Rapid Rail : प्रोजेक्ट को समय से पूरा करने के लिए बढ़ानी होगी गति
मेरठ के वाशिंदे लंबे अरसे से रेपिड रेल का सपना संजोये हुए हैं। लेकिन इस महत्वकांशी परियोजना को समय से पूरा करने के लिए इस पर चल रहे काम की गति बढ़ानी होगी।
By Ashu SinghEdited By: Published: Tue, 19 Mar 2019 11:31 AM (IST)Updated: Tue, 19 Mar 2019 11:31 AM (IST)
मेरठ, [प्रदीप द्विवेदी]। दिल्ली से मेरठ की वास्तविक दूरी तो ज्यादा नहीं है पर कनेक्टिविटी की स्थिति यह बता देती है कि दिल्ली दूर है। इस दूरी को कम करने के लिए मेरठ से दिल्ली के बीच रीजनल रैपिड रेल चलाने का ख्वाब 2011 में ही बुना गया था और इसी क्रम में जुलाई 2013 में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) का गठन किया गया। पर इस प्रोजेक्ट को उम्मीद वाली रफ्तार मिल नहीं पा रही थी।
मोदी सरकार ने दी गति
मोदी सरकार के आने पर इस प्रोजेक्ट की फाइल ने गति बनाई और 2016 में एनसीआरटीसी का पहला प्रबंध निदेशक नियुक्त हुआ। काम तेजी से बढ़ा और मई 2017 में उप्र सरकार ने दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर की डीपीआर को मंजूरी दे दी। केंद्र और प्रदेश सरकार की प्राथमिकता में होने के कारण बजट से लेकर मंत्रिमंडल स्तर पर सभी पत्रवली को मंजूरी देने में वक्त नहीं गंवाया और इसी का परिणाम रहा कि हाल ही में आठ मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका शिलान्यास भी कर दिया।
2025 तक संचालन संभव
प्रोजेक्ट अच्छा है और ख्वाब सुनहरा है पर अगर ये प्रोजेक्ट समय पर शुरू भी हो जाए तब भी छह साल का समय लगेगा। दावे के हिसाब से मेरठ से यह रेल 2024 या 2025 में संचालित हो पाएगी। इसी के साथ खुशी की बात यह भी है कि रैपिड के ही ट्रैक पर मेरठ मेट्रो भी दौड़ने लगेगी। सुकून वाली बात यह है कि भविष्य का यह प्लान अच्छा है पर तत्काल राहत के लिए दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे की जल्द शुरुआत की उम्मीद करना ही ठीक रहेगा।
आठ कॉरिडोर पर बनी थी सहमति
एनसीआर परिवहन कार्य योजना-2032 के तहत दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते ट्रैफिक के दबाव को देखते हुए दिल्ली के आसपास के शहरों से बेहतर कनेक्टिविटी के लिए रीजनल रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम चलाने का विचार बना। आठ कॉरिडोर बनाने के लिए दिल्ली व प्रदेश सरकारों के बीच सहमति बनी। उसी के अंतर्गत 82 किमी लंबे दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर पर काम शुरू हुआ है। प्रथम चरण में दुहाई से साहिबाबाद के बीच निर्माण होना है और इस बीच ही 2023 में रेल चल जाएगी इसलिए इस क्षेत्र में ही काम शुरू हुआ है। बहरहाल मेरठ में मिट्टी जांच का कार्य हो रहा है। दावा है दिल्ली से मेरठ के बीच इस रेल से प्रतिदिन करीब आठ लाख लोग यात्र करेंगे। एनसीआरटीसी के आंकड़े के मुताबिक 537 कार व एक हजार 158 बाइक प्रतिदिन दिल्ली की सड़कों पर बढ़ रहे हैं। दिल्ली में कार व बाइक के रजिस्ट्रेशन में प्रतिवर्ष सात फीसद की बढ़ोतरी हो रही है।
राह होगी आसान
रैपिड रेल के तीनों कॉरिडोर दिल्ली के सात मेट्रो स्टेशनों को इंटरकनेक्ट करेंगे। ऐसे में रैपिड रेल के स्टेशन से आसानी से मेट्रो स्टेशन जाया जा सकेगा। मेट्रो तो दिल्ली-एनसीआर में कोने-कोने तक पहुंचा रही है। आरआरटीएस के प्रमुख स्टेशनों को विभिन्न परिवहन माध्यमों जैसे एयरपोर्ट, भारतीय रेल, अंतरराज्यीय बस अड्डा, दिल्ली मेट्रो स्टेशनों का एकीकरण किया जाएगा।
