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Special Column: उत्‍पाती बंदर क्या जाने कोरोना का मिजाज, मेडिकल कॉलेज में पहले नहीं हुआ ऐसा हंगामा Meerut news

उत्पाती बंदरों ने मेडिकल कालेज में कुछ ऐसा किया जो कोरोनाकाल में देशभर की इकलौती घटना बन गई। इसको लेकर खूब हंगामा भी हुआ।

By Prem BhattEdited By: Published: Mon, 01 Jun 2020 02:03 PM (IST)Updated: Mon, 01 Jun 2020 02:03 PM (IST)
Special Column: उत्‍पाती बंदर क्या जाने कोरोना का मिजाज, मेडिकल कॉलेज में पहले नहीं हुआ ऐसा हंगामा Meerut news
Special Column: उत्‍पाती बंदर क्या जाने कोरोना का मिजाज, मेडिकल कॉलेज में पहले नहीं हुआ ऐसा हंगामा Meerut news

मेरठ, [संतोष शुक्‍ल]। Special Column उत्पाती बंदरों ने मेडिकल कालेज में कुछ ऐसा किया, जो कोरोनाकाल में देशभर की इकलौती घटना बन गई। कैंपस में कई साल से बसेरा जमाए बंदर दर्जनों मरीजों को काट चुके हैं, किंतु ऐसा हंगामा कभी नहीं बरपा। लैब टेक्नीशियन के हाथ से कोरोना मरीजों के ब्लड सैंपल छीनकर बंदर पेड़ पर चढ़ गए, और सैंपल चबाने लगे। आबादी से जंगल तक कोरोना संक्रमण फैलने की आशंका से प्रशासन कांप उठा। असल में प्रशासन को पता भी नहीं चलता अगर बंदरों का वीडियो वायरल न होता। यह वीडियो मेडिकल स्टाफ ने ही बनाया था। जांच टीम ने मेडिकल कॉलेज पहुंचकर इस अजीब घटना की पड़ताल की। विज्ञानी यह पता करने में जुट गए कि मनुष्य से जेनेटिक समानता रखने वाले बंदरों में कोरोना फैल सकता है या नहीं। भूखे बंदरों को कोरोना से क्या खौफ। सैंपल को बंद डिब्बे में भेजना चाहिए था।

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प्रेम की गंगा बहाकर गए प्रेम

एसीएमओ डा. प्रेम सिंह रिटायर हो गए। सेवाकाल के दौरान डाक्टर साहब ज्यादातर को नहीं सुहाए किंतु विदाई के दौरान स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के चेहरे पर राहत की रेखाएं नजर आ रही थीं। डाक्टर साहब से दूर से कटकर निकल जाने वालों ने भी उन्हें प्रेम से विदाई दी। साफ है कि हर रजिस्टर पर नजर रखने वाली आंखें अब घर की दीवारों पर सिमट जाएंगी। डाक्टर प्रेम की जिस अधिकारी से पटरी नहीं बैठी, उसे बेपटरी करने के लिए खुलकर मोर्चा खोला। स्वास्थ्य विभाग से नगर निगम तक खास पदों पर रहे। कानून की बारीकियों में उलझाकर उन्होंने कई दिग्गजों को पस्त किया। कई मामलों पर हाईकोर्ट तक भी गए। कार्यकाल के दौरान विवाद भी रहे। कड़वे सच को सामने बोला। अपना आयुष्मान कार्ड वापस कर विभाग के भ्रष्टाचार की कलई खोली, इसलिए भी उन्हें अधिकारी बड़ी योजनाओं से दूर रखते थे।

कल चमन था आज फिर..

तीन माह पहले तक गुलजार रहने वाले बाजारों को कोरोना का ग्रहण ऐसा लगा कि अब सफाई के लिए खुली दुकानें डराने लगीं हैं। सर्राफा और वैली बाजार में दुकानों को खोलते ही लोग अतीत में चले गए। उन्हें याद ही नहीं रहा कि आखिरी बार दुकान में कब रौनक नजर आई थी। हाथ में दास्ताना पहनकर सामान छूते हुए दुकानदार हिचकते नजर आए। कोरोना ने इतना खौफजदा कर दिया है कि अपनी भी चीजों को छूने में झटका लगने लगा है। सर्राफा की दुकानों की सफाई होती देख गुजरने वाले भी ठिठके। वो समझ नहीं पा रहे हैं कि छोटी-छोटी दुकानों में एक साथ दो ग्राहक ही शारीरिक दूरी बनाकर बैठ सकते हैं, फिर बाजार का क्या होगा। सोने और चांदी की चमक खरीदारों की चहलकदमी से निर्धारित होती है। साड़ी की दुकानों में फंगस लग गए हैं। कारोबार की दुनिया में अनिश्चय है।

पुष्पवर्षा के बीच इतराती निकली ट्रेन

पलायन के दर्द और संताप के बीच कई लम्हे नया भरोसा भी जगा रहे हैं। सिटी रेलवे स्टेशन से पश्चिम बंगाल के लिए निकलने वाली श्रमिक स्पेशल बल खाती आगे बढ़ी। वंदेमातरम के उद्घोष के साथ फूलों की वर्षा शुरू कर दी गई। ट्रेन के अंदर बैठे यात्रियों के लिए सम्मान और उल्लास का पल था। यात्रियों को विदा करने के लिए बड़ी संख्या में लोग स्टेशन पर खड़े थे। पटरी पर घंटों तक मायूसी के साथ खड़ी रही ट्रेन सरकने के साथ ही अकस्मात सुंदर लगने लगी। अंदर बैठे यात्रियों का राष्ट्रभाव जाग उठा। भारत माता की जय और वंदेमातरम का जयघोष हर कोच से सुनाई पड़ता रहा। हर कोच के यात्रियों पर फूल बरसाए गए। यह उन प्रवासियों की जिजीविषा और त्याग का भी सम्मान है, जिन्होंने महामारी में मिले अपार दर्द से उबरने का साहस दिखाया है। ये भी कोरोना योद्धा हैं।


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