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अनहद : सवाल 100 में 100 का है, बोर्ड परीक्षा परिणामों में होनहारों ने नंबरों की झड़ी लगा दी Meerut News

सीबीएसई 12वीं में 500 में 500 पाने वाले तुषार ने सवाल खड़ा किया है। कहते हैं कम से कम अंग्रेजी में तो 100 में 100 नहीं दिए जाने चाहिए। कहीं तो गुंजाइश रही ही होगी सुधार के लिए।

By Prem BhattEdited By: Published: Wed, 15 Jul 2020 01:19 PM (IST)Updated: Wed, 15 Jul 2020 01:19 PM (IST)
अनहद : सवाल 100 में 100 का है, बोर्ड परीक्षा परिणामों में होनहारों ने नंबरों की झड़ी लगा दी Meerut News
अनहद : सवाल 100 में 100 का है, बोर्ड परीक्षा परिणामों में होनहारों ने नंबरों की झड़ी लगा दी Meerut News

मेरठ, [रवि प्रकाश तिवारी]। Special Column बोर्ड परीक्षा परिणामों में होनहारों ने नंबरों की झड़ी लगा दी। बुलंदशहर के तुषार ने 500 की परीक्षा दी, और 500 हासिल किए। लखनऊ की दिव्यांशी की उपलब्धि तो और दिव्य, 600 में 600। निश्चित तौर पर कड़ी मेहनत-लगन से ही ऐसे परिणाम आते हैं। आने भी चाहिए, लेकिन सवाल 100 में 100 का है। क्या सभी पांच या छह विषय ऐसे हैं, जिनमें एक्सप्रेशन में भी कहीं कोई चूक नहीं, कमी नहीं। परीक्षक और परीक्षार्थी में किसी वाक्य, पैरा में कोई मतभेद नहीं। न भूतो न भविष्यति। बेहतरी के लिए कमी बतानी चाहिए। 500 में 500 पाने वाले तुषार ने सवाल खड़ा किया है। कहते हैं, कम से कम अंग्रेजी में तो 100 में 100 नहीं दिए जाने चाहिए। कहीं तो गुंजाइश रही ही होगी सुधार के लिए। प्राप्तांक में 100 की जगह 99, सुधार के उस बिंदु की ओर इशारा होता।

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ये दाग अच्छे तो नहीं हैं

खाकी पर इन दिनों भ्रष्टाचार का कीचड़ उछला है। कानपुर वाले विकास दुबे प्रकरण के बाद मेरठ पुलिस को जब डेढ़ साल पुराने मामले में कार्रवाई की याद आयी और एक होटल मालिक को जेल भेजा तो परिवार ने न्यूटन के तीसरे नियम 'क्रिया की प्रतिक्रियाÓ को पुन: स्थापित किया। आरोप लगाया, ढाई लाख के इनामी बदमाश बद्दो को भगाने वाले आरोपितों की सूची से होटल स्वामी को मुक्त करने के लिए बिचौलिए व्यापारी नेता ने 10 लाख टाइगर और कमांडर हेतु लिए। शुरुआती जांच में यह तो बता दिया गया कि माल टाइगर और कमांडर तक नहीं पहुंचा, लेकिन इतने भर से खाकी के दाग धुल नहीं जाएंगे। बड़ा सवाल यह है कि आखिर खाकी का इकबाल इतना निस्तेज कैसे हो गया कि उनके नाम पर वसूली होने लगी, वर्दी की बोली लगने लगी। इसकी दोषी भी कहीं न कहीं खाकी ही तो है।

खाकी से ही खेल गई खाकी

कहते हैं कौवा भी कौवा का मांस नहीं खाता, लेकिन दमड़ी क्या न कराए, वह भी सोतीगंज के गल्ले से निकली हो तो बात ही खास है। यहां बड़े से बड़ा बौना हो जाता है, कड़कदार अफसर भी मुलायम पड़ जाता है। यह किसी से छिपा नहीं कि चोरी का वाहन सोतीगंज में ऐसे घुल जाता है जैसे शर्बत में शक्कर। दिल्ली के डिप्टी कमिश्नर की एक गाड़ी चोरी हुई। साहब के रिश्तेदार हापुड़ में अफसर हैं। जीपीएस ट्रैकर से अंतिम लोकेशन सरधना मिली तो हापुड़ वाले साहब को समझते देर न लगी। हाथ-पांव फैलाया और सोतीगंज कनेक्शन तक पहुंच गए। पता चला सोतीगंज में चेचिस नंबर बदला गया। बताते हैं, खेल खुलता उससे पहले सोतीगंज के 'पहरेदारÓ खाकी भी खेल में शामिल हुई। गाड़ी को लावारिस हापुड़ सीमा में छुड़वा दिया, इस शर्त के साथ कि सोतीगंज तक जांच की आंच न पहुंचे।

कोरोना का नाइट इफेक्ट कितना लॉजिकल

कोरोना संक्रमण के मामले में मेरठ से कई जिले काफी आगे हैं, लेकिन बंदिशों के मामले में मेरठ सब पर भारी। दुकान, बाजार, उद्योग तो हमारे यहां सबसे देर में खुले ही, अब इन दिनों रात आठ से ही रात्रि कफ्र्यू चल रहा है। लाल फीताशाही में फंसे अफसर कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए यहां रात्रि कफ्र्यू जल्दी शुरू करने और सुबह देर से खत्म करने की बात तो कर रहे हैं, लेकिन इसका इम्पैक्ट क्या हो, बता नहीं पा रहे हैं। जब शासन-प्रशासन ने होटल और रेस्तरां खोलने की अनुमति दी है, दफ्तर, कल-कारखाने खुले हैं, ऐसे में अगर रात आठ से कफ्र्यू लगना है तो सात बजे तक दुकान भी बढ़ानी ही होगी। ऐसे में वह कामगार, जो छह या सात बजे छूट रहा है, वह दुकान, मॉल, बाजार कब जाएगा? रेस्तरां, होटल का मतलब ही क्या रह जाएगा? जरा सोचिएगा। 


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