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बागपत में किसान के लाल का कमाल, जापान के वैज्ञानिक अनुसंधान संस्‍थान में हासिल की ये उपलब्‍धि

बागपत के डॉ दिग्विजय सिंह अगली पीढ़ी के भूकंपीय डैमपर्स के विकास के लिए वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ ताकाहीरो सवगुची के साथ काम करेंगे। जो दुनिया भर में भूकंप प्रवण क्षेत्र में बड़ी इमारतों और संरचनाओं की बेहतर सुरक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

By Prem Dutt BhattEdited By: Published: Sun, 16 Jan 2022 03:00 PM (IST)Updated: Sun, 16 Jan 2022 03:47 PM (IST)
बागपत में किसान के लाल का कमाल, जापान के वैज्ञानिक अनुसंधान संस्‍थान में हासिल की ये उपलब्‍धि
किसान के बेटे जापान में पोस्ट डॉक्टरेट अनुसंधान वैज्ञानिक पद के लिए चयनित हुए हैं।

बागपत, जागरण संवाददाता। बागपत में छपरौली क्षेत्र के हेवा गांव के लाल ने किया कमाल। गांव के एक साधारण किसान के बेटे जापान के नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर मैटेरियल्स साइंस में पोस्ट डॉक्टरेट अनुसंधान वैज्ञानिक पद के लिए चयनित हुए हैं। डॉ दिग्विजय सिंह का जन्म क्षेत्र के हेवा गांव के एक मध्यमवर्गीय किसान सुधीर कुंडू के परिवार में हुआ था। युवा वैज्ञानिक डॉ दिग्विजय सिंह को नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर मैटेरियल्स साइंस में पोस्टडॉक्टोरल रिसर्च साइंटिस्ट फैलोशिप के लिए चुना गया है। यह इंस्टिट्यूट जापान के सबसे बड़े वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्रों में से एक है। जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कई नोबेल पुरस्कार विजेताओं से जुड़ा है।

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भूकंपीय डैमपर्स के विकास का काम

डॉ दिग्विजय सिंह अगली पीढ़ी के भूकंपीय डैमपर्स के विकास के लिए वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ ताकाहीरो सवगुची के साथ काम करेंगे। जो दुनिया भर में भूकंप प्रवण क्षेत्र में बड़ी इमारतों और संरचनाओं की बेहतर सुरक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। डॉ दिग्विजय सिंह ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा जनता इंटर कॉलेज लूम्ब में की। इसके बाद उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक एनआईटी कर्नाटक से की। उसके बाद में आईआईटी इंदौर से डॉक्टरेट की पढ़ाई पूरी कर उन्होंने पीएचडी की उपाधि ली। बायोमेडिकल और परमाणु ऊर्जा अनुप्रयोगों के लिए ग्रेडिएंट नैनोस्ट्रक्चर्ड मिश्र धातुओं के डिजाइन और विकास पर अपना शोध किया। 2016-17 प्रतिष्ठित इंटरनेशनल एडवांस रिसर्च सेंटर फॉर पाउडर मेटलर्जी एंड न्यू मैटेरियल्स डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी हैदराबाद से जुड़े रहे।

विजिटिंग रिसर्च फैलोशिप मिलेगी

वर्ष 2019 में पीएचडी के दौरान उन्हें एनआईएमएसअनुसंधान केंद्र टोक्यो जापान में अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के साथ ट्रांसमिशन इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कॉपी पर शोध करने के लिए जापान से विजिटिंग रिसर्च फैलोशिप प्रदान की गई थी। डॉ दिग्विजय सिंह स्वीडन, जापान और ब्राजील के प्रोफेसरों और वैज्ञानिकों के साथ कई अंतरराष्ट्रीय शोध सहयोग में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं। हाल के वर्षों में उन्हें उनके शोध लेख अमेरिका और यूरोप स्थित विभिन्न अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं। हाल ही में प्रोफेसर संतोष होसमानी आईआईटी इंदौर एलटीएच विश्वविद्यालय स्वीडन के प्रोफेसर दिमित्रों ऑरलोव और यूसीएस विश्वविद्यालय ब्राजील के प्रोफेसर एफ कार्लोस के मार्गदर्शन और समर्थन के तहत डॉ दिग्विजय सिंह का शोध अत्यधिक प्रतिष्ठित पत्रिका यूरोपिय जनरल अप्लाइड सर्फेस साइंस में प्रकाशित हुआ है।

परिवार को दिया सारा श्रेय

डॉ दिग्विजय अपनी सफलता का सारा श्रेय अपने परिवार को देते हैं। विशेष रूप से अपने दादा स्वर्गीय जल सिंह और अपने सभी स्कूल शिक्षकों को जिन्होंने स्कूल के दिनों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी में उनकी रूचि बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई। उनका मानना है कि कड़ी मेहनत ही सफलता की कुंजी है। दुनिया के सबसे प्रतिभाशाली वैज्ञानिकों के साथ काम करने और कौशल सीखने के बाद वह अंतिम पंक्ति में खड़े लोगों की बेहतरी के लिए सतत विकास पर काम करने के लिए भारत लौटना चाहते हैं। डॉ दिग्विजय सिंह के अनुसार उनका सौभाग्य होगा यदि उनके क्षेत्र के एक छोटे से गांव से विश्व प्रसिद्ध अनुसंधान केंद्र तक उनकी यात्रा को जानकर युवा विज्ञान और प्रौद्योगिकी और प्रेरित हो।


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