आरआरटीएस टर्मिनल ट्रांजिट हब
सरायकाले खां को आरआरटीएस टर्मिनल ट्रांजिट हब बनाया जाएगा। इससे निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन, मेट्रो स्टेशन और अंतरराज्यीय बस अड्डे जोड़े जाएंगे। सरायकाले खां पर ही रैपिड रेल के तीनों कॉरिडोर मिलेंगे। इस प्रोजेक्ट में कुल 30274 करोड़ रुपये आएगी लागत, जिसमें केंद्र 5693.76 करोड़ और प्रदेश सरकार 5915.18 करोड़ रुपये अंशदान देगी। बाकी धनराशि एशियन डेवलपमेंट बैंक से कर्ज लिया जाएगा। केंद्र व प्रदेश सरकार ने अपने अंशदान के अंतर्गत 2309 करोड़ रुपये दे भी दिए हैं।
रैपिड से आएगी मेरठ में आर्थिक उन्नति
इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत परतापुर औद्योगिक हब और मोदीपुरम शैक्षिक हब के रूप में विकसित होगा। रैपिड के कई स्टेशनों पर मॉल आदि बनेंगे। इसी के साथ ही सभी स्टेशनों के आसपास 1.50 किमी क्षेत्र को विशेष रूप से विकसित करने की योजना है। कॉरिडोर के दोनों तरफ 500 मीटर तक क्षेत्र के लिए अलग नीति बनाई जाती है। इस विशेष क्षेत्र में मिश्रित भू-उपयोग वाली जमीन होगी यानी इस क्षेत्र में स्कूल, आवासीय परिसर, अस्पताल, मॉल, होटल आदि आसपास खुल सकेंगे। मोदीपुरम में ही रैपिड रेल का मुख्य डिपो और कार्यशाला बनेगी। एक घंटे की दूरी की वजह से मेरठ के लोग गाजियाबाद, दिल्ली व अन्य शहरों में आसानी से रोजगार या नौकरी करने जा सकेंगे और समय से वापस भी आ सकेंगे। रैपिड में भारी-भरकम सामान ले जाने की अनुमति होगी इसलिए किसान भी अपने कुछ उत्पाद उससे ले जा सकेंगे। बेहतर कनेक्टिविटी की वजह से कंपनियां भी यहां आना चाहेंगी।
इनका कहना है
रैपिड रेल के लिए चुनावी शिलान्यास किया गया है। पांच साल तक इस पर कुछ नहीं हुआ। जब आचार संहिता लगनी थी तब शिलान्यास हो रहा है। 2017 में यूपी सरकार ने डीपीआर मंजूर कर दी थी तो उसकी प्रक्रिया बढ़ाने में इतना वक्त क्यों लगाया। जैसे बुलेट ट्रेन चल गई वैसे ही रैपिड ट्रेन भी चल जाएगी। 2024 में अगर चल गई तो फीता मोदी नहीं कोई और ही काटेगा।
- शाहिद मंजूर, पूर्व कैबिनेट मंत्री, सपा
रैपिड रेल प्रोजेक्ट को 2024 तक पूरा करने की समय सीमा है। इसे समय से पूरा कर लिया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की विकासवादी सोच के कारण इसका शिलान्यास भी कर दिया गया है।
- राजेंद्र अग्रवाल, सांसद
खुर्जा और बड़ौत तक भी जाएगी रैपिड रेल
2032 तक गाजियाबाद-खुर्जा, गाजियाबाद-हापुड़ व दिल्ली-शाहदरा-बड़ौत तक भी रैपिड रेल चलेगी। हालांकि वर्तमान में तीन कॉरिडोर दिल्ली-मेरठ, दिल्ली-पानीपत व दिल्ली-पलवल ही प्रस्तावित हैं।
रैपिड के ही ट्रैक पर चलेगी मेरठ मेट्रो
रैपिड रेल कॉरिडोर मेरठ में मोहिउद्दीनपुर चीनी मिल के पास से परतापुर, शताब्दीनगर, बेगमपुल होते हुए मोदीपुरम तक बनेगा। परतापुर से मोदीपुरम तक रैपिड रेल के ही ट्रैक पर मेट्रो भी चलेगी। मेट्रो के लिए कुछ स्टेशन अतिरिक्त बनाए जाएंगे। इन चुनिंदा स्टेशनों पर सिर्फ मेट्रो रुकेगी, रैपिड नहीं।
गाजियाबाद में दिखाई देने लगा है काम
