CCSU में मार्कशीट और डिग्री के लिए पारदर्शी व्यवस्था, गड़बड़ी करने वालों की अब दाल नहीं गलेगी Meerut News
कोरोना काल में कुछ चीजें मजबूरी में शुरू की गईं लेकिन उनके नतीजें सकारात्मक आने लगे हैं। CCSU में छात्रों के लिए छात्र सहायता केंद्र पर वैकल्पिक व्यवस्था की गई।
मेरठ, [विवेक राव]। कोरोना काल में कुछ चीजें मजबूरी में शुरू की गईं, लेकिन उनके नतीजें सकारात्मक आने लगे हैं। चौधरी चरण सिंह विवि में डिग्री और मार्कशीट को ही लीजिए। छात्र- छात्राओं की अक्सर शिकायत रहती थी कि उन्हें अपनी मार्कशीट और डिग्री के लिए बाबुओं का चक्कर काटना पड़ता है। कभी कर्मचारी तो कभी छात्र की ओर से आरोप प्रत्यारोप भी लगते रहे। कई बार कुछ कर्मचारी छात्रों से अवैध वसूली में रंगेहाथ पकड़े भी गए। अब छात्रों के लिए छात्र सहायता केंद्र पर वैकल्पिक व्यवस्था की गई। जो छात्र कल तक कर्मचारियों और गोपनीय विभाग की दौड़ लगाते थे, उन्हें एक जगह से डिग्री देने की शुरुआत हुई है। रजिस्ट्रार ने मोर्चा संभाल रखा है। कोशिश व्यवस्था को आसान और पारदर्शी बनाने की है। ऑनलाइन आवेदन की सुविधा भी शुरू हो गई है। अब लगता है आने वाले समय में गड़बड़ी करने वालों की दाल नहीं गलने वाली है।
अस्थाई जेल से डर
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय परिसर से सटा चौ.चरण सिंह जिला कारागार भी है। सामान्य दिनों में विश्वविद्यालय के कुछ विभाग जेल करीब होने का दंश ङोलते रहते हैं। इसमें जेल का जैमर उनके विभाग का नेटवर्क फेल करता रहता है। जब से कोरोना का समय शुरू हुआ, प्रशासन ने विव परिसर के अंदर सर छोटूराम इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट को अस्थायी जेल बना दिया है। जहां इंजीनियरिंग की पढ़ाई होती थी, विवि की परीक्षाओं का कंट्रोल रूम बना था। वहां अस्थायी जेल बनने से कैंपस के शिक्षक उधर, जाने से डरने लगे हैं। जिस जगह प्रशासन ने अस्थायी जेल बनाया है, वहां मूल्यांकन भी किया जाता था। अब जिस प्रभारी को यह सेंटर आवंटित किया गया, उसने वहां जाने से हाथ खड़े कर लिए तो को दूसरी जगह सेंटर बनाकर मूल्यांकन शुरू करना पड़ा है। अस्थायी जेल से सबसे अधिक चिंतित वह कर्मचारी हैं जो उसके पास रहते हैं।
परीक्षकों की कैसी पैंतरेबाजी
संसाधन के बीच माध्यमिक स्कूलों के शिक्षक यूपी बोर्ड की कापियों को जांचने में जुटे हैं। इनमें कुछ शिक्षक बहाने बनाकर मूल्यांकन से दूर भी रहे। बावजूद यूपी बोर्ड का मूल्यांकन का कार्य पूरा होने के करीब है। वहीं, असली चुनौती विश्वविद्यालय के मूल्यांकन में है। विवि में मूल्यांकन की सेंट्रलाइज व्यवस्था है। जहां बाहर से परीक्षक आकर कापियों को जांचते हैं। विवि ने अब परिसर में कुछ जगह मूल्यांकन शुरू कर दिया है लेकिन वहां परीक्षकों को ले जाने की चुनौती है। जब कोरोना जैसी स्थिति पैदा नहीं हुई थी, तो उस समय बहुत से शिक्षक बहाना बनाकर मूल्यांकन से कन्नी काट लेते थे। विवि प्रशासन ने नियम बनाया कि जो मूल्यांकन में परीक्षक बनेंगे, उन्हें ही आगे प्रयोगात्मक और मौखिक परीक्षाओं के लिए परीक्षक बनाया जाएगा। हालांकि अभी भी बहुत से शिक्षक कापियों की जांचने की जगह दूसरी पैंतरेबाजी में जुटे रहते हैं।
हमें भी पास करो
कोरोना के संकट को देखते हुए कई शिक्षण संस्थानों को परीक्षा को लेकर उदार रुख पड़ा है। पालीटेक्निक, इंजीनियरिंग के छात्र- छात्रएं इस समय सबसे अधिक तनाव में हैं। डा. एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी से जुड़े कॉलेजों में जुलाई परीक्षा की तैयारी है। परीक्षा का शेड्यूल देखकर छात्र और भी परेशान हैं। बिहार सहित कुछ प्रदेशों में तकनीकी कॉलेजों ने एआइसीटीई की गाइडलाइन का हवाला लेकर इंजीनियरिंग फाइनल ईयर की परीक्षा कराने का निर्णय लिया। अन्य कक्षाओं के छात्रों को अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया। जब से मेरठ और आसपास के छात्रों को इसकी जानकारी मिली, वह तकनीकी संस्थानों से सभी को पास कराने की मांग कर रहे हैं। यहां मांग पूरी होती नहीं दिख रही है। छात्रों को परीक्षा की तैयारी में जुटे रहना चाहिए। तैयारी पूरी रहेगी तो कैसी भी परीक्षा हो उसमें सफलता हासिल कर ही लेंगे।