रन ने शुक्रवार को होटल अलीविया में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि आगरा, मेरठ एवं आसपास के जिलों को लेकर 21 सितंबर को एक वर्कशाप किया जाएगा। बताया कि स्टेम सेल से स्पाइनल कार्ड इंजरी, मस्कुलर डिस्ट्राफी, आटिज्म, सेरेब्रल पाल्सी समेत कई विकारों में काफी कारगर है। इसके लिए लोगों को मुंबई तक नहीं जाना पड़ेगा। मरीज 21 सितंबर के वर्कशाप में मशवरा ले सकेंगे।
इलाज के बाद अब पढ़ने लगी खुशी
बीमारियों में मरीजों की पेट-सीटी जांच कर आंतरिक स्थिति को जाना जाता है, जिसके बाद इलाज होता है। मेरठ की 14 साल की मरीज खुशी का केस बताते हुए स्पष्ट किया कि क्रोमोसोमल ट्राइसॉमी ऐट क्रोमोसोम 21 के लक्षण मिले। मानसिक रूप से मंद थी, किंतु इलाज के बाद अब पढऩे लगी है। बताया कि कई बीमारियों में दवा का असर तीन माह से नजर आने लगता है। इस केंद्र में अब तक साढ़े आठ हजार से ज्यादा मरीजों का इलाज किया जा चुका है।
जानिए आखिर स्टेम सेल थेरेपी क्या है
स्टेम सेल यानी मूल कोशिकाएं शरीर की बिल्डिंग ब्लॉक्स हैं। विखंडन की मदद से ये कोशिकाएं खुद को नया कर सकती हैं। जब स्टेल सेल टूटता है, तो हर नए सेल में स्टेम सेल बने रहने या स्पेशलाइज्ड सेल बनने की क्षमता होती है- जैसे कि मसल सेल, रेड ब्लड सेल या ब्रेन सेल कुछ प्रायोगिक दशाओं के तहत इन्हें टिश्यू बनाने या खास काम के लिए अंग-विशेष के सेल्स बनाने के लिए तैयार किया जा सकता है। यही स्टेम सेल थेरेपी का आधार है. स्टेम सेल आमतौर पर बोन मैरो, सर्कुलेटिंग ब्लड, अमबिलिकल (गर्भनाल) कॉर्ड ब्लड से निकाले जाते हैं और इसका गंभीर बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है।