गाजियाबाद क्षेत्र में रेल कॉरिडोर के निर्माण से पहले रोड चौड़ीकरण व पेड़ कटान जारी है। यहां मिट्टी की जांच व जियोग्राफिकल टेस्ट पूरा हो चुका है। स्टेशन, कॉरिडोर व डिपो के निर्माण के लिए टेंडर निकाला जा चुका है। ट्रैक, स्टेशन आदि की डिजाइन के लिए कंसल्टेंट के टेंडर भी हो चुके हैं। इंटरनेट से संबंधित काम के लिए भी टेंडर हो चुके हैं। मेरठ क्षेत्र में मोहिउद्दीनपुर, परतापुर व मोदीपुरम में मिट्टी जांच के लिए नमूना लिया जा चुका है। मेरठ शहर के अंदर मिट्टी की जांच के लिए नमूने अभी लिए जाएंगे।
मोदी सरकार ने दी गति
मोदी सरकार के आने पर इस प्रोजेक्ट की फाइल ने गति बनाई और 2016 में एनसीआरटीसी का पहला प्रबंध निदेशक नियुक्त हुआ। काम तेजी से बढ़ा और मई 2017 में उप्र सरकार ने दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर की डीपीआर को मंजूरी दे दी। केंद्र और प्रदेश सरकार की प्राथमिकता में होने के कारण बजट से लेकर मंत्रिमंडल स्तर पर सभी पत्रवली को मंजूरी देने में वक्त नहीं गंवाया और इसी का परिणाम रहा कि हाल ही में आठ मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका शिलान्यास भी कर दिया।
2025 तक संचालन संभव
प्रोजेक्ट अच्छा है और ख्वाब सुनहरा है पर अगर ये प्रोजेक्ट समय पर शुरू भी हो जाए तब भी छह साल का समय लगेगा। दावे के हिसाब से मेरठ से यह रेल 2024 या 2025 में संचालित हो पाएगी। इसी के साथ खुशी की बात यह भी है कि रैपिड के ही ट्रैक पर मेरठ मेट्रो भी दौड़ने लगेगी। सुकून वाली बात यह है कि भविष्य का यह प्लान अच्छा है पर तत्काल राहत के लिए दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे की जल्द शुरुआत की उम्मीद करना ही ठीक रहेगा।
आठ कॉरिडोर पर बनी थी सहमति
एनसीआर परिवहन कार्य योजना-2032 के तहत दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते ट्रैफिक के दबाव को देखते हुए दिल्ली के आसपास के शहरों से बेहतर कनेक्टिविटी के लिए रीजनल रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम चलाने का विचार बना। आठ कॉरिडोर बनाने के लिए दिल्ली व प्रदेश सरकारों के बीच सहमति बनी। उसी के अंतर्गत 82 किमी लंबे दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर पर काम शुरू हुआ है। प्रथम चरण में दुहाई से साहिबाबाद के बीच निर्माण होना है और इस बीच ही 2023 में रेल चल जाएगी इसलिए इस क्षेत्र में ही काम शुरू हुआ है। बहरहाल मेरठ में मिट्टी जांच का कार्य हो रहा है। दावा है दिल्ली से मेरठ के बीच इस रेल से प्रतिदिन करीब आठ लाख लोग यात्र करेंगे। एनसीआरटीसी के आंकड़े के मुताबिक 537 कार व एक हजार 158 बाइक प्रतिदिन दिल्ली की सड़कों पर बढ़ रहे हैं। दिल्ली में कार व बाइक के रजिस्ट्रेशन में प्रतिवर्ष सात फीसद की बढ़ोतरी हो रही है।
राह होगी आसान
रैपिड रेल के तीनों कॉरिडोर दिल्ली के सात मेट्रो स्टेशनों को इंटरकनेक्ट करेंगे। ऐसे में रैपिड रेल के स्टेशन से आसानी से मेट्रो स्टेशन जाया जा सकेगा। मेट्रो तो दिल्ली-एनसीआर में कोने-कोने तक पहुंचा रही है। आरआरटीएस के प्रमुख स्टेशनों को विभिन्न परिवहन माध्यमों जैसे एयरपोर्ट, भारतीय रेल, अंतरराज्यीय बस अड्डा, दिल्ली मेट्रो स्टेशनों का एकीकरण किया जाएगा।
आरआरटीएस टर्मिनल ट्रांजिट हब
