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चूकते ही लगा कोरोना का करंट, लाकडाउन में जनाब का बीपी डाउन Meerut News

वर्ल्‍ड टूर पर निकला कोरोना दबे पांव मेरठ भी पहुंच गया। प्रशासन की तमाम तैयारियों को भेदते हुए संक्रमण का करंट जनमानस में दौड़ पड़ा। एक से तेरह मरीज और अब ..न जाने कितने।

By Prem BhattEdited By: Published: Mon, 30 Mar 2020 02:00 PM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2020 02:00 PM (IST)
चूकते ही लगा कोरोना का करंट, लाकडाउन में जनाब का बीपी डाउन Meerut News
चूकते ही लगा कोरोना का करंट, लाकडाउन में जनाब का बीपी डाउन Meerut News

मेरठ, [संतोष शुल्‍क]। वर्ल्‍ड टूर पर निकला कोरोना दबे पांव मेरठ भी पहुंच गया। प्रशासन की तमाम तैयारियों को भेदते हुए संक्रमण का करंट जनमानस में दौड़ पड़ा। एक से तेरह मरीज और अब, ..न जाने कितने। ये भयावह चूक है, जो लॉकडाउन के गणित को पूरी तरह बिगाड़ देगी। स्वास्थ्य विभाग सीमित संसाधनों के दायरे में मुस्तैदी से काम कर रहा था। विदेश से आने वाले कई यात्रियों ने सामाजिक उत्तरदायित्व निभाते हुए अपने आने की सूचना स्वयं प्रशासन को दी किंतु अपने देश के अंदर संक्रमित राज्यों से कोई व्यक्ति शहर में पहुंच जाए तो क्या करेंगे। मेरठ घनी आबादी वाला शहर है, जहां स्वाइन फ्लू रौद्र रूप दिखा चुका है। कोरोना संक्रमित मरीज तक पहुंचने में चूक कहां हुई, अब इसकी पड़ताल का औचित्य नहीं है। नए मरीजों तक तत्काल पहुंचना होगा, अन्यथा नगर की बसावट और घनी आबादी ही अभिशाप बन जाएगी।

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लाकडाउन में जनाब का बीपी डाउन

इतिहास में ऐसी महामारी नहीं देखी गई, जिसके नियंत्रण के लिए दुनिया जहां की जहां थम गई। लोगों को घरों में रोककर वायरस को दम तोड़ने के लिए मजबूर करना है। दिल्ली के नजदीक होने के बावजूद मेरठ में अब तक मरीज न मिलने से अधिकारियों का मनोबल बेहतर था, किंतु एक-एक कर तेरह मरीज सामने आने के बाद रक्तचाप गिर गया। अधिकारी जानते हैं कि चंचल प्रकृति के नगर मेरठ में कई जगहों पर लॉकडाउन का उल्लंघन हुआ। खैरनगर में दवा की दुकानों पर उमड़ी भीड़ या सब्जी मंडी में। बसों में भरकर यात्रियों को आसपास पहुंचाया गया। पड़ोस में दिल्ली बार्डर पर हजारों का हुजूम उमड़ा, जहां से संRमण की एक भी कड़ी पूरे देश को चपेट में ले लेगी। अब मेरठ के मरीज की हिस्ट्री ने धड़कन बिगाड़ दी है। लॉकडाउन को सफल बनाने के अतिरिक्त कोई रास्ता नहीं बचा है।

लक्ष्‍मीकांत बाजपेयी का अब आयुर्वेदिक मंथन

लॉकडाउन के दौर में नेताओं की सक्रियता पर पहरा लग गया। अरसे बाद अपनी मौलिक जिंदगी जी रहे हैं। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डाक्टर लक्ष्मीकांत बाजपेयी पेशे से आयुर्वेदिक चिकित्सक हैं, जो फुर्सत के क्षणों में आयुर्वेदिक ग्रंथों के महासागर से मंथन के मोती चुन रहे हैं। वो आंवला समेत अन्य फलों में पाए जाने वाले रसायनों में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की क्षमता पर शोध कर रहे हैं। गूगल पर पड़े शोध पत्रों में वर्णित कारगर रसायनों की सूची बना रहे हैं। चरकसंहिता में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली कई जड़ी बूटियों का जिक्रहै। लॉकडाउन में सामाजिक चहल पहल एवं सियासत से मीलों दूर लक्ष्मीकांत अब भी जनता की सेवा में रमे हुए हैं। वो रसोई से लेकर मसालों में पाए जाने वाले आयुर्वेदिक रसायनों के सटीक सेवन की जानकारी देकर लोगों को घर में ही सुरक्षित रहने की सीख दे रहे हैं।

पलायन का दर्द, लॉकडाउन का मरहम

महामारी के घटाटोप के बीच पलायन के रोंगेटे खड़े कर देने वाले मंजर नजर आए हैं। कोरोना से घर पर रह लड़ना था, किंतु भूख ने उन्हें उकसा ही दिया। नई दिल्ली से मेरठ तक सुनसान सड़कों पर दूर से आते कदमों को पास आने दीजिए। कंधे पर बोझ और बच्चे, पैरों में छाले और भूख से मुरझाया चेहरा। ये उस चीखते वक्त का खौफनाक सच है, जहां व्यक्तियों को सामाजिक जिम्मेदारी का बोध ही न कराया जा सका। वो सिर्फ दो जून की बेड़ियों में उलझ गया। मेरठ की सड़कों पर रात में चलते हुए मुजफ्फरनगर व बिजनौर तक पहुंच रहे हैं। यहां रोजगार व जान दोनों की बाजी लगी है। सामाजिक संगठन इन्हें कांवड़ियों की तरह भोजन कराना चाहते हैं। जनप्रतिनिधि वाहन दिलाना चाहते हैं, किंतु न कर सकते। कारण, वायरस ऐसे ही मौके की तलाश में है। संभलकर रहें, शारीरिक दूरी बनाकर रहें। 


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