सरायकाले खां को आरआरटीएस टर्मिनल ट्रांजिट हब बनाया जाएगा। इससे निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन, मेट्रो स्टेशन और अंतरराज्यीय बस अड्डे जोड़े जाएंगे। सरायकाले खां पर ही रैपिड रेल के तीनों कॉरिडोर मिलेंगे। इस प्रोजेक्ट में कुल 30274 करोड़ रुपये आएगी लागत, जिसमें केंद्र 5693.76 करोड़ और प्रदेश सरकार 5915.18 करोड़ रुपये अंशदान देगी। बाकी धनराशि एशियन डेवलपमेंट बैंक से कर्ज लिया जाएगा। केंद्र व प्रदेश सरकार ने अपने अंशदान के अंतर्गत 2309 करोड़ रुपये दे भी दिए हैं।
रैपिड से आएगी मेरठ में आर्थिक उन्नति
इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत परतापुर औद्योगिक हब और मोदीपुरम शैक्षिक हब के रूप में विकसित होगा। रैपिड के कई स्टेशनों पर मॉल आदि बनेंगे। इसी के साथ ही सभी स्टेशनों के आसपास 1.50 किमी क्षेत्र को विशेष रूप से विकसित करने की योजना है। कॉरिडोर के दोनों तरफ 500 मीटर तक क्षेत्र के लिए अलग नीति बनाई जाती है। इस विशेष क्षेत्र में मिश्रित भू-उपयोग वाली जमीन होगी यानी इस क्षेत्र में स्कूल, आवासीय परिसर, अस्पताल, मॉल, होटल आदि आसपास खुल सकेंगे। मोदीपुरम में ही रैपिड रेल का मुख्य डिपो और कार्यशाला बनेगी। एक घंटे की दूरी की वजह से मेरठ के लोग गाजियाबाद, दिल्ली व अन्य शहरों में आसानी से रोजगार या नौकरी करने जा सकेंगे और समय से वापस भी आ सकेंगे। रैपिड में भारी-भरकम सामान ले जाने की अनुमति होगी इसलिए किसान भी अपने कुछ उत्पाद उससे ले जा सकेंगे। बेहतर कनेक्टिविटी की वजह से कंपनियां भी यहां आना चाहेंगी।
इनका कहना है
रैपिड रेल के लिए चुनावी शिलान्यास किया गया है। पांच साल तक इस पर कुछ नहीं हुआ। जब आचार संहिता लगनी थी तब शिलान्यास हो रहा है। 2017 में यूपी सरकार ने डीपीआर मंजूर कर दी थी तो उसकी प्रक्रिया बढ़ाने में इतना वक्त क्यों लगाया। जैसे बुलेट ट्रेन चल गई वैसे ही रैपिड ट्रेन भी चल जाएगी। 2024 में अगर चल गई तो फीता मोदी नहीं कोई और ही काटेगा।
- शाहिद मंजूर, पूर्व कैबिनेट मंत्री, सपा
रैपिड रेल प्रोजेक्ट को 2024 तक पूरा करने की समय सीमा है। इसे समय से पूरा कर लिया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की विकासवादी सोच के कारण इसका शिलान्यास भी कर दिया गया है।
- राजेंद्र अग्रवाल, सांसद
खुर्जा और बड़ौत तक भी जाएगी रैपिड रेल
2032 तक गाजियाबाद-खुर्जा, गाजियाबाद-हापुड़ व दिल्ली-शाहदरा-बड़ौत तक भी रैपिड रेल चलेगी। हालांकि वर्तमान में तीन कॉरिडोर दिल्ली-मेरठ, दिल्ली-पानीपत व दिल्ली-पलवल ही प्रस्तावित हैं।
रैपिड के ही ट्रैक पर चलेगी मेरठ मेट्रो
रैपिड रेल कॉरिडोर मेरठ में मोहिउद्दीनपुर चीनी मिल के पास से परतापुर, शताब्दीनगर, बेगमपुल होते हुए मोदीपुरम तक बनेगा। परतापुर से मोदीपुरम तक रैपिड रेल के ही ट्रैक पर मेट्रो भी चलेगी। मेट्रो के लिए कुछ स्टेशन अतिरिक्त बनाए जाएंगे। इन चुनिंदा स्टेशनों पर सिर्फ मेट्रो रुकेगी, रैपिड नहीं।
गाजियाबाद में दिखाई देने लगा है काम
गाजियाबाद क्षेत्र में रेल कॉरिडोर के निर्माण से पहले रोड चौड़ीकरण व पेड़ कटान जारी है। यहां मिट्टी की जांच व जियोग्राफिकल टेस्ट पूरा हो चुका है। स्टेशन, कॉरिडोर व डिपो के निर्माण के लिए टेंडर निकाला जा चुका है। ट्रैक, स्टेशन आदि की डिजाइन के लिए कंसल्टेंट के टेंडर भी हो चुके हैं। इंटरनेट से संबंधित काम के लिए भी टेंडर हो चुके हैं। मेरठ क्षेत्र में मोहिउद्दीनपुर, परतापुर व मोदीपुरम में मिट्टी जांच के लिए नमूना लिया जा चुका है। मेरठ शहर के अंदर मिट्टी की जांच के लिए नमूने अभी लिए जाएंगे।
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